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Friday, February 18, 2011

काला धन + सफेद माफी = दाल में काला


काला धन के मामले में सोनिया गांधी और राजीव गांधी का नाम भाजपा के वरिष्ठï नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने घसीटा और चारों तरफ फैला दिया कि सोनिया जी और राजीव गांधी के स्वीस बैंकों में बड़ा खजाना जमा है। सोनिया जी ने आडवाणी जी लिखा और बताया कि यह दुष्प्रचार ना करें उनका किसी विदेशी बैंक में कोई खाता नहीं है। इस पत्र के जवाब में आडवाणी जी चट से माफी मांग ली। यह बड़ा अजीब माजरा है और कम से कम भाजपा जैसे दल के आडवाणी जैसे तपे तपाये लौह पुरूष की जुबान से ऐसी हल्की बातों का निकलना काफी शर्मसार करता है। क्योंकि आडवाणी जी इतने कच्चे खिलाड़ी नहीं हैं कि स्वीस बैंक के खातों और उसके बारे में असांजे के खुलासे की हकीकत क्या है? जहां तक स्वीस बैंक के खातों की उस सूची का मामला है उसमें पता नहीं क्या है लेकिन सबको लग रहा है कि बड़े कायदे से रहस्य के किले में छिपाकर रखे गए स्विस बैंक के बहुत सारे भेद सामने आने वाले हैं।
भारत में यह उत्साह कुछ ज्यादा है। इसकी वजह यह है कि अभी तक के आंकड़ों के मुताबिक स्विस बैंक में सबसे ज्यादा काली कमाई भारत की ही जमा है। 1947 से अब तक बेईमानों ने भारत से 1546 अरब डॉलर लूटकर जमा किए हैं।
यह आंकड़े प्रामाणिक नही हैं और न ही इनकी पुष्टि की कोई व्यवस्था हो पाई है। आप गौर करेंगे कि दुनिया के सबसे रईस देशों में से एक अमरीका का नाम इस सूची में नहीं है, जबकि 280 अरब डॉलर का हिसाब अमरीका स्विस बैंक एसोसिएशन से आज से तीन साल पहले ले चुका है। हिसाब इसलिए मिल पाया कि एक हाथ में डंडा था और दूसरे में थैली। डंडे से जानकारी ली गई और थैली में और संस्थानों की रकम इन बैंकों में डाल दी गई। जिन अमरीकी नागरिकों का हिसाब-किताब मिला था, उनसे अमरीका ने टैक्स वसूल लिया।
भारत में रामजेठमलानी से लेकर रामदेव तक स्विस बैंकों में जमा भारतीय रकम को एक बड़ा मुद्दा बनाए हैं। रकम इतनी बड़ी है और सस्पेंस इतना सम्मोहक कि बहुत सारे लोग इस अभियान में जुड़ गए हैं और वे वास्तव में देशभक्त हैं। इनके हिसाब के अनुसार, अगर स्विस बैंकों में जमा पूरा पैसा भारत आ जाता है, तो उसका सारा कर्ज खत्म हो जाएगा, अगले 30 साल तक टैक्स फ्री बजट आएगा और हर परिवार के हिस्से में यानी उसके भारतीय बैंक खाते में ढाई लाख रुपये जमा हो जाएंगे। 'दिल बहलाने को यह ख्याल अच्छा है।Ó लेकिन एक रहस्य की बात है कि असांजे ने जिस बैंक का हवाला दिया है उसका नाम है जूलियस बेयर बैंक। बैंक के एक भूतपूर्व अधिकारी ने विकिलीक्स को इतना बता दिया है कि दुनिया भर के अरबों डॉलर के हिसाब सामने आ जाएंगे। सूची में 33 भारतीय नाम भी हैं। अब बैंक की इस साल की वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि 2010 के अक्टूबर महीने तक इस बैंक के पास 271 अरब स्विस फ्रैंक के खाते थे, जिनमें से 175 अरब स्विस फ्रैंक के खाते चल रहे थे। रिपोर्ट बताती है कि 3500 कर्मचारियों वाले इस बैंक की स्थापना 1891 में हुई थी और इसकी शाखाएं दुनिया के चालीस देशों में हैं जिसमें भारत के सबसे करीब की शाखाएं दुबई और सिंगापुर में हैं। जब हम भारत के अरबों डॉलर वापस लाने की बात करते हैं तो यह ध्यान भी रखना चाहिए कि एक अमरीकी डॉलर में लगभग 9500 स्विस फ्रैंक आते हैं, जबकि भारतीय रुपया पैंतालीस रुपये प्रति डॉलर के आसपास रहता है। ऐसे में सिर्फ भारत के अरबों डॉलर के सपने का क्या होगा जरा सोचिये। इस सवाल का जवाब किसी राम के पास नहीं है। स्विस बैंकों में पड़ी भारत की रकम अगर भारत वापस आती है तो हर हाल में देश में विकास ही होगा। पहले तो इस काले धन की असाध्य बीमारी से निपटारा हो। यह निपटारा कानूनी तरीकों से होगा।
ऐसा नहीं कि आडवाणी जी इस हकीकत से वाकिफ नहीं हैं। उन्हें आम आदमी से ज्यादा जानकारी है। लेकिन यह सियासी लाभ का साधन है। अगर आडवाणी जी ऐसा नेता इस तरीके लाभ हासिल करना चाहे तो औरों की क्या कहेंगे।

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