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Wednesday, April 4, 2018

सी बी एस ई पेपर लीक दोषी कौन?

सी बी एस ई पेपर लीक दोषी कौन?

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड सी बी एस ई  के पेपर का लीक होना दुखद है ,क्योंकि, यह एक गंभीर बीमारी का लक्षण है, खुद में बीमारी नहीं है। बीमारी तो और ज्यादा गंभीर है और  उसकी जड़ें भीतर तक फैली हुई है।इस बीमारी को भाजपा की सरकार में फैलाया है। सरकार भूत और भविष्य को पुनर्जीवित करने में इतनी मशगूल है कि उसने वर्तमान संस्थानों को योजनाबद्ध ढंग से खत्म करना शुरू कर दिया है। यह केवल केंद्रीय विश्वविद्यालयों तक ही  मामला सीमित नहीं है। इन विश्वविद्यालयों में  आए दिन कुछ न कुछ होता रहता है । कभी किसी विश्वविद्यालय में किसी छात्र ने जातीय भेदभाव के कारण खुदकुशी कर ली ,तो कभी किसी विश्वविद्यालय में छेड़छाड़  को लेकर बवाल हुआ, कहीं प्रशासन ने निर्देश दिया कि हॉस्टल की  लड़कियां एक खास  वक्त के बाद छात्रावास के भीतर ही रहें बाहर उनकी हिफाज़त नहीं की जा सकती। यह सब संस्थानों से नेहरु गांधी की छाप खत्म करने की योजनाबद्ध कोशिशें हैं।  सरकार इसमें इतनी मशगूल है कि वह देश के किशोरों की ओर देख भी नहीं पा रही है।  इस तरह से वह अयोग्यता और सामान्यता को फलने-फूलने का मौका दे रही है।  2016 में एक आई ए एस अधिकारी  राजेश चतुर्वेदी राजेश चतुर्वेदी को 5 वर्ष के लिए नियुक्त किया गया उन्होंने सारे विद्यालयों से फीस अन्य सुविधाओं की  फ़ेहरिश्त मंगवा ली ताकि इन सी आर टी  द्वारा प्रकाशित पुस्तकों को पूरी तरह से लागू करने का निर्देश दे सकें । यह बात सरकार को रास नहीं आई और  नंबर बढ़वाने और लिखित परीक्षा में दूसरी भाषाओं के लिए अलग से प्रश्न पत्र तैयार करने के निर्देश के मामले में उनका तबादला कर दिया गया । चतुर्वेदी अभी राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के अध्यक्ष हैं । इसके दो अर्थ होते हैं। पहला  चतुर्वेदी अपने काम में बहुत अच्छे थे और दूसरा बिल्कुल बेकार थे। दोनों स्थितयों में एक बात साफ है कि इस सरकार को देश के  किशोरों और नौजवानों की कोई फिक्र नहीं है। अभी सी बी एस ई  की प्रमुख है गुजरात काडर की  आइ ए एस ऑफिसर अनीता करवाल। अनीता इसके पहले मानव संसाधन मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव थीं और 2014 में जब आम आम चुनाव हुए थे तो गुजरात की मुख्य चुनाव अधिकारी थी। वे मध्यम मेधा के अधिकारी मानी जाती हैं।  जब पेपर लीक हुए तो प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं गयीं। उन्होंने यह मामला स्कूल शिक्षा के सचिव अनिल स्वरूप को सौंप दिया और पेपर लीक होने के 2 दिन बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई गई।  यहां एक बात साफ  मामले दिखती है जो भाजपा सरकार में महत्वपूर्ण पदों तथा विभागों में कमी के लक्षण हैं। वह कि महत्वपूर्ण पदों के लिए अधिकारियों  का चयन उनकी योग्यता- क्षमता के आधार पर नहीं सुविधा के आधार पर किया जा रहा है। कुछ साल पहले सीबीएसई के प्रमुख पेशेवर शिक्षाविद हुआ करते थे उन्हें मामलों की विस्तृत समझ थी। जैसे सन 2000 से 2008 के बीच अशोक गांगुली इसके अध्यक्ष थे । इसके बाद इनकी जगह आये विनीत जोशी। जोशी पहले  सी बी एस ई  के सचिव हुआ करते थे। 1992 बैच के  आई ए एस अधिकारी जोशी इस पद पर 2014 तक रहे। उन्होंने स्कूलों में  कॉम्प्रिहेंसिव एवलुएशन सिस्टम लागू किया जिसे  सरकार ने रद्द कर दिया।

  जोशी के बाद स्थिति और बिगड़ गई। 2015 में मैडम ईरानी ने मंत्रालय के एक अधिकारी सतवीर बेदी को भेजना चाहा लेकिन शैक्षणिक प्रशासन के तजुर्बे के अभाव में उनकी नियुक्ति नहीं हो सकी।  मैडम ईरानी ने दूसरा कैंडिडेट भेजा वह थे सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने उन्हें रद्द कर दिया । अब चतुर्वेदी को फिर से यह जिम्मेदारी सौंपी गई कि किसी उपयुक्त आदमी का चयन करें ताकि गर्व से कहा जा सके कि दुनिया के सबसे बड़े परीक्षा संचालन संस्थान के यह प्रमुख हैं।  अयोग्य कार्मिकों का चयन नहीं किया जाता है । 10 नवंबर 2017 को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के गठन की प्रस्ताव पारित हुआ। इसका काम था विभिन्न एंट्रेंस परीक्षाओं का आयोजन - संचालन करना। 2019 यह  नेशनल टेस्टिंग एजेंसी जॉइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन और नीट की परीक्षाओं का  आयोजन - संचालन करेगी । जोशी को इसका महानिदेशक नियुक्त किया गया है। एनटीए जॉइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन और नीट की परीक्षाओं का संचालन करेगी तो सवाल उठता है कि सी बी एस ई  का क्या होगा ? CBSE इन दिनों उपरोक्त दोनों परीक्षाओं के अलावा सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट  , यू जी सी एलिजिबिलिटी टेस्ट,  और जवाहर नवोदय विद्यालय के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए परीक्षाएं लेता है। सवाल है कि अब यह दोनों संस्थाएं आपस में कैसे तालमेल बनाएंगी। कोई स्पष्टता नजर नहीं आ रही है।  यह वही सरकार है जो शिक्षा प्रणाली में सुधार की सुब्रमणियम रिपोर्ट ठंडे बस्ते में रख रखी है। देश के नौजवानों की फिक्र नहीं है इसे। बड़े-बड़े जुमले  उछलती रहती है। एस एस सी की परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने से नौजवानों में क्षोभ है।   क्योंकि बेकारी से जूझते ये नौजवान क्या करें उन्हें समझ में नहीं आ रहा। अब सी बी एस ई का प्रश्न पत्र लीक कर गया।  इस मामले को संभालने में मानव संसाधन मंत्रालय ने कोई मदद नहीं की। शायद भाजपा सरकार यह भूल रही है कि  यह छात्र ही आगे चलकर वोटर बनते हैं।

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