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Sunday, September 1, 2019

19 लाख से ज्यादा लोग बेवतन

19 लाख से ज्यादा लोग बेवतन

असम में नेशनल सिटीजन रजिस्टर की आखिरी सूची जारी हो चुकी है और इसमें 19 लाख छह हज़ार 657 लोगों को बे वतन करार दिया गया है। नई लिस्ट में 3 लाख 11 हजार से कुछ ज्यादा लोगों को शामिल किया गया है। इस लिस्ट के जारी होने के बाद केंद्र सरकार और असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने असम की जनता को आश्वस्त किया है सूची में नाम ना होने पर किसी व्यक्ति को हिरासत में नहीं लिया जाएगा और उसे 120 दिन के भीतर अपनी नागरिकता साबित करने के हर मौके दिए जाएंगे। असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल में जनता को आश्वस्त किया है कि इस सूची में नाम नहीं होने पर वह घबराए नहीं शांति बनाए रखें। इस बीच दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने मांग की है कि दिल्ली में भी एनआरसी को लागू किया जाना चाहिए। उधर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एनआरसी को मुस्लिम उत्पीड़न का जरिया बताया है। बहुत व्यापक पैमाने पर एनआरसी को हिंदू मुस्लिम विरोध का झगड़ा बताया जा रहा है । यह खुद में एक सियासत है विरोध को सामने रख कर भाजपा कह सकती है विरोध करने वाले दल मुसलमानों के साथ खड़े हैं। इस सारी प्रक्रिया में मुस्लिमों को पीड़ित बताने की कोशिश की जा रही है। अब हालत यह है कि जब यह हिंदू मुसलमान का झगड़ा हो ही गया तो सच्ची जानकारी की तलाश की मेहनत कौन करे, इसका झंझट कौन पाले। दरअसल एनआरसी मुस्लिम विरोधी नहीं है, यह बंगाली विरोधी है अब वे हिंदू बंगाली हों या मुस्लिम। यह प्रक्रिया जटिल है कि बंगाली विरोधी इस मुहिम की चपेट में गोरखा समुदाय जैसे छोटे-मोटे समूह भी आ गए यही नहीं मातुआ  समुदाय को भी से खतरा हो गया है।
       पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एनआरसी की अंतिम लिस्ट को एक विफलता बताया और कहा कि इससे उन सभी का पर्दाफाश हो गया जो इसे लेकर राजनीतिक फायदा हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं ममता बनर्जी ने बड़ी संख्या में बंगालियों को एनआरसी की आखरी सूची से बाहर होने पर चिंता जताई है। उन्होंने ट्वीट किया है कि " एनआरसी की नाकामी ने उन सभी लोगों के चेहरे पर से पर्दा हटा दिया है जो इससे राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं । उन्हें देश को जवाब देना पड़ेगा।" आडवाणी से अमित शाह भाजपा लगातार अवैध बांग्लादेशियों का मामला उठाती रही है और उन्हें यहां से हटाने की बात कर रही है। भाजपा सरकार ने कम से कम दो बार यह संकेत दिया है कि जिनके नाम लिस्ट में नहीं है उन्हें वापस भेजा जाएगा लेकिन विगत 4 अगस्त 2018 को तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह बांग्लादेश के गृहमंत्री असदजुम्मा खान को आश्वस्त किया कि उन्हें भगाने की बात नहीं चल रही है। वर्तमान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल की अपनी ढाका यात्रा के दौरान भी कहा है कि एनआरसी एक आंतरिक मामला है और इसमें किसी को हटाने का कोई प्रश्न नहीं है। लेकिन भाजपा के लिए अभी खेल नहीं खत्म हुआ है। उसका प्रयास है कि कोई सही आदमी वंचित न हो और गलत आदमी लाभ प्राप्त करें। लेकिन असम के लोग एनआरसी से बाहर लोगों की संख्या को कम मान रहे हैं।  उनका मानना है कि बहुत से लोगों को छोड़ दिया गया है। दूसरी तरफ इस संख्या को देखकर प्रदेश भाजपा बहुत खुश नहीं है। उसका मानना है कि राज्य की आबादी के लगभग 6% लोगों को इसमें शामिल  किया गया है और अब यह लोग असम के फॉरेन ट्रिब्यूनल में अपील करेंगे और उस ट्रिब्यूनल के न्याय स्थिति किसी से छिपी नहीं है । हालांकि एनआरसी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरंभ की गई है। लेकिन इसे लागू किए जाने में बहुत सियासत है। एक तरह से यह असम की आंतरिक राजनीति में शामिल हो गया कि बाहर के लोग विरोधी है अब इस श्रेणी में बंगाली हिंदू और मुसलमान, नेपाली और हिंदी भाषा  लोग भी शामिल हो गए हैं। एम आर सी का मामला हां - में फंस गया है और हो सकता है कि आने वाले दिनों में इसे लेकर कोई आंदोलन खड़ा हो जाए  या फिर यह अदालतों का चक्कर लगाता रहे। इस पूरी की पूरी कवायद का कोई असर ही ना हो तथा एक बहुत बड़ी संख्या में जनता खुद को लगातार असुरक्षित महसूस करती रहे।
  

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