कालाधन क्यों नहीं मिल रहा है?
3 फरवरी 2016
कालाधन का मामला एक बार फिर जोर पकड़ रहा है। बुधवार को संसद में चर्चा के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कालाधन का मसला उठाते हुये कहा कि पीएम मोदी जी नई योजना लेकर आए हैं, 'फेयर एंड लवली योजना', काले धन को कैसे गोरा (सफेद) बनाया जाए। इस योजना के तहत कोई भी अपने काले धन को सफेद कर सकता है। पीएम मोदी ने 2013 में कहा था, 'मैं काला धन खत्म कर दूंगा और दोषियों को जेल भेज दूंगा। लेकिन इस योजना में किसी की गिरफ्तारी नहीं होगी। कालाधन के खिलाफ हाई वोल्टेज प्रचार के बाद सत्ता में आयी सरकार के वित्त मंत्री जब यह कहते सुने जाते हैं कि ‘मैं बहुत तकलीफ से कह रहा हूं कि लोग मेरे पास डेलिगेशन लेकर आते हैं कि घरेलू काला धन पर नरम रहें क्योंकि आखिरकार ये आर्थिक गतिविधियों का हिस्सा है लेकिन इस तरह के तर्क से तो आज की कोई अर्थव्यवस्था नहीं चल सकती’ तो बहुत हैरत होती है। 29 फरवरी 2016 को जब उन्होंने अपना तीसरा बजट पेश किया तब क्या वे घरेलू काला धन को लेकर इतने व्यथित नजर आ रहे थे? हालांकि , पिछले साल अक्टूबर में सी बी डी टी की बैठक में वित्तमंत्री ने साफ कहा था कि घरेलू काला धन पर निगाह रखी जाए। उनका पता लगाया जाए। वित्त मंत्री बजट में यह बताने से रह गए कि कितना घरेलू काला धन पता लगाया गया। उन्होंने घरेलू काला धन को लेकर बजट में जो एलान किया है वो उनकी छह महीने पहले की चिन्ता से मेल नहीं खाता है। यहां सबसे पहले बात हो कि काला धन है क्या? इससे बात समझने में आसानी होगी। भारतीय जनता पार्टी के वादों और गांधी परिवार पर लगाए गए आरोपों के कारण बहुत से लोगों का मानना है कि काला धन दरअसल, वह धन है जो रिश्वत के रूप में लिया गया और उसे विदेश भेज दिया गया। भाजपा की दृष्टि में, काले धन की समस्या भ्रष्टाचार से जुड़ी हुई है, और इसे सत्ता में बदलाव के साथ आसानी से हल किया जा सकता है। जैसा कि मोदी ने मांगा था, लोगों ने भाजपा को मौक़ा दिया, लेकिन वह कोई नाटकीय बदलाव लाने में सफल नहीं हुए। मई 2015 में वित्त मंत्री काला धन कानून पास कराने में सफल रहे, जिसके तहत जुलाई से सितंबर के बीच विदेशों में रखे काला धन के बारे में बता देना था। तय समय सीमा के भीतर बताने पर 90 फीसदी टैक्स और जुर्माना भरना था और उसके बाद पकड़े जाने पर 120 फीसदी टैक्स और जुर्माने के साथ दस साल की जेल का भी प्रावधान किया गया है। लेकिन सितंबर के बाद आयकर अधिकारियों ने इस कानून के तहत कितनों को पकड़ा और कितना पकड़ा इसकी कोई ठोस जानकारी सार्वजनिक नहीं है। आर्थिक विशेषज्ञों का दावा है कि देश में ही दबे काले धन की मात्रा स्विस बैंकों में जमा गैरकानूनी रकम से कहीं ज्यादा है। सरकार अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाए तो इस पर त्वरित कार्रवाई कर अरबों रुपये की वसूली की जा सकती है। परंतु हर दावे के बावजूद इच्छाशक्ति नहीं दिख रही है। इस साल के बजट में सुविधा दी गयी है कि जून से सितंबर के दौरान जो लोग अपना काला धन बताएंगे वे मात्र 45 प्रतिशत का कर देकर उसे सफेद बना लेंगे जबकि विदेशों में रखे काला धन बताने पर साठ फीसदी टैक्स और जुर्माना देना था। देसी काला धनखोरों पर इतनी मेहरबानी क्यों? क्या इतनी मेहरबानी नियमित टैक्स भरने वालों से होने वाली चूक के बाद की जाती है? काला धन कानून की तरह सितंबर के बाद घरेलू काला धन न घोषित करने वालों के साथ क्या सख्ती की जाएगी यह स्पष्ट नहीं हो सका। वित्त मंत्री अरुण जेटली अब कहते हैं कि देश के अंदर फैले काले धन पर ध्यान केंद्रित करना होगा और आयकर विभाग को घरेलू काला धन पर पकड़ ढीली नहीं करनी चाहिए। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने ‘आयकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से ऐसे क्षेत्रों पर अपनी पकड़ मज़बूत करने के प्रयास करने को कहा है, जहां काले धन की सबसे ज्यादा गुंजाइश है।’ उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली ही कैबिनेट बैठक में काले धन पर शिकंजा कसने के लिए विशेष जांच दल का गठन किया था। लेकिन घरेलू मोर्चे पर भ्रष्टाचार और उससे उपजे काले धन को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। भारत में रियल इस्टेट (भवन-निर्माण क्षेत्र), फिल्म निर्माण उद्योग, रत्न एवं आभूषण उद्योग में बड़े पैमाने पर काला धन खपाया जाता है। इसके अलावा चुनाव प्रचार में बड़े पैमाने पर काले धन का इस्तेमाल होता है। गैर कानूनी तरीकों से कमाया गया धन इन क्षेत्रों में लगाकर वैध बनाया जाता है। वित्त मंत्री ने कई मौकों पर कहा है कि देश के भीतर बहुत बड़ी मात्रा में काला धन है। अब हम यह नहीं जानते कि इसका बड़ा हिस्सा उन्हीं लोगों का है जिन्हें हम रसूखदार लोग कहते हैं या आम लोगों का भी है। रसूखदार लोगों को राहत क्यों दी जाती है? इस योजना का लाभ उठाकर कहीं उनका काला धन सफेद तो नहीं हो जाएगा। काला धन वाले तो सस्ते में छूट जाएंगे या फिर वित्त मंत्री ने इस बार विदेशी काला धन लाने के कानून से व्याप्त भय को दूर किया है? 1997 में चिदंबरम ऐसी योजना लेकर आए थे जिसे हम वीडीएस के नाम से जानते हैं। तब 33000 करोड़ काला धन घोषित हुआ था और सरकार को करीब नौ से दस हजार करोड़ का कर मिला था। लेकिन क्या उसके बाद काला धन बनना बंद हो गया? विदेशों में रखे काला धन और देश के भीतर मौजूद काला धन की उगाही के लिए एक कानून क्यों नहीं हो सकते? किसे बचाया जा रहा है और किसका फायदा हो रहा है? काला धन लाया जा रहा है या लोगों को सफेद करने का मौका दिया जा रहा है!
Thursday, March 3, 2016
कालाधन क्यों नहीं मिल रहा
Posted by pandeyhariram at 2:34 AM
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