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Thursday, April 7, 2016

चंद अशआर कहीं कहीं से -2



चंद अशआर

1. बिन तेरे दिन गुजर रहे हैं. .
किसी दिन हम भी गुजर जायेंगे...

2. बेगाना हमने नहीं किया किसी को....
जिसका दिल भरता गया वो हमें छोड़ता गया...

3. आजाद कर दिया है हमने भी उस पँछी को,
जो हमारे दिल मे रहने को कैद समझता था !!!...

4. बस कुछ सूखे फूल किताबों में मिले,
बदरंग मुरझाये तेरे प्यार की तरह !!
तेरी यादें, तेरा चेहरा ,तेरे दामन ही की तरह,

उस ज़माने की हर एक बात, जज़्बात की तरह !!
मिले हो आज तो इतना कहती चलूँ तुमसे,
न मिलना मुझे फिर कभी आज कि तरह !!
कि एक टूटी हुई तस्वीर हूँ मैं तेरे लिए,
जिसमे दफन है एक चेहरा एक राज़ कि तरह !!...

5. तेरे आने से ज्यादा इंतज़ार तेरे जाने का है।
ग़म का ही सही आंसू बन के मेरी आँखों में आता तो है।
जब चाहा तुझे पाया है अपने ख्यालों में
दूर ही सही मेरे होंठों से तू मुस्कुराता तो है।
ये खामोशियाँ ढूंढती है कई सवाल तेरी निग़ाहों में
दर्द ही सही "मेहरबानी तेरी", तू हर बार कुछ ना कुछ दे कर जाता तो है।...

6. काश आंसुओं के साथ यादे भी बह जातीं…
तो एक दिन तस्सली से बैठ के रो लेते…

7. “गलत कहते हैं लोग की सफेद रंग में वफा होती है…दोस्तों…!!!!
अगर ऐसा होता तो आज “नमक” जख्मों की दवा होते...

8. रात सारी गुज़र जाती है इन्हीं हिसाबों में,,
उसे मोहब्बत थी…?नहीं थी…? है…?नहीं है…

9. ज़ख़्म दे कर ना पूछा करो दर्द की शिद्दत…!
“दर्द तो दर्द” होता है थोड़ा क्या, ज्यादा क्या…

10. एक ही शख्स था मेरे मतलब का
आखिरकार वो भी मतलबी निकला..

11. कभी तुम मुझे अपना तो कभी गैर करते गये,
देख मेरी नादानी हम सिर्फ तुम्हें अपना कहते गये…

12. तुम सामने आये तो, अजब तमाशा हुआ..
हर शिकायत ने जैसे, खुदकुशी कर ली..!

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