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Monday, July 9, 2018

सोशल मीडिया पर यकीन करना बंद करें

सोशल मीडिया पर यकीन करना बंद करें
कुछ दिन पहले महाराष्ट्र के धुले में बच्चा चोर के अफवाह  पर पांच लोगों को पीट-पीटकर मार डाला गया। ऐसी घटनाएं देश भर में हो रही हैं और एक तरह से हमारा देश हत्याओं का देश बन गया है। इसका कारण लोगों का अफवाहों पर भरोसा करना है। यह अफवाहें एक तरह से आतंकवाद से ज्यादा खतरनाक हो गई हैं। भीड़ का गुस्सा   काबू के बाहर हो जाता है। जब एक भीड़ पागल हो जाती है तो पुलिस भी उसे नियंत्रित नहीं कर पाती। जब तक सामान्य होती है तब तक बहुत कुछ विनाश हो चुका होता है। विगत 2 महीने में तमिलनाडु, त्रिपुरा ,महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक ,पश्चिम बंगाल और उड़ीसा सहित देशभर में कई स्थानों से पीट-पीटकर मार डालने की घटनाओं की खबर मिली है।
अफवाह फैलाने वाले किसी भी घटना को खतरनाक बनाकर फैला सकते हैं । एक बार अगर तीर निकल गया तो उसे वापस नहीं लिया जा सकता। यह जंगल की आग की तरह फैलता है और जब तक अधिकारी सावधान हो और इससे मुकाबले के लिए तैयार हों तब तक बहुत कुछ बर्बाद हो चुका रहता है।
   मुंबई पुलिस के साथ काम करने वाले एक मनोचिकित्सक के अनुसार इस तरह की अफवाहें फैलाने वाले लोग नफरत और नकारात्मकता से भरे होते हैं । एक बार नफरत को हवा दे दी गई तो उसकी आग भड़क उठती  है और उससे जो बर्बादी होती है उस पर ऐसे लोग जश्न मनाते हैं। वह ऐसा सिर्फ मजाक करने की गरज से करते हैं । ऐसे सभी मामलों में जो अफवाहें फैलाते हैं वह हमेशा पर्दे के पीछे रहते हैं । 
    आज इंटरनेट आसानी से उपलब्ध है और इसे बड़े सस्ते में मोबाइल फोन से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका मतलब है कि अफवाह फैलाने की मशीन सबके हाथ में और खतरनाक संदेश तैयार करने में कुछ मिनट लगते हैं तथा उसे सैकड़ों लोगों के समूह में एक बार डाल दिया जाता है । वहां से वह कई गुना ताकतवर बन कर कई समूहों में चला जाता है। कुछ साल पहले तक वाट्स एप में सिर्फ सौ लोग ही एक ग्रुप में शामिल हो सकते थे अब वह बढ़कर 256 हो गया है। ऐसे भी  लोग हैं जो प्रमाणित समाचारों के बदले वाट्स एप की खबरों पर ज्यादा भरोसा करते हैं। कुछ लोग तो टी वी या अखबारों की खबरों को वाटस ऐप की खबरों के आगे गलत बता देते हैं, और कहते हैं कि यह असत्य समाचार है। सच तो फलां जगह है । अब ऐसी स्थिति को देखते हुए नियम बना है कि अफवाह फैलाने वाले व्हाट्सप्प ग्रुप एडमिन को सजा  दी जा सकती है। अगर एक बार किसी भी ग्रुप में कोई संदेश ऐसा आया जो खतरनाक हो सकता है अगर उस ग्रुप के एडमिन ने उसे नहीं हटाया उसे आईटी कानून के तहत सजा दी जाएगी । यद्यपि उस अधिकारी ने यह स्वीकार किया कि किसी भी वाट्स एप मैसेज के स्रोत को खोज पाना बड़ा कठिन है, और इस तरह के संदेश को फैलाकर कोई भी बड़े आराम से अपना काम कर सकता है । अफवाहें किसी भी विषय पर फैलाई जा सकती हैं और उसके परिणाम घातक होंगे । अभी कुछ दिन पहले एक मैसेज आया कि नमक का अभाव होने वाला है  और उसकी कीमत ₹500 किलो तक जा सकती है । लोग दुकानों पर टूट पड़े । कई जगह तो दुकानें है लूट ली गयीं और कई दुकानदारों ने तो नमक ब्लैक में बेचना शुरू कर दिया था। 
महाराष्ट्र में गणेश उत्सव के दौरान अफवाह फैली कि एक विशेष समूह द्वारा गणेश की मूर्ति क्षतिग्रस्त कर दिया गया है ।  इसके बाद पूरे राज्य में तनाव फैल गया ।कई जगह पर भारी पुलिस तैनाती करनी पड़ी।
बच्चा चोर की अफवाहें सबसे घातक होती हैं। लोगों को इसे लेकर काफी सावधान रहना चाहिए और अपने बच्चों के प्रति सावधानी बरतनी चाहिए । उनके साथ ऐसा कुछ ना होने दें। मुंबई में एक साल पहले एक ऐसी ही अफवाह उड़ी थी और लोगों ने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया था। कुछ लोगों ने स्कूल बस का उपयोग बंद कर दिया था और खुद ही बच्चों को लेकर जाते थे । इस तरह की खबरें जंगल की आग की तरह हैं और सोशल मीडिया उनका प्लेटफॉर्म है।
    90 के दशक की गणेश के दूध पीने वाली घटना कौन भूल सकता है। लोगों ने सैकड़ों लीटर दूध गणेश को पिलाने में बर्बाद कर दिया। यहां तक की विदेशों में भी ऐसा किया गया। इससे यह साफ जाहिर होता है कि अफवाहों की कोई सीमा नहीं है और इन हवाओं को मीडिया में भी कवर किया जाता है।
    अफवाह फैलाने वाले मूलतः लोगों की भावनाओं का उपयोग करते हैं । इसका एकमात्र समाधान है कि लोग डरे नहीं और भावनाओं के वश में ना आएं । अपने आंख कान और बुद्धि पर भरोसा करें ना कि इस तरह के समाचारों पर। अगर ऐसे कोई समाचार मिलते हैं तो उन्हें आगे नहीं बढ़ाएं और सीधा स्थानीय पुलिस को इत्तिला करें और वह इसकी जांच कर आपको संतोषजनक उत्तर दे सकती है।   इसका कोई अन्य समाधान नहीं है और ना ही अफवाह फैलाने वालों को रोका जा सकता है इसलिए सावधान रहना जरूरी है। अफवाह फैलाने वाले चुपचाप अपना काम करते हैं और छिप जाते हैं तथा निर्दोष लोग उसका शिकार बनते हैं। हमारा समाज कई तरह के विकृतियों और कुंठाओं से भरा है।यह छुपकर कर कुछ भी कहने की इजाजत देता है। कमियां माध्यम में नहीं हैं कमियां इसके उपयोग करने वालों में हैं। नए माध्यम का मजा लीजिए लेकिन दूसरे के हाथों इस्तमाल होने से बचें।

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