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Friday, August 14, 2020

राजस्थान की सियासी जंग फिलहाल थमी

  राजस्थान की सियासी जंग फिलहाल थमी

 सचिन पायलट ने सोमवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की।  इस मुलाकात में कांग्रेस की  महासचिव  प्रियंका गांधी भी मौजूद थीं।  इस मुलाकात के बाद सचिन पायलट ने कांग्रेस के हित में काम करने को कहा है।  जानकार बताते हैं कि पायलट ने पार्टी से बगावत इसलिए की थी  कि उन्हें मुख्यमंत्री पद चाहिए था।  इस दौरान बहुत  अफवाहें उड़ीं और यह भी कहा जाने लगा कि  पायलट भाजपा में शामिल होना चाहते हैं लेकिन ऐसा हुआ नहीं।  अब राहुल और प्रियंका के मुलाकात के बाद पायलट का कहना है कि वह किसी पद के लोभी नहीं हैं। पार्टी ने यदि पद दिया है वापस भी ले सकती है।  उन्हें अपना स्वाभिमान बचाए रखना था।  हालांकि,  पायलट ने नहीं बताया किस बात से उनके स्वाभिमान को आघात लगा था। पायलट ने कहा कि वह पिछले दो दशक से पार्टी में काम कर रहे हैं और हरदम उनकी कोशिश रही है कि वे उन लोगों की भागीदारी को सुनिश्चित करें जिन्होंने सरकार बनाने में काफी मेहनत की है। सचिन पायलट ने कहा कि कई चीजें ऐसी थी जो सिद्धांतों पर आधारित थीं  और उन्हें पार्टी फोरम पर उठाया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस मुलाकात के बाद पायलट ने अपने समर्थक विधायकों के साथ प्रियंका गांधी  से भी मुलाकात की।  हालांकि,  राहुल गांधी से मुलाकात के दरमियान प्रियंका मौजूद थीं  पर यह मुलाकात  उनसे अलग से हुई । पायलट के साथ जो विधायक थे उसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और केसी वेणुगोपाल शामिल थे। इन मुलाकातों के बाद  कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि सचिन पायलट ने खुलकर अपनी बात  कहीं और संकल्प जताया कि  राजस्थान में वह कांग्रेस के हित में  काम करेंगे।  सोनिया गांधी ने पूरी बात सुनने के बाद एक 3 सदस्यीय समितिका गठन किया जो इनकी बात सुनने के बाद शिकायतों का निपटारा कर पूरे विवाद का हल निकालेगी।  इस समिति में अहमद पटेल,  केसी वेणुगोपाल और प्रियंका गांधी शामिल हैं।  14 अगस्त को शुरू होने वाले राजस्थान विधानसभा सत्र से पहले सचिन पायलट की मुलाकात एक सकारात्मक संदेश और उम्मीद की जा सकती है पार्टी के भीतर का यह विवाद  फिलहाल खत्म हो गया।

       जब विवाद आरंभ हुआ था राजस्थान के सियासी माहौल में बेहद तनाव था।  पायलट न जाने किस कारण इतने खफा हो गए थे कि  अपने समर्थक 18 विधायकों को  लेकर बाहर निकल आए। उनकी इस कार्रवाई के बाद उनका पद ले लिया गया।

     पायलट की खुली बगावत चारों तरफ बातें होने लगीं थीं कि   कांग्रेस  नेतृत्व एक कमान  भी भी होती जा रही है।  पंजाब से हरियाणा तक हिमाचल प्रदेश से छत्तीसगढ़ तक  पार्टी में असंतोष पनप रहा है और नेता राज्य नेतृत्व को खुली चुनौती दे रहे हैं कि  वे पार्टी से अलग हो जाएंगे। लेकिन यह कोई बता नहीं पा रहा था  कि आखिर ऐसा हो क्यों रहा है? कुछ लोग अपनी बात करने से  हिचक रहे थे।  पार्टी के पूर्व प्रवक्ता संजय झा ने कहा था कि  इन दिनों पार्टी में प्रतिभाओं को नजरअंदाज किया जा रहा है तो कुछ लोग कमजोर नेतृत्व को  दोषी बना रहे थे।  संजय झा ने  सोमवार को कहा कि वे सचिन पायलट का समर्थन करते हैं।  उन्होंने कुछ आंकड़े पेश किए थे इसमें कहा गया था 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 163 सीटें मिली थी और कांग्रेस को महज 21।  2018 के  राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को एक सौ सीटें मिली जबकि भाजपा को 73।  यह सचिन पायलट का ही करिश्मा था लेकिन मुख्यमंत्री किसे बनाया गया यह सब जानते हैंं। सचिन पायलट की बगावत  की कोशिश  को नाकाम  होने के प्रमुख कारणों में से एक है कि  राजस्थान की सबसे कद्दावर नेता वसुंधरा राजे ने कथित तौर पर कांग्रेस  सरकार को गिराने के लिए विधायकों के साथ योजना बनाने से  इंकार कर दिया।  अब भाजपा उनके बगैर बहुत ज्यादा कुछ नहीं कर सकती थी।  राजस्थान एक ऐसा राज्य है जहां क्षेत्रीय नेताओं का वर्चस्व केंद्रीय नेताओं के  मुकाबले ज्यादा है। यही नहीं,  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी राजनीतिक  सूझबूझ से पायलट को हमेशा परेशान किए रखा। 

       कांग्रेस पार्टी में सुलह के आसार तो उसी दिन दिखने लगे थे जब शनिवार को  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि अगर हाईकमान बागियों को माफ कर देगा  तो वह उन्हें वापस ले  लेंगे। इसके पहले फिजां  दूसरी थी।   गहलोत ने ही  पायलट को  निकम्मा कहा था। अब वह कह रहे हैं कि अगर हाईकमान पायलट और उनके साथियों को क्षमा कर देता है वापस लेने में कोई दिक्कत नहीं है।यही नहीं,  निलंबित विधायक भंवर लाल शर्मा ने सोमवार की शाम गहलोत से मुलाकात की और कहा कि वे  सीएम के साथ हैं। सचिन पायलट की घर वापसी के बाद सोमवार को कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि  यह संभवत भाजपा के और लोकतांत्रिक चेहरे पर सीधा तमाचा है।


14 अगस्त से विधानसभा का सत्र आरंभ होने वाला है और अटकलें हैं कि गहलोत को  विश्वास मत में बहुमत हासिल नहीं होगा 200 सदस्यों वाली विधानसभा में  गहलोत के 100 सदस्यों में  19 पायलट के साथ निकल गए।  बाकी बचे 81 सदस्य।  अगर भाजपा कांग्रेस के बागी सदस्यों को समर्थन दे देती है तो मामला गड़बड़ हो सकता है। 

       लेकिन सोमवार के मुलाकात के बाद लगता है  सुलह  हो गई क्योंकि नेताओं के वक्तव्य के मुहावरे बदलते नजर आ रहे हैं।  पायलट को निकम्मा कहने वाले  गहलोत अब यह कहते सुने जा रहे हैं कि उन्हें किसी से कोई झगड़ा नहीं है लोकतंत्र में आदर्श, नीतियां और कार्यक्रम को लेकर मतभेद तो होते ही हैं इसका मतलब सरकार थोड़ी गिरा दिया जाना है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी  पत्र लिखा है कि  उनकी सरकार को गिराने का प्रयास  छोड़ दें। 

      पायलट ने  उनके मामले पर  विचार के आश्वासन  के लिए कांग्रेस हाईकमान को धन्यवाद दिया है। विधायकों  ने कहा है कि  गहलोत  को भी उनका और उनके काम का सम्मान करना चाहिए। इन सब बातों के बाद कांग्रेस विधायक रिसोर्ट में   ठहराए गए थे  उन्हें जयपुर वापस आने के लिए कहा गया है।


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