हरिराम पांडेय
गृहमंत्री पी. चिदम्बरम और अन्य अफसरों के बयानों से यह तय हो गया कि पुणे की जर्मन बेकरी के समीप विस्फोट एक आतंकी कार्रवाई थी। लेकिन इलेक्ट्रानिक मीडिया द्वारा बार- बार कहे जाने के बावजूद विस्फोट के आवेग एवं अन्य अवयव यह नहीं बताते कि वह कोई बहुत बड़ा विस्फोट था और उसे अंजाम देने के लिये किसी खास ट्रेनिंग की जरूरत है अथवा उसमें कोई विशेषज्ञता की आवश्यकता है। फिलहाल खुफिया एजेंसियां और नेशनल सिक्युरिटी एजेंसी इस घटना की जांच में जुटी हैं और उसके द्वारा प्राप्त निष्कर्षों के पूर्व किसी निष्पत्ति पर पहुंचना संभव नहीं है। अलबत्ता आगे बढऩे के पूर्व यह कहना जरूरी है कि इस घटना को लेकर फिलहाल पाकिस्तान की तरफ उंगली उठाना उचित नहीं है। नेशनल सिक्युरिटी एजेंसी (एन आई ए) का गठन 26/11 के मुम्बई हमले के बाद किया गया और इस घटना के बाद उसका सबसे महत्वपूर्ण काम लश्कर-ए -तायबा के शिकागो प्रकोष्ठ के डेविड हेडली कोलमैन एवं हुसैन राना के भारत में यात्रा और उनकी अन्य गतिविधियों का सम्पूर्ण विवरण एकत्र करना और उनके आधार पर उनके निशानों की निशानदेही करना है। वैसे हेडली की दिलचस्पी पुणे में जिन स्थानों पर थी, वे थे चबाड हाउस और रजनीश आश्रम। लेकिन इन दोनों स्थानों पर विस्फोट न होकर एक तीसरी जगह धमाका होता है और वह स्थान है जर्मन बेकरी। अब सवाल उठना है कि जर्मन बेकरी क्यों? चबाड हाउस या रजनीश आश्रम क्यों नहीं या फिर अन्य स्थानों की तरह सीरियल ब्लास्ट क्यों नहीं? केवल एक धमाका? क्या धमाके के लिये इस समय का कोई महत्व है? क्या पाकिस्तान वार्ता के पूर्व यह विस्फोट कोई मायने रखता है? क्या भारत को पाकिस्तान से प्रस्तावित वार्ता को खत्म कर देना चाहिये? एन आई ए को अपनी जांच के क्रम में इन सवालों के उत्तर की पड़ताल करनी चाहिये और साथ ही भारत सरकार को भी द्रुत प्रतिक्रिया जाहिर करने में संयम बरतना चाहिये।
पुणे जिहादी गतिविधियों का केंद्र बन गया है, यह बात उस समय मालूम पड़ी जब 2002 में एक फिलस्तीनी नागरिक अबू जुबैदा को दबोचा गया। जुबैदा ने पुणे में कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई की थी और पाकिस्तान जाकर अलकायदा में शामिल हो गया था। वह अल कायदा में ओसामा बिन लादेन के बाद तीसरे स्थान पर था। इसके बाद मुम्बई पुलिस ने 4 कम्प्यूटर विशेषज्ञों को पकड़ा। इनमें तीन लोग पुणे के थे। इसके बाद हेडली के आने के बाद पुणे फिर आतंकी गतिविधियों के केंद्र में आ गया। अब वहां विस्फोट हुआ और एक पखवाड़े के बाद भारत पाक वार्ता होने वाली है। ऐसे में सवालों के सही उत्तर नहीं खोजे गये तो विस्फोट का अर्थ कुछ दूसरा ही हो जायेगा।
Monday, February 15, 2010
पुणे हमले से उठते सवाल
Posted by pandeyhariram at 11:09 PM
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