हरिराम पाण्डेय
19 मई 2011 को 20 मई के लिखित
सुश्री ममता बनर्जी को राज्यपाल ने मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया है और आज वह अपने पद और गोपनीयता की शपथ लेंगी। यानी, सरकारी तौर पर आज से वे राज्य के शासन की बागडोर संभाल लेंगी। ममता जी ने अपनी इस महान विजय को पश्चिम बंगाल की आजादी की संज्ञा दी है। अब सवाल उठता है कि बंगाल उनसे क्या उम्मीदें करता है? लोकतंत्र में सुशासन के लिये जरूरी है कि सत्तारूढ़ दल अथवा समान विचार वाले दलों का प्रचुर बहुमत हो। क्योंकि इससे पार्टी और अन्य पक्षों को यह यकीन रहता है कि सरकार किसी सियासी संकट में नहीं फंसने वाली और वह अपना कार्यकाल सुगमता से पूरी कर लेगी। साथ ही जरूरी है कि सत्तारूढ़ दल पर ताकतवर विपक्ष का अंकुश भी रहे। तृणमूल कांग्रेस को जो बहुमत हासिल हुआ है वह डर पैदा करने वाला है। विचारवान और मेधावी लोगों के अभाव से ग्रस्त इस पार्टी का विधानसभा में विरोध हो ही नहीं सकता। लेफ्टिस्टों को जो आघात लगे हैं उससे उबरने में उन्हें लम्बा समय लग सकता है। इस सियासी हालात के कारण सरकार के सुस्त हो जाने या निरंकुश हो जाने का खतरा बढ़ जाता है। जिसके कारण वह किसी भी जायज मांग को अनसुना कर सकती है या दबा सकती है। वाम मोर्चे की पराजय के कारणों में निरंकुशता भी एक कारण थी। विधानसभा में कांग्रेस के साथ गठबंधन तो है पर राजनीतिक हैसियत एकदम असंतुलित है। इस स्थिति का सीधा प्रभाव केंद्र राज्य सम्बंधों पर पड़ेगा। क्योंकि अगले कुछ समय तक ममता जी को लगातार धनाभाव बना रहेगा और वे बार बार केंद्र से धन की मांग करेंगी। केंद्र अपने मानकों के आधार पर प्राथमिकताओं का आकलन करेगा और देरी होने या इनकार की सूरत में ममता जी शायद ही अपने गुस्से को काबू में रख सकें और यह गुस्सा समर्थन वापस लेने की धमकियों और उनके हकीकत बनने में भी बदल सकता है। आज से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन होने के बाद ममता जी की सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी राज्य में व्यापकस्तर पर रोजगार के अवसर तैयार करना। वाममोर्चे ने अपने शासनकाल में यहां के उद्योग धंधों को चौपट कर दिया। इसका राज्य की अर्थ व्यवस्था पर भयंकर दुष्प्रभाव पड़ा। वामपंथियों ने अपने शासन काल के आखिरी दिनों में इस गलती को पहचाना और उसे सुधारने की दिशा में कदम उठाया। तबतक काफी देर हो चुकी थी। उसने उद्योगों के विस्तार के लिये जमीन का अधिग्रहण शुरू किया। ममता जी ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि उद्योगों के लिये सरकार उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण ना करे। लेकिन अब ढांचागत विकास के लिये जब भूमि अधिग्रहण की जरूरत होगी तो यकीनन उसमें उपजाऊ जमीन का भी कुछ हिस्सा आयेगा। इसके लिये नयी सरकार को अपने भू अधिग्रहण कानून की समीक्षा करनी होगी और आवश्यक सुधार भी। राज्य की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिये सकल घरेलू उत्पाद में विकास करना होगा और इसके लिये टैक्स की वसूली जरूरी है। साथ ही यहां की शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्थाओं का भी विकास करना होगा। ममता जी ने हर जिले में एक अस्पताल खोलने का वादा किया था पर शायद यह वादा पूरा ना हो सके लेकिन अभी यह जरूरी होगा कि जो वर्तमान अस्पताल तथा स्कूल हैं वे ठीक से चलें। उनमें राजनीतिक हस्तक्षेप समाप्त हो जाय। ममता जी बेहद ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठï हैं। इसमें किसी को संदेह हो ही नहीं सकता। लेकिन उनकी सरकार के अन्य लोग भी अपनी जिम्मेदारी ठीक से पालन करें यह देखना भी उनका ही कर्तव्य है। राज्य की कार्य संस्कृति को देखते हुए यह बड़ा ही दुष्कर लगता है। लेकिन लगता है वे अपने साथियों को प्ररित करने में सफल हो जाएंगी। अगर ऐसा हुआ तो भविष्य का सोनार बांगला हम देख सकेंगे।
Saturday, May 21, 2011
आज से काम शुरू
Posted by pandeyhariram at 11:09 AM
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