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Friday, February 19, 2010

धमकियों को देखते हुए सतर्कता जरूरी

हरिराम पांडेय
पुणे में जर्मन बेकरी के समीप विस्फोट के बाद कई नयी गतिविधियां सामने आयीं। इनमें दो पाकिस्तान से हुईं थीं। पहली थी कि पाकिस्तानी आतंकवादी गुट लश्कर - ए- तय्यबा - अल अलामी, यानी अंतरराष्ट्रीय के किसी अबू जिंदाल ने एक भारतीय अंग्रेजी अखबार के पाकिस्तान में भारतीय संवाददाता को टेलीफोन कर विस्फोट की जिम्मेदारी ली। टेलीफोन करने वाले ने खुद को लश्कर - अल अलामी का प्रवक्ता बताया और बताया कि वह उत्तरी वजीरिस्तान से बोल रहा है। बाद में भारतीय आतंकवाद विशेषज्ञों ने इसे गलत बताया और कहा कि उपरोक्त नाम का कोई आतंकी गुट नहीं है लेकिन अल अलामी नाम अतीत में भी प्रयोग किया जा चुका है। अलबत्ता यह शब्द वही संगठन इस्तेमाल करते हैं जो दुनिया के अन्य देश में भी सक्रिय हैं। बहुत ज्यादा तो नहीं दो घटनाएं लोगों की स्मृति में जरूर होंगी। पहली अमरीकी पत्रकार डेनियल पर्ल की गला काटकर हत्या और दूसरी एक अमरीकी राजनयिक की बेटी और बीवी की पाकिस्तान के एक चर्च में बम मार कर हत्या। विशेषज्ञों ने इन घटनाओं का दोषी हरकत उल मुजाहिदीन अल अलामी को बताया था। पाकिस्तानी पुलिस ने इसके बारे में कई तरह की बातें बतायी हैं, मसलन यह हरकत का विदेशी संगठन है या यह इंटरनेशनल इस्लामिक फ्रंट का अंतरराष्ट्रीय गुट है या यह हरकत सें टूट कर बना एक अलग गिरोह है। जब अमरीका ने हरकत पर 1997 में पाबंदी लगायी तो उसने हरकत अल अलामी के नाम से काम करना शुरू कर दिया।
हरकत उल मुजाहिदीन ने कभी भी यह नहीं छिपाया कि भारत से बाहर दक्षिणी फिलीपींस, मध्य एशियाई गणराज्य और चेचेन्या में भी उनका गुट सक्रिय है। हूजी और लश्कर - ए- तय्यबा की भी भारत के बाहर गतिविधियां हैं। लेकिन इनमें से हरकत उल मुजाहिदीन को छोड़ कर कभी किसी ने खुल कर नहीं बताया। खासकर लश्कर जो कि आई एस आई के काफी करीब है, उसने कभी खुल कर अपनी गतिविधियों के बारे में कुछ नहीं कहा। यहां तक कि उसने हेडली और राना के बारे में अभी तक कुछ नहीं कहा। लश्कर के अल अलामी (अंतरराष्ट्रीय) संगठन के बारे में तो अभी तक सुनने को नहीं मिला। इसलिये पाकिस्तान में भारतीय अंग्रेजी अखबार के रिपोर्टर को मिले टेलीफोन की सत्यता के बारे कहना कठिन है। इसके बावजूद यदि किसी ने टेलीफोन किया है तो इसका मतलब है कि किसी ने अपने को अलकायदा से जुड़ा हुआ दिखाने की कोशिश की है। यह ठीक उसी तरह है जैसा मुम्बई हमले के बाद डेक्कन मुजाहिदीन नाम के एक संगठन ने जिम्मेदारी ली थी।
दूसरी महत्वपूर्ण गतिविधि है अभी दो दिन पहले किसी इलियास कश्मीरी ने भारत आने वाले विदेशी खिलाडिय़ों को चेतावनी दी है कि वे यहां ना आयें। यह चेतावनी भी एक अखबार के पाकिस्तानी कार्यालय में ई मेल से दी गयी है। ई मेल भेजने वाले ने अपना नाम इलियास कश्मीरी बताया है। इस नाम के एक आदमी को हेडली- राना केस में एफ बी आई तलाश कर रही है। जहां तक जानकारी है इलियास पाकिस्तानी सेना के एस एस जी का कमांडो हुआ करता था और बाद में वह आतंकवाद की राह पर चलने लगा। शुरू में वह अफगानिस्तान में था, फिर कश्मीर आया और अब उत्तरी वजीरिस्तान में सक्रिय है। पहले वह कश्मीर में हूजी की हरकतों का इंचार्ज था और बाद में उससे अलग होकर उसने वजीरिस्तान में 313 ब्रिगेड नाम के एक संगठन की कमान संभाली। हेडली वजीरिस्तान में इलियास और लश्कर का समान प्रतिनिधि था। श्री लंकाई क्रिकेट टीम पर पाकिस्तान में हमले के बाद दुनिया भर की टीमें पाकिस्तान जाने से डर रहीं हैं। भारत से अपने मनोवैज्ञानिक जंग में आतंकी कुछ ऐसा ही चाहते हैं। 1983 में एशियाई खेलों के दौरान खालिस्तानी आतंकियों ने कुछ ऐसी ही धमकी दी थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की व्यक्तिगत कोशिश के कारण बे कुछ भी नहीं कर सके। आज की धमकियों को देखते हुए वैसी ही तैयारी करनी होगी। मामले को रोजाना के स्तर पर नहीं देखना होगा।

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