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Friday, September 11, 2015

भारत-पाक: मामूली गलती भी ले डूबेगी


9 सितम्बर 2015
भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक का हाल ही में रद्द होना, दोनों देशों के बीच ' सांप - सीढ़ी की चाल ' का ही ताजा उदाहरण था। यह एटमी हथियारों से संपन्न दो पड़ोसी मुल्कों के बीच कूटनीतिक खींचतान को भी दिखाता है। हालांकि यह उन लोगों के लिए निराशाजनक हो सकता है जिन्हें इस बैठक से कोई उम्मीद थी, लेकिन आखिरी वक्त पर ऐसा होना आश्चर्यजनक भी नहीं था। बैठक का कार्यक्रम नई दिल्ली में तय करना थोड़ी अलग घटना थी और यह भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की इच्छा का संकेत था। लेकिन इस बैठक का रद्द होना यह भी दिखाता है कि शरीफ पाकिस्तान के अकेले सर्वेसर्वा नहीं हैं। इस बैठक में कश्मीर के मुद्दे को शामिल करने के पाकिस्तान के अड़ियल रुख से साफ था कि जब भारत से जुड़ी कोई बात होती है तो हमेशा की तरह पाकिस्तानी सेना ही वहां फैसला लेती है। पाकिस्तान में यह आम धारणा है कि भाजपा के शासन में भारत खतरनाक़ रूप से आक्रामक हुआ है। बॉर्डर पर हर रोज़ होने वाली गोलाबारी को भी भारत द्वारा उकसावे की कार्रवाई के रूप में देखा जाता है। कई पाकिस्तानी तो यह भी मानते हैं कि भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ उनके सबसे बड़े प्रांत बलूचिस्तान में राष्ट्रवादी विद्रोह को बढ़ावा दे रही है। वहीं भारतीय नजरिए की बात करें तो यहां लोगों को लगता है कि 1993 में मुंबई में हुए बम विस्फोट के लिए जिम्मेदार दाउद इब्राहिम को पाकिस्तान ने पनाह दे रखी है। वहीं 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले में सुनवाई भी बहुत धीमे चल रही है। इसके लिए जिम्मेदार कहा जाने वाला संगठन लश्कर-ए-तयबा के प्रमुख जकीउर रहमान लख़वी को जमानत पर छोड़ दिया गया है। इस तरह के आरोप-प्रत्यारोपों से भारत और पाकिस्तान के बीच दुश्मनी का माहौल और गहराता जा रहा है। जैसे-जैसे गुस्सा बढ़ता जाएगा वैसे-वैसे शांति की उम्मीद कम होती जाएगी। भारत सरकार में शीर्ष पदों पर मौजूद लोगों के बयानों से लग रहा है कि भारत आक्रामक मूड में है। हमारे सेना-प्रमुख दलबीरसिंह सुहाग ने पिछले हफ्ते आशंका व्यक्त की थी कि पाकिस्तान के आतंकवादियों के कारण कोई छोटा-मोटा या बड़ा युद्ध कभी भी हो सकता है। उधर , पाकिस्तान के सेना-प्रमुख राहील शरीफ ने जवाबी गोला दाग दिया है। हालांकि राहील शरीफ ने भारत का नाम नहीं लिया लेकिन उनका इशारा बिल्कुल साफ-साफ था। इसमें शक नहीं कि उन्होंने जो कहा, वह बिल्कुल सच है। उन्होंने कहा कि यदि दोनों देशों के बीच युद्ध होगा तो पाकिस्तान भारत का भयंकर नुकसान कर देगा। भारत किसी गलतफहमी में न रहे। पाकिस्तान उसके मुकाबले के लिए तैयार है। लेकिन राहील शरीफ को क्या पता नहीं है कि पाकिस्तान का भी उतना ही बल्कि भारत से कहीं ज्यादा नुकसान होगा। क्या युद्ध की स्थिति में भारत हाथ पर हाथ धरे बैठा रहेगा। नुकसान तो दोनों का ही होगा। पिछले कुछ समय से ऐसा लग रहा है कि भारत कोई भी रियायत देने को तैयार नहीं है क्योंकि उसे लगता है कि पाकिस्तान समस्याओं से घिरा है जल्दी ही हार मान लेगा। दोनों ही तरफ से इस तरह के रवैये से लगता नहीं है कि वे आने वाले समय में दोस्ती नहीं तो सद्भाव से भी रहने को तैयार होंगे। दोनों देशों में ऐसे ताकतवर लोग हैं जो 'युद्ध नहीं, शांति नहीं' की मौजूदा स्थिति को बनाए रखना चाहते हैं। दोनों सरकारों की अपनी - अपनी मजबूरियां हैं। दोनों को अपनी-अपनी मूंछे अपनी जनता के सामने ऊंची रखनी हैं। इसीलिए, इस तरह के भड़काऊ बयान आते रहते हैं लेकिन दोनों देशों के प्रधानमंत्री क्या कर रहे हैं? कितनी बड़ी विडम्बना है, हम एक ‘फ्लाइंग किस’ भेजते हैं। बदले में वे मुस्कुराते हैं। सब ओर खुशियां छा जाती हैं। फिर वे डंक मारते हैं, अक्सर बहुत बुरी तरह से। वे आतंकवादी भेजते हैं, हमारे लोगों को मारते हैं और कश्मीर में उपद्रव खड़े कर देते हैं। हम नाराज हो जाते हैं। बातचीत बंद कर देते हैं। एक नया भारतीय नेता परिदृश्य पर आता है। इतिहास में पाकिस्तान को राह पर लाने वाले व्यक्ति के रूप में दर्ज होने का संकल्प लेकर। हमने फिर ‘फ्लाइंग किस’ भेजा। वे मुस्कराए। डंक मारा। फिर वही दोहराव।दोनों तरफ से बातों के वाण चलने लगते हैं। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि दोनों ही देशों का अहं, इतिहास और अंधराष्ट्रवाद उन्हें एक-दूसरे से बातचीत करने से रोकता है। अगर परिपक्वता और सौहार्द नहीं बन पाया तो डर है कि पाकिस्तान और भारत हमेशा ही दुश्मन रहेंगे। दोनों ही देशों के पास परमाणु हथियारों का जखीरा भी मौजूद है जिसके चलते अगर कोई गलतफहमी और गलत अनुमान लगा तो दोनों को ही नुकसान उठाना पड़ेगा।

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