हरिराम पाण्डेय (26.3.2012)
माओवादियों ने शनिवार को ओडिशा के सत्ताधारी दल के एक विधायक का अपहरण कर लिया। इसके पहले उन्होंने आंध्र ओडिशा बार्डर स्पेशल जोन के गंजम जिले के सरोदा इलाके से दो इतालवी पर्यटकों का अपहरण कर लिया था। पुलिस ने बताया कि इनमें से एक को रिहा कर दिया है। इसके पूर्व कोरापुट जिले के आलमपद इलाके में उनके द्वारा बिछायी गयी बारूदी सुरंग को हटाने के क्रम में दो पुलिसवाले मारे गये और एक घायल हो गया था। यही नहीं बरगढ़ में एक ठेकेदार की माओवादियों ने गोली मार कर हत्या कर दी। यह सब गत एक हफ्ते में हुआ। यह सब तब हुआ जब माओवादियों को गत एक साल में भारी नुकसान हो गया था, खासकर उनके नेतृत्व काडर में। इन घटनाओं को देखकर लगता है कि ओडिसा में उनकी क्षमता अभी भी सरकार को पंगु बना देने के लिये काफी है। माओवादियों द्वारा किसी विदेशी पर्यटक के अपहरण की यह पहली घटना थी। परंतु इस मामले में माओवादियों का प्रयास कम और अवसर का हाथ ज्यादा था। क्योंकि दोनों इतालवी पर्यटक उस क्षेत्र में क्यों गये थे यह अभी तक ज्ञात नहीं हो सका है। इनमें एक बासकुसो पाउलो मामूली 'एडवेंचर टूअर ऑपरेटरÓ है तथा दूसरा, क्लाउडियो कोलांगिलो एक पर्यटक हैं और उस क्षेत्र में उनका कोई प्रयोजन नहीं दिखता है। माओवादियों द्वारा जारी सी डी में उन्हें उस इलाके में घूमता हुआ पकड़ा गया था। माओवादियों द्वारा जारी सी डी में कहा गया गया था उनका अपराध है कि 'अन्य विदेशियों की तरह वे उस क्षेत्र के आदिवासियों से बंदरों की तरह बरताव कर रहे थे और उनका मजाक बना रहे थे।Ó इस क्षेत्र में बोंडा आदिवासी निवास करते हैं और जब इस वर्ष फरवरी में 'टूअर आपरेटरोंÓ ने इस क्षेत्र के पर्यटन की योजना प्रकाशित की तो सरकार ने इस पर तत्काल रोक लगा दी। सरकारी रेकाड्र्स के मुताबिक बासकुसो ने इस इलाके के पर्यटन के लिये अनुमति मांगी थी पर सरकार ने नामंजूर कर दिया था। परंतु उसने इस अस्वीकृति को ताक पर रख कर उस इलाके में पर्यटक को ले जाने का दुस्साहस किया। इन्हें रिहा करने के लिये माओवादियों ने 13 मांगें रखी हैं। इनमें अधिकांश वही हैं जो मलकान गिरि के जिला मजिस्ट्रेट विनील कृष्ण के अपहरण के समय पेश की गयीं थीं। विनील कृष्ण का अपहरण गत 16 फरवरी 2011 को हुआ था और लम्बी वार्ता चली थी और आठ दिन के बाद वे रिहा हो सके थे। माओवादियों ने इस बार सरकार की वार्ता की पेशकश को मानने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि उस बार जो वायदे किये गये थे वे पूरे नहीं हुए। इस बार उन्होंने जो मांगें रखी हैं उनमें प्रमुख हैं , राज्य भर में माओवादियो के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान को बंद किया जाय और शुभश्री पंडा उर्फ मिली सहित 600 माओवादियों को रिहा किया जाय। शुभश्री पंडा ओडिशा राज्य आार्गेनाइजिंग कमिटि के सचिव सब्यसाची पंडा की पत्नी है और इसके नियंत्रण में गंजाम जिला है जहां से दोनो इतालवी पर्यटकों का अपहरण किया गया है। इसके अलावा जिन लोगों को रिहा करने की मांग की गयी है वे हैं गणनाथ पात्र। गणनाथ पात्र नारायण पटना के 'चासी मुलिया आदिवासी संघÓ के सलाहकार हैं और नारायण पटना में नहीं घुसने की शर्त पर इनकी जमानत हो चुकी है पर उन्होंने जेल से निकलना स्वीकार नहीं किया। इनके अलावा है माओवादियों की केंद्रीय मिलिटरी कमीशन के सदस्य आशुतोष सौरेन। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मानवता के आधार पर अपहृत लोगों को रिहा कर देने की अपील की है। सरकार ने कहा है कि 'कानून के दायरे में उनसे बातचीत की जायेगी।Ó माओवादियों ने वार्ता के लिये तीन मध्यस्थों के नाम पेश किये हैं। इनमें से एक सी पी आई (माओवादी) की पोलित ब्यूरो का सदस्य नारायण सान्याल है जो कि फिलहाल झारखंड की गिरिडीह जेल में बंद है, दूसरा है, दंडपाणि मोहंती और तीसरा है विश्वप्रिय कानूनगो। मोहंती विनील कृष्ण के अपहरण के समय भी मध्यस्थ थे और मोहंती पेशे से वकील हैं तथा सब्यसाची पंडा की बीवी शुभश्री की पैरवी वही कर रहे हैं। यहां यह बता देना प्रासंगिक है कि विनील कृष्ण के अपहरण के समय हो रही वार्ता के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदम्बरम ने मुख्यमंत्री को सलाह दी थी कि वे किसी माओवादी की रिहाई न स्वीकारें क्योंकि इससे एक गलत नजीर बनेगी। लेकिन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने उनकी सलाह नहीं मानी थी। इस बार भी लगता नहीं है कि सरकार कुछ ज्यादा दृढ़ता दिखायेगी, क्योंकि मसला दो विदेशियों का और एक विधायक का है और माओवादियों ने स्पष्टï चेतावनी दे दी है कि वे बंधकों को समाप्त कर देंगे। माओवादी अपनी बात से डिगेंगे या भविष्य में कोई बहुत बड़ा परिवर्तन आयेगा ऐसा नहीं लगता बशर्ते सरकार ने कोई बहुत बड़ी कमजोरी ना दिखायी। वैसे भी सब्यसाची पंडा अपनी पार्टी में बहुत उपेक्षित हैं और एक बार उनपर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हो चुकी है। हो सकता है कि उन्होंने अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिये ये अपहरण किया हो। ऐसी स्थिति में ओडिशा में भारी हिंसा की आशंका है और वह हिंसा पश्चिम बंगाल के सीमा क्षेत्रों में भी फैल सकती है।
Sunday, March 25, 2012
घुटने टेकता ओडिशा, डरा हुआ बंगाल
Posted by pandeyhariram at 4:08 AM
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