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Friday, June 3, 2016

समाज व्यवस्था में सुधार के बाद ही विकास

अख़बारों औरचैनलों के ज़रिएदेश का लगभगहर आदमी जानगया है की मोदीजी की सरकारके दो वर्ष पुर होगये/ अब वहतीसरे साल मेंप्रवेश कर गयीहै/ इसके लिएपार्टी केसंचालकों नेपार्टी की 33टीमें बनाईं हैं/ वेलोग 15 जूनतक देश केविभिन्न198नगरों में जाकरसरकार कीउपलब्धियों सेलोगों को दो चारकराएँगे/ अभीतक जितनाप्रचारित होचुका है उससेयह पता चलताहै कि लगातारदो वर्षों तकसूखे के बावजूदअर्थ व्यवस्थाकी हालतबिगड़ी नहीं/मुद्रा स्फीति कीदर में उच्छलनहीं आया/विकास दर घाटीनहीं/ इसकाश्रेय बेशकसरकार कोमिलना चाहिएपर इसकाकारण है तिलकी अंतरराष्ट्रीयक़ीमतें गिरी औरउपभोक्तावस्तुओं की भीअंतरराष्ट्रीय क़ीमतें भी बढ़ीनहीं/  एकसरकारी रपट मेंकहा गया है कीसरकार नेमौद्रिक घाटे कोकम किया हैऔर मुद्रा स्फीतिको भी बढ़नेनहीं दिया/लेकिन सरकारने यह नहींबताया कीखाद्या वस्तुओंकी स्फीति 20प्रतिशत केआसपास पहुचगयी है/ पूर्ववर्तीयू पी ए सरकारके आधार कार्डऔर अन्यलोकप्रियायोजनयों कोलागू रखा औरबेशक सब्सिडीका बोझ कमकर दिया है/लेकिन दर है कीयह कहींनियंत्रण हीन नाहो जाए/ बेशक2014-15 में7.2 प्रतिशत कीविकास दरप्राप्त हुई पर यहनही भूलनाचाहिए की पूर्वावर्ती सरकार नेविकास दर कीगणना कातरीका बदलदिया था औरउसी तरीके कोवर्तमान सरकारने अपनाया/पिछले दिनोवॉल स्ट्रीटजर्नल ने लिखाथा क़ि यू पी एसरकार की इसगणना विधि सेभारत औरविदेशों मेंउसकी साखहिल जाएगी/ 2013- 2014में तत्कालीनसरकार ने जोआधार वर्ष कोबदला था उससेविकास दर 6.9प्रतिशत हो गयीथी जबकि पूर्वावर्ती आकलनविधि से वह 4.7प्रतिशत थी/ 2015 में एफडी आई 63अरब डालर थी/ 2014 से2016 के 22महीनो में एफडी आई फ[इक्विटी केआगमान की दर42 प्रतिशत रहीजो की पिछलीअवाधि सेज़्यादा थी/ सरकार ने इसकेअलावा कईयोजनाएँ आरभकी ताकि ग़रीबोंफ्ह जीवन स्तरसुधार जाए परयह तब होगाजब उनयोजनयों कोसमुचित तौर परलागू कियाकिया जा सके/पिछली सरकारके समय भीयोजनाओ कोलागू किए जानेकी प्रतक्षा होतीरही/ मोदी जीके आने के बादभी यह समस्याबनी रही/ मोदीजी की योजनाएबेशकबहुतअच्छी हैं/लेकिन क्या उसेलागू किया जासकेगा/ मोदीसरकार ने दावाकिया है कीउसने महिलाओं, ग़रीबों, औरहाशिए पर खड़े लोगों कासशक्तिकरणकिया है/ ऐसेदावा तो पिछलीसरकार ने भीऐसा ही दावाकिया था/ येसब बातें हैं बातोंका क्या/ ऐसेआश्वाशन तोसब सरकारें देतीहैं/ मोदी सरकारबड़े आर्थिकसुधार करने मेअबतक सफलनहीं हो सकीऔट तीसरे वर्षकी शुरुवत मेंअब कोई नयाऔचाट शायदही कामयाब होसके/ सरकारके सामने सबसेबड़ी चुनौती हैदेश के नौजवानो के लिएरोज़गार/ चुनावके समय मोदीजी ने सबकोरोज़गार देने कावादा किया था/अगर वे अपनीबात पूरी करतेहैं तो उन्हे दसलाख रोज़गारका सृजन करनाहोगा जोअसंभव है/सरकार बेशकसामाजिकसमरसता कोडोर करने वालोंका साथ नहीं देरही है परसमरसता पाटबढ़ रहे ख़तरेसब देख रहे हैं/ऐसा लगातार होरहा है पर कोईसरकार बिनासामाजिकसौहार्द्रा केविकास की ओरनहीं बढ़सकती/ उधरसरकार विदेशोंमें देश की इमेजको मजबूत कररही है परपाकिस्तान, चीनऔर नेपाल जैसेपड़ोसी देशचिंता का कारणबने हुए है/

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