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Sunday, March 19, 2017

मोदी मन्त्र और योगी

मोदी मन्त्र और योगी 
कई दिनों के सस्पेंस के बाद अचानक भारतीय जनता पार्टी ने प्रसिद्धगोरख नाथ मंदिर के महंत योगी आदित्य नाथ , असली नाम अजय सिंह बिष्ट, को उत्तर प्रदेश का मुख्य मंत्री चुन लिया गया। योगी जी के नाम कई रिकार्ड हैं जैसे वे कट्टर हिंदुत्व वादी हैं और देश में सबसे  काम आयु में सांसद बने थे। महज 26 वर्ष की उम्र में उन्होंने लोक सभा चुनाव जीता था। उनके साथ दो उप मुख्यमंत्री हैं, दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्य । इन तीनों को लेकर लगता है वहाँ के जाति समीकरण को हल करने का प्रयास किया गया है। योगी जाति से क्षत्रिय हैं जबकि दिनेश शर्मा ब्राह्मण और केशव प्रसाद मौर्य पिछड़े वर्ग से हैं। इन तीनों में से कोई भी उत्तर प्रदेश विधान सभा या विधान परिषद का सदस्य  नहीं है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ये तीनों विधान परिषद के रास्ते से जाएंगे या चुनाव की राह पकड़ेंगे। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के नतीजे निकलने के बाद से गाजी पुर के सांसद मनोज सिन्हा के नाम की चर्चा थी पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह तो अंतिम समय में कुछ हैरतअंगेज करने के आदि हैं। यही नहीं इससे यह भी लगता है कि पार्टी 2019 के लोक सभा चुनाव को ध्यान में रख कर बहुत ही साधी हुई चाल चल रही है। हालांकि आदित्य नाथ अपनी शर्तों पर चलते हैं और उनहे डेग मंगाना बड़ा कठिन है। मजे की बात है कि गोरखनाथ मठ , जिसके योगी आदित्य नाथ महंत हैं, उसका बड़ा गौरव शाली इतिहास रहा है। यह यह मठ जाति भेद यहां तक कि धर्म भेद पर इंसान को इंसान से अलग नहीं समझता। नाथ समोरदाय के इस मठ के हिंदुओं के अलावा कई मुस्लिम और निषाद भी अनुगामी हैं। हालांकि आदित्यनाथ इस सर्व सम्मिलिकरण के आदर्श के कट्टर विरोधी हैं। 26 वर्ष किआयु में वे 1998 में पहली बार लोक सभा चुनाव जीत कर संसद में पहुंचे और गोरखपुर के चतुर्दिक  हिंदुत्व राजनीति के प्रतीक पुरुष बन गए। उन्होंने कम से कम गोरखपुर के आसपास के मुस्लिम ध्वनि वाले नामों को बदल देने की कोशिश की और कुछ को बदल भी दिया। मसलन, उर्दू बाजार का नाम हिंदी बाजार कर दिया गया और अली नगर आर्य नगर बन गया। उन्होंने हिन्दू वाहिनी का भी गठन किया था , जिसने 2007 में गोरखपुर के दंगों में आगे बढ़ कर हिस्सा लिया था। इस मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। इसके बाद भी वे भड़काऊ बयान देते रहे, कई बार तो इनके चलते भा ज पा भी कई बार सांसत में पड़ गयी। चुनाव आयोग में दाखिल अपने शपथ पत्र में योगी ने कई आपराधिक आरोपों का जिक्र किया है। योगी आदित्य नाथ पांच बार सांसद रह चुके हैं पर कभी उन्हें कोई मंत्रिपद नहीं दिया गया। इस बार उन्हें मुख्य मंत्री बनाये जाने का कारण क्या हो सकता है? क्या भा ज पा हिंदुत्व पार्टी के तौर पर अपनी छवि चमकाना चाहती है। क्योंकि वे " सबका साथ, सबका विकास" के मोदी मंत्र में फिट नहीं बैठते। लोक सभा चुनाव में दो वर्ष बाकी हैं और इस दरम्यान पार्टी बहुत दबाव में रहेगी , खास कर विकास के मामले में। इस बार के   चुनाव के नतीजे के विश्लेषण से साफ़ पता चलता है कि सभी जातियों और धर्मों के लोगों ने भा ज पा को वोट दिया है। आदित्य नाथ इस फ्रेम में कहीं फिट नहीं बैठते। अलबत्ता, वे अत्यन्त सख्त और बेहद ईमानदार व्यक्ति हैं और पुलिस तथा प्रशासन को दंड लगा कर सक्रीय बना सकते हैं। मुख्य मंत्री के चयन के बाद उनका केवल यही बयान आया कि वे " मोदी जी के विकास एजेंडा का अनुसरण करेंगे।" योगी जी के शपथ ग्रहण के बाद के पांच वर्ष यू पी के लिए काफी दिलचस्प होंगे, खास कर मोदी जी के " सबका साथ सबका विकास"  के मंत्र के सन्दर्भ में। खास कर भा ज पा के चुनाव घोषणा पत्र " लोक कल्याण संकल्प पत्र" में कई वाडे किये गए हैं ख़ास कर किसानों की कर्ज माफी, अवैध कत्काखानों को बंद करना और एंटी रोमियो दाल के गठन का वादा हो सकता योगी पूरा करें। 

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