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Sunday, June 19, 2016

जाना राजन का

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने इस पद को दुबारा स्वीकार करने से इनकार करने की घोषणा की है/ राजन का कार्य काल सितम्बर में खत्म हो रहा है/  उनकी इस घोषणा से सरकार सन्ना रह गयी/ वित्त मंत्री अरुण जेटली ने  सोशल मीडिया पर फकत इतना ही कह सके कि “ राजन के काम काज की सरकार ने प्रशंशा की है, और जल्दी ही श्री राजन के स्थानापन्न की घोषणा कर दी  जाएगी/” सरकार की ओर से इस सम्बन्ध में कोई वक्तव्य नहीं आया है/ वित्र मंत्रालय ने केवल यही कहा की अगले हफ्ते इया बावत कहा जाएगा/ अरसे से भा ज पा नेता सुब्रमणियम स्वामी ने  उनके खिलाफ अभियान छेड़ रखा था/ उनकी इस घोषणा पर उन्होंने (स्वामी)  कहा की भारतीय अर्थव्यवस्था का कल्याण होगा/ स्वामी ने कहा की राजन ने कर्जों पर ब्याज बढ़ा  दिया था जिससे लघु और माध्यम दर्जे के उद्योगों को हानि पहुंची है/  जबकि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि “ एक अर्थशास्त्री का इस तरह से जाना देश के लिए हानिकारक होगा/ चिदंबरम ने कहा कि यह योजनाबद्ध तरीके से तैयार परिस्तिथियों ने राजन को ऐसा कदम उठाने पर मजबूर किया है/ एक विख्यात अर्थशास्त्री पर ऐसे आधारहीन आरोप लगाने वाले खुद गलत हैं/ ”  राजन की शनिवार को इस घोषणा से सर्कार सकते में आ गयी/ वैसे राजन की बातों से अबतक ऐसा नहीं महसूस हो रहा था कि वे इस तरह का कोई निर्णय ले सकते हैं पर स्वामी के अभियान और साकार के मौन से संदेह तो हो ही रहा था कि कुछ होने वाला है/ राजन की कायभाषा ( बॉडीलैंग्वेज) से अक्सर यह महसूस हो रहा था की वे कुछ कठोर निर्णय लेने वाले हैं या अनिश्चय की स्तिथि में हैं/ हालांकि राजन ने सरकार को लिखे अपने पत्र में कहा है कि उन्होंने इस बावत सरकार से परामर्श किया था/ इसका साफ़ मतलब होता है कि जो हुआ वह पहले से चल रहा था/ राजन संभवतः इसकी प्रतीक्षा में थे कि सरकार की तरफ से उनके दूसरे चरण के बारे में कोई निर्णय आये/ लेकिन सरकार ने तो इतने दिनों में यह भी नहीं कहा कि उनपर जो हमले हो रहे हैं वे गलत हैं/ यहाँ तक कि पिछले माह इस बारे में जब प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से पूछा गया तो उन्होंने केवल इतना ही कहा कि  वे इसपर सितम्बर में ही कुछ कहेंगे/ प्रधानमन्त्री ने कहा कि देश में इस तरह कि कई नियुक्तियां होती हैं और किसी एक पद के पारे में 6 माह पहले कुछ नहीं कहा जा सकता है/ इस कथन से साफ़ जाहिर  होता है कि उसतरफ से स्वामी को मौन समर्थन था/ ऐसे में नीतिगत पदों पर बना रहना बड़ा मुश्किल होता है और खास कर ऐसे पदों पर जहां असफलता का ठीकरा उसी पर फूटता हो और सफलता का सारा श्रेय सरकार ले जाती हो/  अभी कुछ दिन पहले की घटना है जब स्वामी ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस बुला कर कहा था की राजान की गलत नीतियों के कारण ही आरती स्तिथि का बंटाधार हो रहा है और देश में मंगाई बढ़ रही है/ राजन पर स्वामी का आरोप था की वे विदेशों में  भारत की छवि बिगाड़ रहे हैं/ वे इस बात की खिल्ली उड़ाते हैं की भारत एक तेजी बढती अर्थ व्यवस्था है/ स्वामी के इस कथन के बाद से ही विवाद शुरू हो गया था/ सबने इस बात पर हैरत जाहिर की कि सरकार क्यों चुप है, उसका कोई बयान क्यों नहीं आ रहा है/ वैसे चर्चा है कि आर्थिक मामलों के सचिव शक्ति कान्त दस और नीति आयोग के उपाध्यक्ष के इस पद पर भेजे जाने की चर्चा है/ उस समय भी कहा गारा था कि यह सरकार का ही कार्य है स्वामी के कंधे पर बन्दूक रख कर चलाई जा रही है/ इस पूरे मामले में राजनीति की भी गंध आती है/ वास्तव में राजन पूर्व वर्ती सरकार द्वारा नियुक्त किये गए थे/ जब मोदी जी की सरकार बनी उसी समय यह आकलन किया जाने लगा की वे हटाये जायेंगे पर उस समय कुछ नहीं किया गया/ सितम्बर में उनका कार्य कल ख़त्म होने वाला था और स्वामी के माध्यम से ऐसी स्थिति को बनाने दिया गया की वे खुद बखुद नए कार्यकाल को अस्वीकार कर दें/ अंततः हुआ वही/

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