एक नया इतिहास लिखा गया
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया। सदियों पुराना विवाद मिट गया और भारत में भारत के सबसे महान पुरुष मर्यादा पुरुषोत्तम की स्मृति में एक भव्य मंदिर के निर्माण का करोड़ों भारतीयों का सपना पूरा हो गया। राम एक राजकुमार से मर्यादा पुरुषोत्तम बने औरइसके बाद भगवान बन गए। ठीक वैसे ही जैसे पहले कोई व्यक्ति होता है फिर अपने कर्मों से व्यक्तित्व में बदल जाता है और तब विचार बन जाता है। राम के जीवन में कुछ ऐसा ही हुआ। यही कारण है कि राम हजारों वर्षों के बाद भी भारत की आत्मा में जीवित हैं और उनका एक मूर्तिमान स्वरूप सबके सामने मौजूद है। राम केवल हिंदुओं के नहीं थे वह संपूर्ण भारत के थे इसी लिए कबीर से लेकर शमशी मिनाई तक ने राम पर कुछ न कुछ कहा है। एक तरफ जहां अल्लामा इकबाल राम को इमाम ए हिंद की संज्ञा देते हैं वही उसी के समानांतर शमशी ने कहा है मेरी हिम्मत कहां है श्री राम पर लिखूं कुछ, बाल्मीकि तुलसी ने छोड़ा नहीं कुछ। इसका अर्थ है हर कालखंड में राम पूरी दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र रहे हैं। राम के बारे में बुधवार को मोदी ने श्री राम सबके हैं और भूमि पूजन के माध्यम से एक नवीन इतिहास की रचना हो रही है। कुछ धर्मनिरपेक्ष वादियों ने राम के बारे में सुनने के बाद हिंदू धार्मिक चश्मे से इसकी व्याख्या करनी आरंभ कर दी। यह नहीं सोचा कि अगर राम की तरह या उनके द्वारा अनुसरण किए गए मार्गों को अपना लिया जाए तो यह दुनिया कितनी खूबसूरत हो जाएगी। आज हम आतंकवाद और अलगाववाद से त्रस्त हैं और ठीक यही हालत उस काल में भी हुई थी जब राम को राज्य अभिषेक छोड़कर वन जाना पड़ा था। राह में विभिन्न प्रकार के राक्षस जो रावण द्वारा प्रेषित थे। राम ने उन्हें सजा तो दी पर मारा नहीं। क्योंकि यह सब आधुनिक आतंकवाद के स्लीपर सेल थे और उन के माध्यम से उनके प्रमुख तक स्पष्ट संदेश पहुंचाने का यही तरीका था। इतना ही नहीं अयोध्या जाते समय और अयोध्या से वन जाते समय दोनों यात्राओं में राम ने जो सबसे बड़ा काम किया हुआ था भारतवर्ष की एकात्मता का काम। उन्होंने इन यात्राओं में मित्र बनाने का भी काम किया और मित्रता की परिभाषा भी गढ़ी। तुलसीदास ने मानस में लिखा है जे न होइहें देख दुख मित्र दुखारी , तेहि विलोकत पातक भारी।राम पहले व्यक्ति थे जिन्होंने संपूर्ण भारत को जोड़ा। राम पहले व्यक्ति जिन्होंने इस पूरे भारत को आतातायी सोच के खिलाफ खड़ा किया। अंगद ने आतंकवाद और आतातायी सोच को त्यागने के लिए रावण के दरबार में जब रावण को समझाना चाहा कि वह श्रीराम से जीत नहीं सकता, रावण ने कहा था वह अधनंगा सन्यासी क्या मुझे पराजित करेगा? और रावण का क्या हुआ या किसी को बताने की जरूरत नहीं है। आज भी जब हम रामलीला देखने जाते हैं या रावण दहन देखने जाते हैं तो चर्चा होती है कि फलां रावण इतना ऊंचा था। कभी कोई राम के कद के बारे में चर्चा नहीं करता। इसका अर्थ राम ने कभी किसी को आतंकित नहीं किया, सदा आकर्षित किया इसीलिए वह विचार बन गए और रावण अहंकार का प्रतीक। हर वर्ष उसे जलाया जाता है पर राम हर वक्त याद किए जाते हैं। राम जीवन में कभी कोई चमत्कार नहीं दिखा जो कुछ था वह स्वअर्जित था।
भूमि पूजन के लिए अयोध्या गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातों से कुछ ऐसा ही झलक रहा था। उन्होंने इस बात का खंडन किया कि कई इतिहासकारों ने राम को सत्य नहीं कथा माना है और इसी के आलोक में मंदिर निर्माण को गलत बताया है। प्रधानमंत्री ने कहा यह विचार ही गलत हैं, यह संकल्पना भ्रमित है। राम जन्मभूमि के लिए यह भूमि पूजन भारतीय संस्कृति का प्रतीक है। यह हमारे आंतरिक विश्वास का और हमारी संस्कृति का मूर्तिमान स्वरूप जिसमें भारत की संकल्पना ही नहीं भारत के प्रति भक्ति भी परिलक्षित होती है यह हमारी राष्ट्रीय भावनाओं को ,हमारी संस्कृति और सभ्यता को तथा करोड़ों राम भक्तों को प्रेरित करता है। जिस तरह सामूहिक समर्थन से महात्मा गांधी जी आजादी की लड़ाई की लोै जलाई उसी तरह आज का यह दिन जनता के सामने समर्थन के बगैर संभव नहीं था। आम जनता ने जिस तरह राम जन्मभूमि मंदिर के लिए संघर्ष किया यह शोध का विषय है। फिलहाल जितना महसूस होता है उसके अनुसार राम समस्त देशवासियों के अवचेतन में मौजूद हैं। इसके बावजूद हमारे समाज के जो विश्व में कभी-कभी इसी मसले को लेकर टकराव हो जाता है। नरेंद्र मोदी ने 2020 में जो सबसे बड़ा काम किया क्या कह सकते हैं इतिहासिक काम किया वह था श्री राम के विरोधाभासी रूपों को समाप्त कर एक रूप में डालने का प्रयास वरना हमारी नई पीढ़ी राम को कैसे देखती यह कहना बड़ा मुश्किल है। नई पीढ़ी राम को कैसे समझती श्रद्धा धर्म भक्ति और साहित्य से लेकरइतिहास और राजनीति तक को एक व्यंजन के रूप में परोसने वाला यह समय हमारी इंस्टैंट पीढ़ी को राम का कौन सा रूप परोसता यह तय नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मानवता और विज्ञान के स्वाभाविक विकास के क्रम से इस चिंता को मुक्त कर दिया। नई पीढ़ी जिस राम को जानेगी वह राम अब तुलसी के होंगे। आधुनिक विज्ञान युग की नई पीढ़ियां राम और रहीम जैसे शब्दों ऐतिहासिक आध्यात्मिक और वैज्ञानिक अर्थों तथा सुंदर हो को अपनी वैज्ञानिक अनुभूतियों से अवश्य समझ जाएंगी। बस उसमें एक तात्कालिक अवरोध होगा कि राम के नाम पर कथित राम भक्त और राम विरोधी दोनों अपनी-अपनी राजनीति करते रहने के लोभ को रोक नहीं पाएंगे। भूमि पूजन और वहां आयोजित समारोह के माध्यम से नरेंद्र मोदी ने इस विवाद को समाप्त कर दिया और बता दिया कि राम क्या हैं। इसीलिए कहा जा रहा है कि बुधवार को एक नया इतिहास लिखा गया जिसमें इन विवादों को समाप्त करने का संदेश है।
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