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Wednesday, September 7, 2011

दिल्ली के दिल पर आघात



हरिराम पाण्डेय
8 सितम्बर 2011
दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर आज एक बार फिर बम धमाका हुआ है। यह धमाका गेट नंबर पांच के पास हुआ है। गृह मंत्रालय ने माना है कि यह आतंकवादी हमला है। केंद्रीय गृह सचिव आर. के. सिंह के मुताबिक सुबह 10.14 बजे धमाका हुआ। इसमें 11 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की गयी है। घायलों की तादाद 85 हो गयी है, इनमें कई की हालत गंभीर है। गृह सचिव के मुताबिक इस धमाके में आईईडी और टाइमर का इस्तेमाल किया गया है। धमाके में अमोनियम नाइट्रेट का भी इस्तेमाल किए जाने की खबर है। घायलों और मरने वालों की तादाद बढ़ सकती है। कुछ महीने पहले ही (25 मई को) दिल्ली हाईकोर्ट के परिसर में धमाका हुआ था। इस धमाके में अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किए जाने की बात सामने आयी थी। जिस जगह पर यह धमाका हुआ है वहां लोग हाईकोर्ट में प्रवेश के लिए पर्चियां बनवाते हैं। गेट नंबर पांच ही मुख्य गेट है, यहां से अधिकतर वकील और उनके मुवक्किल अदालत परिसर में घुसते हैं। चश्मदीदों के मुताबिक जिस वक्त धमाका हुआ वहां गेट नंबर पांच के आसपास करीब 200 लोग मौजूद थे। हाईकोर्ट परिसर के बाहर हुए बम धमाके के बाद संसद भवन की सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गयी है। संसद भवन धमाके के स्थान से ढाई किलोमीटर की दूरी पर है। मशहूर इंडिया गेट हाईकोर्ट से बिल्कुल नजदीक है। पी चिदंबरम ने लोकसभा में दोपहर को बयान देते हुए कहा कि यह आतंकी हमला है। उन्होंने कहा कि दिल्ली आतंकवादियों के निशाने पर रही है। चिदंबरम ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए घायलों को बेहतरीन इलाज मुहैया कराये जाने का आश्वासन दिया है। बम धमाके के बाद गृह मंत्रालय में उच्चस्तरीय बैठक हुई। केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम और वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने पीएम मनमोहन सिंह को इस बम धमाके की जानकारी दी है। पीएम इस वक्त बांग्लादेश दौरे पर हैं। पीएम ने इस बम धमाके की निंदा करते हुए इसे कायराना कार्रवाई करार दिया है। गृह मंत्रालय में विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) यू के बंसल ने कहा कि हाईकोर्ट के बाहर धमाके के बाद दिल्ली सहित पूरे देश में अलर्ट जारी कर दिया गया है। पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन हरकत-उल-जिहाद इस्लामी (हूजी) ने मीडिया को भेजे एक ई मेल संदेश में दिल्ली हाई कोर्ट के सामने हुए बम विस्फोट कांड की जिम्मेदारी ली है। इस ई मेल के मुताबिक हूजी की मांग है कि अफजल गुरु की मौत की सजा माफ की जाए। हालांकि सरकार ने अभी इस ई मेल संदेश की प्रामाणिकता स्वीकार नहीं की है। इस ई मेल संदेश की जांच की जा रही है। ई मेल संदेश में कहा गया है कि अगर अफजल गुरु की फांसी माफ करने की मांग मानी नहीं गई तो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्टों में विस्फोटों की ऐसी कई घटनाएं होंगी। अफजल गुरु को संसद हमला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2004 में फांसी की सजा सुनाई थी।
हमले के लिए बुधवार का दिन खास मकसद से चुना गया। इस दिन अदालत में ज्यादा भीड़ होती है। इसकी वजह यह है कि इस दिन जनहित याचिका की सुनवाई होती है। इसलिए आम दिनों की तुलना में काफी ज्यादा लोग अदालत आते हैं। बीते 25 मई को भी हाईकोर्ट के बाहर धमाका हुआ था। उस दिन भी बुधवार ही था। उस धमाके में जान माल का ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था। माना जाता है कि वह वारदात आतंकियों ने 'रिहर्सलÓ के तौर पर अंजाम दी थी। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार तो ऐसा लगता है कि यह हमारी सुरक्षा एजेंसियों को चुनौती है। दुनिया भर में 9/11 की घटना के बाद अपराध जांच और सुरक्षा में काफी इजाफा हुआ है पर हमारे देश में , अंतरराष्टï्रीय सहयोग के बावजूद, यह बुरी तरह नाकामयाब है। हमारा खुफिया तंत्र और आतंकवादी विरोधी एजेंसियां भारी कमियों से ग्रस्त हैं और उसे चुस्त- दुरुस्त बनाने की बातें केवल बातें हैं। विपक्षी दल भी लम्बी- लम्बी डींगें मारेंगे लेकिन वे भी राष्टï्रीय हित के इस मसले पर सरकार का ध्यान केंद्रित कराने में नाकामयाब रहे। जब इस पर वार्ता होती भी है तो एक दूसरे पर कीचड़ उछालने के सिवा कुछ नहीं हो पाता।

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