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Saturday, March 19, 2016

विद्रोह -देशद्रोह : क्रिकेट बन गया है कसौटी

कोलकाता में 19 फरवरी 2016 को भारत - पाक क्रिकेट मैच के सन्दर्भ में ------------------------+
इन दिनों बड़े मुश्किल हालात हैं। कोई भी आदमी प्रतिद्वंद्वी क्रिकेट टीम के खेल या उसके किसी खिलाड़ी पर जोर से तालियां भी नहीं बजा सकता और अगर कोई ऐसा करता है तो डर है कि कहीं उसपर ढेर सारे इल्जाम ना थोप दिये जाएं। फर्ज करें कि हमारा मशहूर क्रिकेटर विराट कोहली पाकिस्तान गया हुआ है और वहां उससे मीडिया ने पूछा कि आपको पाकिस्तान कैसा लगा? उसने सौजन्यतावश कह दिया कि ‘यह बड़ा प्यारा मुल्क है।’ यहां इससे भी आगे जा कर कह सकते हैं कि ‘यहां के लोग बड़े प्यारे हैं और हमें यहां अपने मुल्क से ज्यादा मुहब्बत मिलती है।’ क्या आप पर देश द्रोह या विद्रोह का मामला दायर हो सकता है? लेकिन पाकिस्तान में कुछ ऐसा ही हुआ है। हालांकि स्पष्ट तौर पर यह पी आर या कहें जनसम्पर्क का जुमला है। आप कह सकते हैं कि पाकिस्तान में ऐसा हो सकता है। बेशक यह पाकिस्तान में हुआ है पर इस बात की क्या गारंटी है कि भारत में ऐसा नहीं होगा। सो​चिये कि एशिया कप के दौरान मेरठ में पाकिस्तान के खिलाड़ी शाहिद अफरीदी के खेल की प्रशंसा करने वाले कई छात्रों पर देशद्रोह का मामला होते - होते बचा। इसके अलावा कई ऐसे भी मिलेंगे जिन्होंने इस अवसर पर चिल्लाया हो कि ‘इन्हें पाकिस्तान भेज दो।’ यह कई लोगों के साथ होता है। बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान और शाहरुख खान ने भी ऐसे कई वाकयों को झेला है। इसके विपरीत पाकिस्तान के बेशक शाहिद अफरीदी द्वारा भारत की प्रशंसा करने पर देशद्रोह का आरोप मढ़ा गया , पूर्व क्रिकेटर जावेद मियांदाद दु:खी हो सकते हैं पर शायद कभी भी यह नहीं कहा गया कि इसे ‘भारत भेज दो।’ ऐसे मामलों में पाकिस्तान में आंतरिक असुरक्षा का भाव बेशक भारत में हंसी का कारण बन जाता हो पर वह भी भारत की अपनी असुरक्षा के बोध के कारण। जार्ज ऑरवेल का वह मशहूर जुमला बहुतों को याद होगा कि ‘दुनिया की सभी कलाएं एक प्रोपगैंडा है और सभी खेल सियासत।’ हालांकि यह सोचना भी कठिन है कि ऑस्ट्रेलियाई कप्तान अगर न्यूजीलैंड पहुंचे और यह कहें कि यहां हमारे चहेतों की संख्या ऑस्ट्रेलिया से ज्यादा है और लोग उसकी निंदा कर रहे हों। इसलिये यह कहा जा सकता है कि ऐसे मामले केवल एशिया में ही देखे- सुने जाते हैं। नाक कटने जैसी बात यहां अक्सर की जाती है, कई बार तो यह खेल के साथ जुड़ी होती है। मैच में हार जाने का मतलब नाक कटवा देना। अक्सर यह राष्ट्रीय अपराध भी​ हो जाता है। कई बार तो प्रतिद्वंद्वी दलों की प्रशंसा करने पर या उसके खिलाड़ी की प्रशंसा करने पर नाक कटने की बात हो जाती है। शुरू में इमरान खान इससे वाकिफ थे और वे कहते थे कि उनके बल्लेबाज बासित अली सचिन तेंदुलकर से बेहतर बल्लेबाज हैं। वसीम अकरम भारतीय टेलीविजन चैनल्स के बार बार आमंत्रण से काफी घुलमिल गये। उन्होंने यह गलत नहीं कहा कि महारत किसी सरहद की मोहताज नहीं होती। बस यही बात तो वहां लोगों को नागवार लगी और उनकी छीछालेदर शुरू हो गयी। शाहिद अफरीदी को ‘देशद्रोह करने' और पाकिस्तानियों की ‘भावानाओं को ठेस पहुंचाने' के लिए अदालत में कार्रवाई का सामना करना पड़ा। एक वरिष्ठ वकील ने विश्व टी20 टूर्नामेंट से पहले भारत में बयान देने के लिए पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान को कानूनी नोटिस भेजी थी। वहां कहा गया कि ‘‘अफरीदी ने पाकिस्तान से अधिक भारत के लिए प्यार दिखाकर पूरे पाकिस्तान देश को निराश किया है। उन्होंने देशद्रोह किया है। अब कौन सुनिश्चित करेगा कि पाकिस्तान टीम टी20 मैच में कोलकाता में भारत के खिलाफ जीतने के लिए खेलेगी।''यहां यह बात समझ में नहीं आती कि क्यों अगर खेलप्रेमी खेल के उत्साह में कुछ बोल जाते हैं तो उसके प्रति सरकारों को क्यों सिरदर्द होने लगता है। यह तो उत्तेजना के तहत की गयी बात थी। दरअसल भारत- पाकिस्तान का मैच खेल से ज्यादा सियासत भरा हो गया है। ऐसे में यह सोचना बड़ा अजीब लगता है कि खेल राष्ट्रप्रेम की कसौटी कबसे बन गया।

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