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Wednesday, September 11, 2019

पाकिस्तान को भारत की कड़ी फटकार

पाकिस्तान को भारत की कड़ी फटकार

जिनेवा में मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में भारत में पाकिस्तान को जमकर फटकार लगाई और कहा की पाकिस्तान मनगढ़ंत बातें कह रहा है। भारत ने यह भी साफ कर दिया कि चूंकि कश्मीर का मसला भारत का आंतरिक मसला है इसलिए  वह इस मसले पर किसी तरह का विदेशी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करेगा। इसके पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने परिषद में अपना भाषण पेश किया था । परिषद में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे विदेश मंत्रालय की सचिव (पूर्व ) विजय ठाकुर सिंह ने मंच संभाला और पाकिस्तानी विदेश मंत्री की धज्जियां उड़ा दीं। उन्होंने कहा कि भारत मानव अधिकारों को बढ़ावा देने वाला है और उसकी रक्षा में दृढ़ विश्वास करता है। उधर पाकिस्तान आतंकवाद का जनक है और वह वैकल्पिक कूटनीतिक तौर पर भारत के विरुद्ध आतंकवाद का संचालन करता है। भारतीय प्रतिनिधि ने जोर देकर कहा कि जो लोग किसी भी तौर पर आतंकवाद को बढ़ावा देने और उसे वित्तीय समर्थन मुहैया कराने में लगे हैं वास्तव में वही मानवाधिकार का हनन कर रहे हैं। उन्होंने परिषद को बताया धारा 370 पर संसद में बहस के बाद ही फैसला लिया गया। इसे पूर्ण रूप से भारत की जनता का समर्थन है। पाकिस्तान चारों तरफ घूम-घूम  कर पीड़ित होने का ढोल पीट रहा है जबकि सच यह है कि वह खुद मानवाधिकार का हनन करता है और उसका अपराधी है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि कुछ लोग मानवाधिकार की आड़ में दुर्भावनापूर्ण राजनीतिक एजेंडे   के लिए इस मंच का इस्तेमाल करते हैं । असल में यही लोग मानवाधिकार के अपराधी हैं। यह लोग अन्य देशों में अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार पर ढोल पीटते हैं जबकि सच यह है कि वह खुद अपने मुल्क में ही मानवाधिकार का व्यापक हनन करते हैं। जनता को पैरों तले रौंद देते हैं। विजय सिंह ठाकुर ने कहा कि कश्मीर के बारे में जो निर्णय किया गया है उस निर्णय से लैंगिक भेदभाव सहित संपत्ति पर अधिकार और स्थानीय निकायों में प्रतिनिधित्व खत्म होगा और बाल अधिकारों को संरक्षण हासिल होगा । घरेलू हिंसा रुकेगी । शिक्षा ,सूचना और काम के अधिकार का कानून लागू होगा तथा शरणार्थियों के खिलाफ भेदभाव नहीं रह जाएगा। जम्मू और कश्मीर में वर्तमान प्रतिबंधों को स्पष्ट करते हुए भारतीय प्रतिनिधि ने कहा इस सीमा पार से आतंकवाद का भारी खतरा है और इसलिए नागरिकों की सुरक्षा के उद्देश्य से यह सावधानी पूर्ण कदम उठाया गया है।
        कश्मीर पर पाकिस्तान को हर मंच पर मात मिल रही है और वह बौखला गया है और अपनी बौखलाहट में वह तरह तरह के बयान दे रहा है । संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार परिषद जेनेवा में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कश्मीर पर अपनी बात के दौरान कह दिया कि "भारतीय राज्य जम्मू एवं कश्मीर।" कुरैशी ने भारत पर आरोप लगाते हुए कहा कि भारत यह बताने की कोशिश कर रहा है कि कश्मीर में जिंदगी सामान्य हो गई है। अगर जिंदगी सामान्य है तो अंतरराष्ट्रीय मीडिया, अंतरराष्ट्रीय संगठन, एन जी ओ, सिविल सोसायटी यह लोगों को कश्मीर में क्यों नहीं प्रवेश करने दिया जा रहा है ताकि वह खुद हकीकत देख लें। कुरैशी ने कहा कश्मीर में कर्फ्यू हटते ही हकीकत सामने आ जाएगी तब दुनिया देखेगी वहां क्या हो रहा है।
         इसके पहले भी भारत ने साफ कह दिया था कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और इसका कोई राष्ट्रीय या राजकीय धर्म नहीं है। अल्पसंख्यकों की हिफाजत इसकी राजनीतिक व्यवस्था का एक खास हिस्सा है। दरअसल पाकिस्तान ने भारत में अल्पसंख्यकों से बर्ताव को लेकर भारत की आलोचना की है संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 27 मई सत्र में भारत के अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा ,भारत के संविधान में अल्पसंख्यकों अधिकारों को बनाए रखने की व्यवस्था है और उसके लिए कई  प्रावधान हैं। भारत में जाति या धर्म को लेकर भेदभाव नहीं किया जाता। यहां बोलने और अभिव्यक्ति की पूरी आजादी है और वह आजादी संविधान द्वारा दी गई है। रोहतगी ने कहा कि हम शांति और अहिंसा पर विश्वास रखते हैं । भारतीय संस्कृति में प्रताड़ना की कोई जगह नहीं है। उन्होंने अफस्पा का जिक्र करते हुए कहा यह अधिनियम केवल अशांत इलाकों में लागू है और यह इलाके बहुत कम हैं। एक के बाद एक सभी अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीर को लेकर पाकिस्तान को कोई सहयोग नहीं मिलने से वह दिनों दिन मायूस होता जा रहा है और यह मायूसी बौखलाहट में बदलती जा रही है। पीओके में घटी घटनाओं से यह साफ पता चलता है।  पाकिस्तान अपनी बौखलाहट में "कुछ भी" कर सकता है इसलिए भारत को सतर्क रहना चाहिए।

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