पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी ने प्रणव मुखर्जी के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि जेपीसी के गठन के लिये संसद का विशेष सत्र बुलवाया जाय। विपक्ष का कहना था कि सवाल जेपीसी के गठन का है, उस पर विचार का नहीं।
भाजपा ने जेपीसी के लिए आकाश सिर पर उठा लिया था परंतु उसके शासनकाल में भी घोटालों का अभाव नहीं था। आज कोई नहीं, जिस पर यकीन किया जा सके, धरती का कोई कोना नहीं, जिसके नीचे दबा कोई घोटाला खुदाई का इंतजार न कर रहा हो। लेकिन यही मौके होते हैं, जब किसी देश के सच्चे चरित्र का पता चलता है। आज तो लगता है कि हमारा देश समस्याओं से घिरा देश है। लोग और विरोधी नेता (सत्तापक्ष इसमें इसलिये शामिल नहीं हैं कि वह तो निशाने पर है) भ्रष्टाचार को ही सबसे बड़ी समस्या मानते हैं। मानों भ्रष्टाचार के मिटते ही देश विकास के राजपथ पर दौड़ पड़ेगा। उनके पास इस बारे में दलीलें भी हैं जो सुनने में सही या आधा सही भी लगती हैं। सबसे बड़ी बात है कि इस लड़ाई में वे लोग शामिल हैं जो खुद भ्रष्ट हैं, और जो भ्रष्ट नहीं हैं, वे इतने कमजोर हैं कि वे यह लड़ाई नहीं जीत पाएंगे।
सुनने में खराब लगता है लेकिन सच तो यह है कि इस देश से भ्रष्टाचार खत्म नहीं हो सकता। इसलिए नहीं हो सकता कि भ्रष्टाचार हमारे खून में बसा है। या तो हम खुद भ्रष्ट हैं या फिर भ्रष्ट व्यवस्था का फायदा उठाते हैं। जिस भ्रष्टाचार से हमें फायदा है, हम उसके साथ हैं। जिस भ्रष्टाचार से हमें नुकसान है, हम उसके खिलाफ हैं। दरअसल भ्रष्टाचार का पौधा अभाव की मिट्टी में जन्म लेता है और वह बढ़ता है पैसों के लालच की हवा और ताकत के पानी से। जब और जहां कोई वस्तु या सेवा कम मात्रा में होगी, या उसके लिए लंबी कतार लगी होगी, यानी उसकी सप्लाई कम और डिमांड ज्यादा होगी और उसे देने का काम किसी ऐसे व्यक्ति या समूह के पास होगा जो पैसे लेकर नियम तोडऩे को तैयार हैं, वहां भ्रष्टाचार होगा।
दिलचस्प बात यह है कि जो लोग 2 जी स्पैक्ट्रम घोटाले के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं वे उन लोगों के खिलाफ क्यों नहीं बोलते जिन्होंने ये ठेके हासिल किये हैं। पहले अपने अंदर झांकिए, फिर किसी को पत्थर मारिए। अधिकतर लोग कहते हैं, नेता भ्रष्ट हैं इसलिए समाज भ्रष्ट है। लेकिन सच यह है कि समाज भ्रष्ट है इसलिए इसके नेता भी भ्रष्ट हैं। और जैसा कि पहले कहा, जब तक जरूरी चीजों का अभाव रहेगा, फैसलों का अधिकार कुछ लोगों की मुट्ठी में रहेगा, और लोगों में गलत-सही तरीके से पैसे कमाने का लालच रहेगा, तब तक भ्रष्टाचार रहेगा, चाहे आप कांग्रेस को लाएं, बीजेपी को या बीएसपी को या सीपीएम को। आप किसको लाएंगे, किसको हटाएंगे, किस-किस से इस्तीफा मांगेंगे?
Tuesday, January 4, 2011
किस-किस से इस्तीफा मांगेंगे जनाब!
Posted by pandeyhariram at 2:04 AM
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ATI UTTAM
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