CLICK HERE FOR BLOGGER TEMPLATES AND MYSPACE LAYOUTS »

Thursday, September 27, 2018

आधार की धार कुंद

आधार की धार कुंद
बहुतों को यह मालूम नहीं होगा कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पहले  भी कई मामलों में आधार नंबर देने की बाध्यता नहीं थी ।यह बैंक खाता खोलने में या मोबाइल नंबर लेने में पहले भी ज़रूरी नहीं था अथवा बच्चे का स्कूल में दाखिला कराने में इसकी जरूरत नहीं थी , कम से कम सरकार ने तो ऐसा नहीं कहा था। यह हवाई अड्डे में प्रवेश या बीमा पॉलिसी लेने में भी ज़रूरी नहीं था।अलबत्ता , सरकारी सब्सिडी लेने के लिए उसकी जरूरत थी फिर भी अदालत ने निर्देश दिया था कि यह ना भी हो तो किसी को सुविधाओं से वंचित ना किया जाय। इसके बावजूद हर जगह लोगों से आधार नंबर मांगा जाता है। सब लोग चुपचाप दे भी देते हैं। अगर आधार नंबर नहीं दिया किसी ने तो उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।यहां तक कि इंकार्फ़ करने वाले को यह मालूम है कि वह सही है। यह बदलेवाला नहीं है। हमारा देश बगैर नियम कायदे का मुल्क नहीं है। यह पश्चिम नहीं है। लेकिन भारत एक ऐसा भी देश है जहां कानून लागू करने वाला अपने अनुसार कानून को बदल देता है। जब तक इसपर कार्रवाई हो तबतक बहुत देर हो चुकी रहती है। मसलन , पुलिस जब मर्जी हो तब किसी को पीट नहीं सकती है । लेकिन पुलिस ऐसा करती है। अब मूल प्रश्न आधार पर आएं। उम्मीद है कि आपसे फिर आधार कार्ड मांगा जा सकता है ।और आपने अगर नहीं दिया तो फिर  वही झेलिये जो अब तक झेलते आए हैं । सुप्रीम कोर्ट ने इसे कायम रख कर इसके दुरुपयोग का विकल्प जारी रखा। वस्तुतः इसके कई नियमों को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है पर कुछ खास नियम हैं जिसे अदालत ने कायम रखा है।... और ये खास नियम ऐसे हैं जिसके कारण भारत का हर आदमी इसे रखने के बाध्य है।
    सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने कहा है कि सरकारी सब्सिडी लेने के लिए यह अनिवार्य है। इसका मतलब है कि हर ऐसी जगह जहां आपको सरकारी सुविधा लेनी है , चाहे वह राशन की दुकान हो या सरकारी अस्पताल में इलाज , आपको आधार नंबर देना ही होगा। यदि आप सब्सिडी नहीं लेते हैं तब भी पैन नंबर लेने के लिए आधार नंबर देना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने पक्का कर दिया आधार कार्ड सबको बनवाना ही होगा और विभिन्न सुविधाओं के लिए इसे बार बार दिखाना भी होगा। अब चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे वैध करार दे दिया तो यह तय मानिए कि भविष्य में सरकार इसे बाध्यतामूलक बनाने के लिए कई नियम बनाएगी।
     कोर्ट ने बैंक खाता खोलने या मोबाइल के लिए सिम कार्ड लेने में आधार की अनिवार्यता खत्म कर दी लेकिन काल हो सकता है कि वित्त मंत्रालय कोई ऐसा कानून बना दे कि बिना आधार के ना खाता खुलेगा ना सिम कार्ड मिलेगा। सरकार ऐसा कर सकती है।  आधार के लिए गठित संस्था  यू आई डी ए आई  हालांकि बार बार कहती है कि आधार कार्ड परिचय पत्र नहीं है पर ऐसा लगता है सरकार मानती नहीं है।भारत में कानून लागू करना हरदम एक चुनौती रही है। लोगो बोलने की आज़ादी है लेकिन भारत के गाँव और शहरों में कई अवसरों पर इस आज़ादी का जवाब पिटाई से मिलता है। आधार को मान्यता देकर सुप्रीम ने यह आश्वस्त कर दिया कि भारत की जनता अत्याचार का शिकार होती रहेगी। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ द्वारा इसका विरोध  किया जाना यह बताता है कि इसमें दिक्कतें हैं।उन्होंने इसे संविधान के प्रति धोखाधड़ी बताया और कहा कि इसका निगरानी के औजार के रूप में उपयोग हो सकता है। इसलिए उन्होंने इसे रद्द करने की अनुशगंसा की थी। लेकिन, और जज साहेबान इसपर राजी नहीं हुए।

0 comments: