नयी दिल्ली में 3 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक राष्ट्रकुल खेलों का आयोजन किया गया है। इस खेल के शुरू होने के पहले ही असंतोष जनक निर्माण, घोटाले और भ्रष्टाचार के तरह- तरह के बेशुमार आरोपों की बातें चारों तरफ फैल गयीं हैं। जांच कमिटी बनी, कई लोग स्थानांतरित किये गये और कई लोग पद से हटाये गये या निलम्बित किये गये, इनमें डा. संजय महेंद्रू और टी एस दरबारी प्रमुख हैं और कोषाध्यक्ष अनिल खन्ना ने इस्तीफा दे दिया है। इस खेल के आयोजन समिति के अध्यक्ष हैं सुरेश कलमाडी। इन हालात को देखने समझने के बाद क्या यह माना जा सकता है कि सुरेश कलमाडी ने अपने देश का गौरव बढ़ाया है ?
इन सारी बातों के अलावा एक बात और है वह खेलों के दौरान सुरक्षा व्यवस्था।
इस पर ना आयोजन समिति ने और ना भारत सरकार ने ध्यान दिया है। क्योंकि इसके लिये अभी से ही बहुत उच्च स्तरीय कोऑर्डिनेशन की जरूरत है। यह कोऑर्डिनेशन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुफियागीरी में और उससे उपलब्ध आसूचना पर क्रियान्वयन के मामले में जरूरी है। 9/11 के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा खेल आयोजन है। इसके पूर्व था 2003 में एथेंस ओलम्पिक। इस आयोजन के दौरान एथेंस की स्थानीय सरकार ने और आयोजन समिति ने नाटो देशों और अन्य देशों यहां तक कि अमरीका से खुफियागीरी में मदद मांगी थी। बीजिंग ओलम्पिक के दौरान ऐसा कोई खतरा नहीं था, तब भी ऐसी, या यों कहें कि इससे भी कड़ी व्यवस्था की गयी थी।
राष्ट्रकुल खेल इस समय उस उपमहाद्वीप में हो रहे हैं जहां दुनिया भर के आतंकी, जिहादी संगठन का केंद्र है। यहां तक कि अल कायदा की भी मौजूदगी है और वह हमले की फिराक में भी है। 9/11 के बाद यह पहला अवसर है, जब उन संगठनों को जानी पहचानी जमीन पर एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन पर हमले का अवसर मिलेगा और अगर वे कामयाब हुए तो इतना प्रचार मिलेगा, जिसकी कल्पना नहीं कर सकते।
पाकिस्तान के उत्तर वजीरिस्तान में इलियास कश्मीरी के 313 ब्रिगेड ने तो इस पर हमले की धमकी भी दे डाली है।
यदि हम सारा ढांचा समय पर तैयार कर पाते तो हम सुरक्षा व्यवस्था की योजना भी अच्छी तरह बना सकते थे और दूसरों के मशविरे पर गौर भी कर सकते थे। अब तो आधी अधूरी तैयारियों के बाद हमारी सुरक्षा एजेंसियों की कठिनाइयां भी और बढ़ जायेंगी। खेलों के सुचारु रूप से चलाये जाने में तीन सबसे बड़ी दिक्कतें हैं। पहली- आर्थिक हेरा-फेरी और भ्रष्टाचार के बढ़ते संदेह, आधी अधूरी तैयारियां और निर्माण, जिसके फलस्वरूप सुरक्षा एजेंसियों के समझ आने वाली कठिनाइयां। रोजाना भ्रष्टाचार की खबरें टी वी चैनलों पर दिखाये जाने से यकीनन सुरेश कलमाडी की साख को देश विदेश में भरी धक्का लगा है।
सरकार को चाहिये कि काम को पूरा करने में ध्यान दें और उसके बाद सुरक्षा के लिये एजेंसियों से सम्पर्क करें। आरोपों - प्रत्यारोपों पर समय बर्बाद करने का समय अभी नहीं है। अगर इन खेलों के दौरान एक भी सफल आतंकी हमला हो गया तो देश की प्रतिष्ठा का कबाड़ा हो जायेगा। इस मसले में सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिये और तत्काल कलमाडी को आयोजन समिति के अध्यक्ष पद से हटा देना चाहिये। नये अध्यक्ष को यह जिम्मा दिया जाना चाहिये कि वे खेलों की तैयारियां ससमय पूरी करें तथा आयोजन को सफल बनाएं। सरकार को फिलहाल आरोपों का जवाब देने और अन्य तरह की सफाई देने में अपना समय नहीं बर्बाद करना चाहिये। इन इल्जामात से निपटने के लिये एक पृथक हाई पावर कमिटी का गठन किया जाना चाहिये।
Friday, August 6, 2010
राष्ट्रकुल खेल : घोटालों के अलावा बातें और भी हैं
Posted by pandeyhariram at 2:36 AM
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1 comments:
देशवासियों का मजाक है..
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