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Friday, August 20, 2010

पाकिस्तान की नयी कूटचाल

कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकियों ने सिखों को गुमनाम पत्र भेजने शुरू किये हैं, जिसमें धमकी दी जा रही है कि वे इस्लाम कुबूल कर लें अथवा घटी छोड़ दें। इससे वहां के सिखों में आतंक फैल गया है। घाटी में सिखों की आबादी लगभग 60 हजार है। कश्मीर घाटी में 97 फीसदी से ज्यादा आबादी मुस्लिमों की है।
जानकार मानते हैं कि ऐसी रणनीति के चलते सिख पलायन को मजबूर हो सकते हैं और अगर ऐसा हुआ तो उनकी हालत कश्मीरी पंडितों जैसी हो जाएगी। गौरतलब है कि घाटी से कश्मीरी पंडितों का पलायन पिछले बीस सालों में बड़ी संख्या में हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक 1990 से अब तक करीब डेढ़ लाख कश्मीरी पंडित घाटी छोड़ चुके हैं। इससे साफ है कि कश्मीर में अल्पसंख्यों के लिए हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। हालांकि, अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि ये चिट्ठियां किस आतंकी संगठन की ओर से जारी हुई हैं और उनकी वैधता क्या है ?
चाहे जो हो यह एक खतरनाक संकेत है। क्योंकि जिन्होंने पूर्वी पाकिस्तान की लड़ाई का इतिहास पढ़ा होगा उन्हें यह मालूम होगा कि इसी तरह वहां राष्ट्रवादी बंगाली मुसलमानों को खदेडऩे की साजिश शुरू हुई थी और जो बाद में बंगलादेश के उदय का कारण बना। उस समय के सामाजिक और जियो पॉलिटिकल हालात दूसरे थे और आज बिल्कुल भिन्न हैं। ऐसे में यह स्थिति विभाजन के कारकों में बदल जाय तो हैरत नहीं है।
पाकिस्तान की इस कूटचाल को समझने के लिये जरूरी है उसके कुख्यात खुफिया संगठन इंटर सर्विसेज इंटेलिजंस (आई एस आई) को समझना होगा।
आई एस आई पाकिस्तानी सेनाओं का संयुक्त संगठन है, जिसकी कमान सामान्य तौर पर एक फौजी अफसर के हाथों में होती हे। यह संगठन पाकिस्तान के भीतरी और बाहरी खतरों के बारे में आसूचना संग्रहण और विश्लेषण के लिये जिम्मेदार है। भारत में जैसे ज्वायंट इंटेलिजंस कौंसिल (जे आई सी) और नेशनल सिक्युरिटी कौंसिल सेक्रेटेरियट की (एन एस सी एस) तरह है, वहां आसूचना संग्रहण और विश्लेषण की अलग - अलग व्यवस्था नहीं है। भारत की रणनीति का सिद्धांत है कि एक ही एजेंसी को आसूचना (इंटेलिजंस) संग्रह और विश्लेषण के लिये जिम्मेदार नहीं होना चाहिये। साथ ही वह एक एक्शन एजेंसी भी हे जो पाकिस्तान के भीतर और बाहर खुफिया कार्रवाई करती है। पूर्वी पाकिस्तान का ऑपरेशन और इसके बाद बलोचिस्तान तथा अफगानिस्तान के वर्तमान आपरेशंस इसके उदाहरण हैं।

आई एस आई के पूर्व प्रमुख हमीद गुल के मुताबिक अब भारत को आंतरिक सुरक्षा में परेशान रखने का मतलब है पाकिस्तान को दो डिवीजन फौज का मुफ्त लाभ। आई एस आई भारत को अपनी आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के लिये सबसे बड़ा खतरा मानता है। उसका मानना है कि भारत के पास चूंकि उम्दा फौज और एटमी ताकत हे इसलिये वह सीमा के बाहर खतरे का सबब हे और भीतरी खतरा इसलिये है कि उसका बलोचों और सिंधियों से बेहतर सम्बन्ध है। वह अभी अपने लिये भारत को खतरा मानता है। इसलिये वहां के सेनाध्यक्ष जनरल कियानी जब चीन गये थे तो उन्होंने परमाणु हथियार और ईंधन की लगातार आपूर्ति के लिये काफी प्रयास किया। घाटी की नयी घटना भी उसकी चाल है। कश्मीरी पंडितों की तरह वह सिखों को हटा देने की नयी चाल है, सावधान रहने की जरूरत है।

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