CLICK HERE FOR BLOGGER TEMPLATES AND MYSPACE LAYOUTS »

Friday, December 15, 2017

व्यवस्था विहीनता की ओर बढ़ता समाज

व्यवस्था विहीनता की ओर बढ़ता समाज

देश मे महिलाओं पर अत्याचार की घटनाओं मे तेजी से वृद्धि हो रही है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 मे देश मे प्रति घंटे महिलाओं पर अत्याचार की 39 घटनाएं दर्ज हुई हैं जबकि 2007 मे प्रति घंटे 21 थी। इन आंकड़ों को देख कर आसानी से समझा जा सकता है कि हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। महिलाओं पर अत्याचार या उनके विरुद्ध अपराध 2016 मे प्रति 1 लाख की आबादी पर 55.2 हैं जबकि 2012 मे यह 44.7 थी। पतियों या उनके रिश्तेदारों द्वारा की जाने वाली क्रूरता की घटनाएं सबसे ज्यादा हुई हैं। 2016 मे इसका अनुपात  33 प्रतिशत था जबकि 2007 मे यह अनुपात 11 प्रतिशत था। 2016 मे ऐसी 38947 घटनाएं दर्ज की गई, यानी हर 15 मिनट पर देश मे किसी एक महिला के साथ क्रूरता भरा आचरण हुआ है। नारी सशक्तीकरण  के तुमुल नारों के बीच लगातार गुम होती जा रही है नारी की चीख। नारी सशक्तीकरण की बड़ी - बड़ी सरकारी योजनाओं के बावजूद 2016 मे नारी उत्पीड़न की घटनाओं सबसे कम फैसले हुए हैं। पिछले दशक मे 25लाख मामले हुए। केवल 2016 मे घटनाओं मे 83 प्रतिशत वृद्धि हुई है। घटनाओं मे यह इजाफा मीडिया द्वारा पैदा किए जागरण के कारण हुआ है। सबसे ज्यादा घटनाए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली मे हुई।  यहां घटनाओं की दर 160.4 है जबकि राष्ट्रीय औसत 55.2 है। इस के बाद असम का का है। यहां 131.3 , ओड़िसा 84.5 ,तेलांगना 83.7 और राजस्थान 78.3 है। देश की सबसे घनी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश मे यह घटना 2016 मे 49262 दर्ज की गई, यानी हर छः घंटे पर एक । नारी को सम्मान देने के लिये मशहूर पश्चिम बंगाल भी इससे अछूता नहीं रहा। यहां 2016मे 32513 घटनाएं दर्ज की गई।  (32,513) महाराष्ट्र मे 31,388, राजस्थान मे 27,422 तथा मध्यप्रदेश मे  26,604 घटनाएं दर्ज की गई हैं। पतियों या उनके परिजनों द्वारा उत्पीड़ित  किए जान मामले सबसे ज्यादा हुए।2016 मे इस तरह के अपराध 33प्रति शत दर्ज किए गए।यह तादाद 110378 है। यानी 13 घटनाएं प्रति घंटे। जबकि 2007 मे यह संख्या 75930 थी। पश्चिम बंगाल मे पतियों द्वारा उत्पीड़न की सबसे ज्यादा घटनाएं हुईं। यहां एक साल मे  19302 यानी प्रति घंटे 2 घटनाएं दर्ज की गई। एक दशक मे बलात्कार की घटनाओं मे दोगुनी वृद्धि हुई है ।बलात्कार की शिकार 43 प्रतिशत लड़कियों की उम्र 18 साल से कम रही है 95 प्रतिशत मामले मे बलात्कारी परिचित या करीबी रिश्तेदार पाया गया है। इनमें 29 प्रतिशत पड़ोसी रहे हैं 27 प्रतिशत शादी का वादा करने वाले। देश मे नारी उत्पीड़न के मामले मे दूसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल मे अदालती फैसले की दर सबसे कम है। यहां 2016 मे  महज 3.3 प्रतिशत मामले ही निपटाए जा सके हैं। जबकि मिजोरम मे यह दर 88.8 प्रतिशत सर्वोच्च है। एक तरफ महिला सम्बंधित अपराध बढ़ रहे हैं दूसरी तरफ किशोर अपराध की गलियों मे कदम बढ़ा रहे हैं।नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि भारत में जहां साल 2012 में 27 हजार 936 किशोर आपराधिक गतिविधियों में शामिल थे वहीं साल 2013 में यह संख्या बढ़ कर 31 हजार 725 तक पहुंच गई और 2014 में यह आंकड़ा 33 हजार 526 और  2015 में 33570 तक जा पहुंचा। विभिन्न अपराधों में पकड़े गये इनमें से 80 प्रतिशत बच्चों की उम्र 16 से 18 वर्ष के बीच थी। 
महिलाओं से जुड़ी आपराधिक घटनाओं की रिपोर्ट की बढ़ती संख्या  से पता चलता है कि इसके शिकार लोगों मे कानून पर भरोसा है। ऐसे मे उसे यदि निर्णय नहीं मिलता तो कुण्ठा बढ़ती है और व्यवस्था पर से भरोसा उठने लगता है।  इससे एक व्यवस्था विहीन समाज का निर्माण होता है जो अंततः देश और खुद समाज के लिए घातक हो जाता है। 







0 comments: