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Friday, July 3, 2020

चीनी सीमा पर गर्म हो रहा है मामला



चीनी सीमा पर गर्म हो रहा है मामला


भारत में चीन के लगभग 59 एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया। भारत के साथ ही अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से लेकर जापान तक कई देशों ने इस पाबंदी का समर्थन किया है। अमरीकी विदेश मंत्री माइकल पॉम्पियो ने बुधवार को कहा कि भारत ने जो किया वह सही किया है और इससे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के निगरानी का एक तंत्र खत्म हो गया। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन ने अपनी सुरक्षा रणनीति का खुलासा किया और उसमें भारत चीन की मोर्चाबंदी का भी जिक्र किया। ऑस्ट्रेलिया से लेकर जापान तक, राष्ट्र संघ से लेकर आसमान तक और यूरोप में एक ढीला ढाला रणनीति संबंध है और सब के सब भारत के कदम का समर्थन कर रहे हैं। चीन ने खुलकर भारत के इस कदम पर कुछ नहीं कहा लेकिन चुपचाप 20000 और सैनिक पूर्वी लद्दाख में भेज दिए। चीन की इस गतिविधि से ऐसा लगता है मामला जल्दी सुलझेगा नहीं। क्योंकि भारत पर दबाव बनाने की चीन की चाह पर पाकिस्तान ने भी गिलगित बालटिस्तान में नियंत्रण रेखा के निकट 20000 सैनिकों को तैनात कर दिया है। चीन के इस कदम को देखते हुए दुनिया के कई देशों में भारी आशंका उत्पन्न हो गई है और सैन्य विशेषज्ञ यह कयास लगाने लगे हैं इस विवाद के कारण मलेशिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे देशों के लिए 17 उत्पन्न हो रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने इसे वर्तमान समय की चुनौती के रूप में बताया है और उन्होंने कहा कि वे सुनिश्चित करना चाहेंगे उनके साधन सही जगह पर मौजूद हैं या नहीं। अमेरिका का इशारा यूरोपियन एलाइज की तरफ है। यहां उल्लेखनीय है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद अमेरिका ने जर्मनी और जापान पर कब्जा किया था बाद में कब्जा तो रहा नहीं लेकिन दोनों देशों में अमेरिकी सेना की टुकड़ियां अभी मौजूद हैं। राष्ट्र संघ के आंकड़ों के अनुसार जर्मनी में लगभग 40000 अमेरिकी सैनिक और 15000 असैनिक मौजूद हैं। अमेरिका इन्हें हटाना चाह रहा है। पहले इन्हें पोलैंड भेजने की बात थी। यह चीन के लिए चेतावनी है। अमेरिका उसे यह बताना चाह रहा है कि वह एशिया प्रशांत की ओर मुड़ रहा है। ट्रंप लगातार चीन के खिलाफ बातें कर रहे हैं। हालांकि भारत इन बातों को गंभीरता से नहीं ले रहा है क्योंकि अमेरिकी सेना के पास समुद्र में लड़ने या बर्फीले पहाड़ों पर लड़ने की ट्रेनिंग नहीं है। हो सकता है अमेरिका अपने देशवासियों का ध्यान किसी एक मुद्दे से हटाकर दूसरी ओर करना चाह रहा है ।दूसरी तरफ चीन अपनी रणनीति क्षमता को बढ़ाना उसने अपनी अति महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के तहत विश्व के किस्से में बंदरगाह बना रखा है बंदरगाहों को सड़कों से जोड़ रहा है ताकि वह अपनी सेना को जल्दी से मोब्लाइज कर सके। बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव चीन की अरबों डालर की परियोजना है जो 2013 में जिन पिंग सत्ता में आने के बाद शुरू हुई। इस परियोजना के तहत दक्षिण पूर्वी एशिया , मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप के हिस्सों को जोड़ना है। इसके माध्यम से जमीन से लेकर समंदर तक सड़कों का जाल बिछाने वाला है।





भारत सरकार द्वारा पिछले वर्ष जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने और अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के बाद लद्दाख सीधे केंद्र के अधीन आ गया। अब क्योंकि चीन ने अक्साई चीन पर कब्जा कर रखा है और यह भू भाग भैौगोलिक रूप से लद्दाख का हिस्सा है और चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना इसी रास्ते से गुजरती है तो इसे लेकर झगड़ा तो पड़ेगा ही क्योंकि चीन की विस्तार वादी नीति को तेज आघात लगा है। भारत सरकार के इस कदम से उसके मकसद के सामने एक बड़ी बाधा उत्पन्न हो गई है। नरेंद्र मोदी के शासनकाल का सबसे सूझबूझ भरा कदम है। चीन यह रणनीतिक तैयारी किसी युद्ध की मंशा से बल्कि सीमा पर तनाव बढ़ाकर दमखम दिखाने की चाल है। चीन एक तरह से भारत को सीमा विवाद के माध्यम से धमकाने की कोशिश कर रहा है तरह-तरह के पैंतरे रहा है उन पैतरों में सीमा पर फौज की तैनाती और फिर बातचीत के बाद उसे थोड़ा पीछे हटा लेने की आड़ में वह साजो सामान जमा करने तथा निर्माण संबंधी तैयारियां मजबूत करने में लगा है। उधर, भारत भी उसकी मंशा को समझ रहा है और मिरर इमेज की रणनीति अपना रहा है। भारत पूरी तरह तैयार है। पड़ोसी देशों से सीमा पर लगातार घुसपैठ की गतिविधियों के मध्य नजर भारत में एक तरफ नियंत्रण रेखा और दूसरी तरफ वास्तविक नियंत्रण रेखा मध्य पड़ने वाले क्षेत्र लद्दाख में बेहतर बुनियादी ढांचा और सड़क संपर्क के साथ-साथ अब संचार नेटवर्क के विस्तार के प्रयास में है। भारत ने इसी नजरिए के अंतर्गत चीनी एप्स पर रोक लगाने के बाद दो और निर्णय किए जिससे चीन को भारी आर्थिक आघात पहुंचेगा। इसमें पहला निर्णय है कि भारत के हाईवे प्रोजेक्ट में चीनी कंपनियों का प्रवेश निषेध यही नहीं संचार मंत्रालय ने चीन की कंपनी द्वारा बीएसएनल के 4G अपग्रेडेशन का टेंडर रद्द कर दिया। भारत सरकार चीन पर हथियारों से नहीं हमला करने की तैयारी में है और ना चीन की ऐसी मंशा दिखाई पड़ रही है फिर भी दोनों तरफ से तनाव कायम है और दंडात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। इसी को देखते हुए भारत सरकार ने चीन के आर्थिक तंत्र पर आघात किया है और चीन घबरा गया है। सीमा पर नई तैनाती इसी घबराहट को दिखाती है। यह सब संभवतः सितंबर अक्टूबर या नवंबर तक चलेगा। जब गलवान घाटी और अन्य क्षेत्रों में बर्फ जम जाएगा तो फिर सब कुछ शांत हो जाएगा। इस बीच इन चाहता है भारत को ताकत का प्रदर्शन कर कुछ हासिल कर ले। लेकिन भारत शायद ऐसा नहीं करने देगा। जब जम्मू कश्मीर को भारत में शामिल किया गया तो चीन ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की थी उसी दिन लगने लगा था कि हिमालय पर बर्फ पिघलने के बाद कुछ होने वाला है। वैसे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कहीं ना कहीं चीन भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने के लिए छोटा-मोटा हमला कर दे। इसी उद्देश्य थे सीमा पर वह हालात को गर्म कर रहा है।

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