CLICK HERE FOR BLOGGER TEMPLATES AND MYSPACE LAYOUTS »

Friday, September 18, 2009

भ्रष्टाचार को मिटाना जरूरी

देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने भ्रष्ट अफसरों की संपत्ति जब्त करने की वकालत कर भ्रष्टाचार पर नकेल कसने की आवश्यकता पर चल रही बहस को एक नया मोड़ दे दिया है। जब देश के प्रधान न्यायाधीश कुछ कहते हैं तो लोग उसे ध्यान से सुनते हैं। न्यायाधीश के जी बालकृष्णन ने जो कहा है, वह न सिर्फ विचार करने योग्य है, बल्कि इस तरह का कानून बनाना समय की जरूरत भी है।
भ्रष्टाचार पर बातें खूब होती हैं, नये-नये उपाय सुझाए जाते हैं, नये कानून और संस्थाएं बनती हैं, पर भ्रष्टाचार थमने का नाम ही नहीं ले रहा। प्रधान न्यायाधीश का यह कहना एक व्यावहारिक कदम दिखता है कि यदि कोई अफसर जनता की कीमत पर संपत्ति एकत्र करता है तो राज्य के पास उसे जब्त करने का अधिकार होना चाहिए। शायद इससे अधिकारी सहमें।
लेकिन प्रधान न्यायाधीश के एक सेमिनार में कहने भर से राजनेता कानून बनाने में जुट जाएंगे, यह सोचना गलत होगा। यह बात सभी जानते हैं कि भ्रष्टाचार देश के सामने एक विकराल समस्या के रूप में खड़ा है, लेकिन इसका मुकाबला कैसे किया जाये जिससे साधारण आदमी लाभान्वित हो, देश को इसका फायदा मिले और भ्रष्ट लोगों को यथाशीघ्र कड़ी से कड़ी सजा दी जा सके। भ्रष्टाचार रोकने में कोर्ट की भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका है। अभी जो कानून हैं, उनके तहत भी इस नासूर का इलाज हो सकता है। चूंकि पैसे का मोह सभी को होता है तो सभी संबंधितों का एक मजबूत गिरोह बन जाता है जिसे तोडऩा इस देश में आसान नहीं है।
जिन अधिकारियों के बारे में बालकृष्णन ने कहा है, उनका चेहरा पहचानना मुश्किल है, पर उनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी प्राय: एक-दूसरे को बचाते हैं और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं। लोकायुक्त जैसी संस्थाएं पटवारी जैसी छोटी मछलियों को पकड़कर खुश हो जाती हैं। गत दिनों प्रधानमंत्री ने सीबीआई से भी कहा था कि 'बड़ी मछलियों पर ध्यान दें। हकीकत यह है कि कोई मुख्यमंत्री भ्रष्ट अधिकारियों पर नकेल डालना नहीं चाहता।
इन सबके बावजूद के जी बालकृष्णन की बातों को गंभीरता से लेकर अधिकारियों के भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कानूनी, राजनीतिक, सामाजिक और अन्य कड़े उपाय तुरंत खोजने चाहिए जिससे देश तेजी से तरक्की कर सके। यह उम्मीद करना गलत नहीं होगा कि सेवानिवृत्ति के पहले प्रधान न्यायाधीश कुछ करें, फैसले लेकर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाएं।

0 comments: