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Thursday, July 2, 2020

अब छठ तक गरीबों को मुफ्त अनाज



अब छठ तक गरीबों को मुफ्त अनाज


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि गरीब कल्याण अन्न योजना का विस्तार दिवाली और छठ तक कर दिया गया है। इसका मतलब है अगले 4 महीने तक देश के करीब 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया जाएगा। इसके तहत प्रति व्यक्ति 5 किलो गेहूं या 5 किलो चावल और प्रति परिवार 1 किलो चना मुफ्त मिलेगा।कोरोनावायरस महामारी में भारत सरकार ने गरीब परिवारों को यह राहत देने की योजना बनाई जिसे अब नवंबर तक विस्तार दे दिया गया है और इस योजना पर लगभग 1. 50 लाख रुपए खर्च होंगे। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है लेकिन अनलॉक एक के पश्चात लोगों में लापरवाही बढ़ गई है तथा लोगों ने सावधानी बरतनी छोड़ दी है। जबकि अनलॉक के दौरान ज्यादा सावधानी जरूरी है और लापरवाही हानिकारक है। प्रधानमंत्री ने हिदायत दी कंटेनमेंट जोन में स्थानीय प्रशासन के नियमों को पालन करना आवश्यक है। प्रधानमंत्री ने कहा लॉकडाउन के दौरान सरकार के अलावा सिविल सोसायटी ने भी प्रयास किया कि कोई गरीब भूखा ना रहे। संकट के समय सही फैसले लेने से संकट का मुकाबला करने की ताकत कई गुना बढ़ जाती है प्रधानमंत्री ने कहा कि जब लॉकडाउन शुरू हुआ था तो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना लाई गई। इसमें पौने दो लाख का पैकेज घोषित हुआ और 9 करोड़ से ज्यादा किसानों के खाते में 18000 करो रुपए डाले गए 20 करोड़ से अधिक महिला जन धन अकाउंट में पैसे डाले गए। अप्रैल मई और जून राशन 80 करोड़ लोगों को मुफ्त दिया गया इसके अलावा प्रति परिवार हर महीने में 1 किलो दाल भी मुफ्त दी गई। अमरीका पूरी आबादी ढाई गुना अधिक एवं ब्रिटेन की जनसंख्या से12 गुना अधिक लोगों को मोदी सरकार ने मुफ्त अनाज दिया।





कई लोग इसे मोदी सरकार का राजनीतिक दृष्टिकोण मान रहे हैं। उनका कहना है कि अगले दो-तीन महीनों में बिहार समेत कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। खास तौर पर उनका फोकस बिहार पर है। कुछ राजनीतिक समीक्षकों का यह मानना है कि बार-बार छठ का नाम लेकर घोषणाओं को दोहराना स्पष्ट बताता है कि मोदी जी का ध्यान बिहार पर है। लेकिन इन आलोचकों ने यह नहीं सोचा कि बिहार में जिसके लिए हुए पानी पी पीकर मोदी जी को कोस रहे हैं वहां का मुख्य पेशा और आमदनी का जरिया मेहनत मजदूरी है या फिर कृषि। बिहार में बरसात के दिनों में अनाज की भारी किल्लत रहती है और सबसे ज्यादा काम कृषि क्षेत्र में ही होता है। उसी दौरान धीरे धीरे त्योहारों का मौसम भी आता है और त्योहार ना केवल जरूरतें से बढ़ाते हैं बल्कि खर्च भी। उधर लॉकडाउन के कारण रबी की फसल का आधा अधूरा लाभ मिला। उसी दौरान बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में तेज बारिश के कारण खेतों में खड़ी रबी की फसल का सत्यानाश हो गया। साथ ही, बाहर जाकर कमाने वाले लोग महामारी के चलते घर लौट आए जिससे आमदनी शुन्य हो गई। सरकार ने शुरू में ही कठिनाइयों को समझा और मुफ्त अनाज देने की घोषणा की। आज अगर अनलॉक डाउन के तहत यह राहत बंद कर दी जाती है तो भुखमरी की स्थिति आ जाएगी। त्योहारों आना जाना इसी दरमियान शुरू होता है और यह सिलसिला छठ तक चलता रहता है। उस समय किसानों के घर में नया आना-जाना शुरू हो जाता है जिससे थोड़ी राहत मिलती है। इसी कठिनाई को ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री ने मुफ्त अनाज देने का फैसला किया। कुछ लोगों का कहना है प्रधानमंत्री ने 17 मिनट के अपने संबोधन में चीन का जिक्र नहीं किया। अब उन लोगों को या कैसे समझाया जाए कि भाषण का लक्ष्य देश के गरीब लोग थे जिन्हें केवल मेहनत करना और जान देना आता है। यह लोग ड्राइंग रूम में बैठकर सेब खाते हुए अंतरराष्ट्रीय मसलों पर चर्चा नहीं करते। यह अपने खेतों की और अपनी गरीबी की चर्चा में डूबे रहते हैं। ऐसे लोगों को चीन की बात सुनाना बड़ा अजीब लगता है। जिन 80 करोड़ लोगों के लिए प्रधानमंत्री घोषणा कर रहे थे उनमें 80 लाख लोग भी टिक टॉक नहीं जानते होंगे और अगर नाम भी सुना होगा तो उन्होंने उपयोग नहीं किया होगा । जो आलोचक इस किस्म की बातें करते हैं वह मुख्य मसले पर से फोकस भटकाना चाहते हैं। सामाजिक तौर पर हमारे देश में जो लोग ज्यादा गरीब हैं वह ज्यादा चिंतित हैं और जो ज्यादा चिंतित हैं उनमें ज्यादातर लोग बीमार हैं। ऐसे में चीन, गलवान घाटी इत्यादि की चर्चा व्यर्थ है। आज की जो जरूरत है वह है बीमार होने पर खर्च करने के लिए पैसे कहां से आएंगे, खाना कहां से खाएंगे और तब कहीं जाकर नंबर आता है बच्चों को पढ़ाएंगे कैसे? इस स्थिति में उनकी पीड़ा पर मरहम लगाने वाला अगर दूसरी बात करता है तो वह गलती करता है। मोदी जी ने इस अवसर पर चीन की चर्चा ना करके सही काम किया है। जो लोग गरीबों को मुफ्त अनाज दिए जाने की घोषणा को राजनीति से जोड़ते हैं वह खुद नहीं समझ पाते कि उनका यह इनकार भी राजनीति प्रेरित है। जिस देश में राम की पूजा करना भी राजनीतिक घटना बन जाती है उस देश में अनाज का मुफ्त वितरण अगर राजनीति से जुड़ता है तो क्या कहा जाए?

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