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Wednesday, January 23, 2013

हिंदू आतंकवाद या कांग्रेस का छद्म सेक्युलरवाद

हरिराम पाण्डेय 24 जनवरी 2013 गृहमंत्री महोदय ने कांग्रेस चिंतन शिविर के मंच से एक 'नायाबÓ रहस्योद्घाटन किया कि संघ की शाखाओं में हिंदू आतंकवादी तैयार किये जा रहे हैं। बाद में कुछ नेताओं ने उसे राजनीतिक रंग देने के लिये कहा कि उनका (गृहमंत्री का) मंतव्य था भगवा आतंकवाद से। भगवा आतंकवाद की बात तो हमारे चिदम्बरम साहब अरसे से उठा रहे हैं। अब कांग्रेसी भगवा से दूर जा कर हिंदू आतंकवाद की बात कर रहे हैं। वे तो बात यह भी कर रहे हैं कि महात्मा गांधी हिंदू आतंकवाद की भेंट चढ़ गये। शायद वे यह भी कहें कि इंदिरा जी सिख आतंकवाद की शिकार हुई और राजीव गांधी तमिल आतंकवाद के शिकार बन गये। भारत में आतंकवाद के बढऩे का कारण ही है उसे खांचों में बांट कर परिभाषित किया जाना और तदनुरूप उससे निपटने की कोशिश करना। जहां तक हिंदू आतंकवाद का सवाल है तो माननीय गृहमंत्री महोदय को यह तो मालूम होगा कि इस धरा पर कुल आबादी जितनी है उसमें हर छठा आदमी हिन्दू है। साथ ही हिंदुओं में आतंकवाद की भावना ना के बराबर होती है वरना यह कौम अपनी समस्त वीरता और दौलत के बावजूद सैकड़ों साल तक गुलाम नहीं रहती। इस बात के तमाम ऐतिहासिक, शास्त्रीय प्रमाण उपलब्ध हैं कि भारत की असली खूबी दरअसल इसकी सनातनी विचार धारा में है। इसी खूबी के कारण आज भी उसका अस्तित्व कायम है। यूनान मिस्र ओ रोमां सब मिट गये जहां से, अब तक मगर है बाकी नामोनिशां हमारा। कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी सदियों से रहा है दुश्मन दौरे जहां हमारा। यह हिंदुत्व ही है, जो भारतीय ईसाइयों या मुसलमानों को ब्रिटिश ईसाई और अरबी मुसलमान से अलग करता है और उसे उतनी इज्जत देता है, जितनी वह अपने साथी को देता है। दुनिया में हिन्दू ही एक ऐसी कौम है जो न केवल अवतारों पर भरोसा करती है बल्कि वह इस बात पर भी विश्वास करती है कि समय - समय पर विभिन्न स्वरूपों में भगवान का अवतरण हो सकता है - 'तदात्मानं सृजाम्यहम्।Ó अब तक का इतिहास गवाह है कि हिंदुओं ने कभी किसी पर हमला नहीं किया है और ना अपना धर्म जबरदस्ती मनवाने की कोशिश की है। तैमूरलंग द्वारा हिंदुओं के कत्ल-ए - आम से लेकर गोवा में ब्राह्मïणों का कत्ल और कश्मीरी पंडितों पर जुल्म इनके प्रतिकार के लिये क्या कभी किसी हिंदू संगठन ने कुछ किया? अगर गृहमंत्री जी को मालूम हो तो देश को बताएं। लोग अगर आतंकवाद को सांप्रदायिक नजरिए से देखने की आदत रखेंगे, तो भगवा आतंकवाद, लाल आतंकवाद, हरा आतंकवाद, हिंदू आतंकवाद, मुस्लिम आतंकवाद, सिख आतंकवाद, तमिल या लिट्टे आतंकवाद आदि मुहावरे बनेंगे और चलाए जाएंगे। यह नजरिया कहां तक उचित है, इस पर बहस होनी चाहिए और सही नजरिए से जो नजारे हमारी नजरों के सामने हैं, उसे देखने की कोशिश होनी चाहिए। इस प्रकार के बयान और विश्लेषण कांग्रेस खुद को सेक्युलर साबित करने के लिए करती है। बाबरी मस्जिद का गिरना कांग्रेसी छद्म सेक्युलरवाद के आस्मानी महल का गिरना था। यह उसके छद्म सेक्युलरवाद का प्रमाण है। अब रही बात संघ और बीजेपी की, तो उसके हाथ में भगवा झंडा है। मुंह में नारा है 'गर्व से कहो हम हिंदू हैंÓ, मगर कांग्रेसियों की तरह उसकी भी हिंदूवाद में निष्ठा नहीं है। इसका प्रमाण है- राम मंदिर का निर्माण नहीं होना। संघ-बीजेपी ने राम मंदिर के नाम पर देश के साधु-संतों से पैसे की उगाही करवाई और मंदिर बनाने के बदले उस पैसे से चुनाव लड़ा। सत्ता हासिल की और राम मंदिर नहीं बनाया। सत्ता में आने के बाद उसने भी कांग्रेसी तुष्टिकरण की राह पकड़ ली। यह संघ-बीजेपी के छद्म हिंदूवाद का प्रमाण है। भाजपा के छद्म हिंदूवाद को बदनाम कर सियासी लाभ लेने का छद्म सेक्युलरवादियों की कोशिश में बदनाम किया जा रहा समस्त हिंदू जाति को। क्या यह उचित है?

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