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Friday, August 28, 2009

आई एस आई ने बनायी भारत को बांटने की साजिश

(अक्टूबर तक १० हजार करोड़ के जाली नोट बाजार में आने की आशंका, नवंबर में हो सकता है भारत पर हमला
पाक खुफिया एजेंसी ने नेपाल में अपना अड्डा बनाया, भारत से हमदर्दी के कारण शेख हसीना की हो सकती है हत्या, माओवादी आतंकवाद और जोर पकड़ सकता है)

हरिराम पाण्डेय
कोलकाता : पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आई एस आई ने भारत के खिलाफ कई खतरनाक साजिशों को जल्दी ही अंजाम देने फैसला किया है।
'ऑपरेशन गजनी ०९' के नाम की इस साजिश के पांच हिस्से हैं। पहला है नवंबर तक भारत पर कारगिल सरीखा एक और हमला, दूसरा बंगलादेश से अड्डा हटा कर नेपाल में स्थापित करने का फैसला, तीसरा भारत का समर्थन करने वाली बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजिद की हत्या, चौथा भारत में जाली नोटों की बाढ़ लाकर अर्थव्यवस्था का सत्यानाश करना और पांचवां माओवादियों को भारत के भीतर सी आर जेड (कॉमपैक्ट रिवोल्यूशनरी जोन) मुहैय्या कराना।
गत १७ अगस्त २००९ को पश्चिमी चीन के सिंकियांग स्वायात्तशासी प्रांत के सेरम झील के समीप एक विशाल इमारत में चली चार दिवसीय बैठक में इस ऑपरेशन को अंतिम रूप दिया गया। भारतीय उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में चीनी फौज की खुफिया इकाई और आई एस आई के २५-३० सदस्यों ने भाग लिया था। पाकिस्तानी दल के मुखिया थे खालिद महमूद और उनके सहयोगी थे जमील आलम। यहां यह बता देना उचित होगा कि खालिद कुछ दिन पहले तक काठमांडू में पाकिस्तानी दूतावास में शिक्षा कौंसुल के कवर में काम कर रहे थे और राजशाही का तख्ता पलटने में उनकी बड़ी भूमिका थी।
इस बैठक के बारे में भारतीय खुफिया सूत्रों को मिली जानकारी के अनुसार जाली भारतीय नोट छापने की मशीनें जो बिराट नगर और ढाका में लगी थीं, उन्हें फिलहाल बंद कर दिया गया है और छपे हुए जाली नोट चीनी कब्जे वाले हांगकांग, दुबई तथा खाड़ी के कुछ अन्य देशों से पाकिस्तान राजनयिक असबाब में काठमांडू लाया जा रहा है। काठमांडू से माओवादियों की देखरेख में उन नोटों को बीरगंज से लगभग २० किमी दूर सिरिसिया लाया जाता है। वहां इन नोटों का गोदाम है और वहां से उन्हें भारत के विभिन्न शहरों में पहुंचाया जाता है। यह सारी कार्रवाई इस बार भारतीय माओवादियों के सहयोग से हो रही है।
चूंकि माओवादियों को अपने आंदोलन के लिये धन की जरूरत है और आई एस आई को भारत में आतंकवादी गतिविधियों को चलाने के लिये धन की जरूरत है इसलिये इस धंधे में हाथ मिला कर दोनों एक दूसरे के पूरक बन गये हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि दुनिया में बीरगंज के समीप मटियरवा सीमा चौकी एक ऐसी जगह है, जहां समीप ही जाली भारतीय नोटों का बाजार लगता है। सब्जियों की तरह टोकरियों में ५००- १००० रुपयों के नोटों की गड्डियां भर कर कतार से दुकानें सजती हैं। नेपाली रुपयों के बराबर मूल्य पर या भारतीय मुद्रा में ५० प्रतिशत दाम पर रुपये बिकते हैं। यहां से सायकिल से कुछ ही मिनटों में भारतीय सीमा में दाखिल हुआ जा सकता है।
जाली नोट भी कुछ ऐसे कि एक दम पारखी आंखें भी धोखा खा जाएं। दरअसल, असली की तरह दिखने वाले ये नोट उन्हीं कागजों पर छपते हैं, जिन पर भारतीय रिजर्व बैंक अपने नोट छापता है। अभी हाल ही में ब्रिटिश खुफिया संगठन एम आई ५ ने भारत सरकार को आगाह किया था कि एक पाकिस्तानी व्यापारी जमील आलम ने सैकड़ों रीम वही कागज खरीदा है, जिस पर भारतीय बड़े नोट छपते हैं और समुद्र के रास्ते 'गोल्ड स्टार' नाम के पाकिस्तानी जलपोत से १५ जून को दुबई भेजा गया। खुफिया सूत्रों के मुताबिक इस कागज से हजार और ५ सौ रुपयों के ३ हजार करोड़ के नोट छापे जा चुके हैं। केंद्र सरकार को जैसे ही यह खबर मिली सबके होश उड़ गये। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को सचेत किया कि आतंकी फिर कार्रवाई की तैयारी में हैं। अभी हाल में नेपाल के प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल और विदेश मंत्री सुजाता कोइराला को दिल्ली आमंत्रित किया गया था। सरकार ने जाली नोटों की बाढ़ रोकने पर विचार विमर्श किया तथा व्यापार समझौते में संशोधन का आश्वासन भी दिया। नेपाल में माओवादियों का वर्चस्व भारत के लिये सिरदर्द है।
सूत्रों के अनुसार आई एस आई ने अक्टूबर के आखिर तक बीरगंज सीमा से १० हजार करोड़ के जाली नोट भारतीय बाजार में डाल देने की योजना बनायी है। अगर उसकी यह साजिश कामयाब होती है तो १९५ जिलों में सूखे और भारी महंगाई को देखते हुये सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि क्या होगा।
इसके बाद उनकी साजिश के दूसरे भाग की शुरूआत की जायेगी। जिसके अंतर्गत भारत पर कारगिल सरीखा इक हमला किया जा सकता है। यह हमला इस बार जम्मू या राजस्थान की सीमा पर कहीं से हो सकता है। महंगाई और सूखा त्रस्त भारत पर यह हमला अर्थव्यवस्था को चरमरा कर रख देगा और तब भीतर से फूटेगा माओवादी आतंकवाद। जबसे सरकार को इसकी सूचना मिली है सरकार के होश उड़े हुए हैं तथा राजनयिक स्तर पर पाकिस्तान पर दबाव बनाने की कोशिश चल रही है।
(लेखक दैनिक समाचार पत्र के संपादक हैं)

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