हरिराम पाण्डेय
9 अगस्त 2011
फिलाडेल्फिया में स्लट वाक पर सन्मार्ग कार्यालय में चर्चा हो रही थी और इसी दरम्यान नार्वे में ब्रेविक के खून खराबे पर विमर्श होने लगा। इनका संयुक्त संवादी प्रभाव अंतरराष्टï्रीय स्तर पर मुस्लिम विरोध के स्वरूप में सामने आ रहा था कि खबर मिली कि कुछ आतंकी सीमा पर दो भारतीय सैनिकों के सिर काट कर ले गये और सेना के सूत्रों ने दबी जुबान से इसका अनुमोदन किया है। पाकिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार के फरमान नहीं चलते बल्कि सेना और आतंकियों की मिलीजुली साजिशें चलती हैं। हाल में हमारे फौजियों के सिर काट लिये गये और उनकी लाशें कुपवाड़ा के समीप भारतीय सीमा में फेंक दी गयीं। इससे साफ जाहिर होता है कि यह फौजियों का अपहरण कर मार डालने का मामला है। जो खबरें मिल रहीं हैं उनसे पता चल रहा है कि भारतीय फौजियों के कटे सिरों को पाकिस्तानी आतंकियों ने अपने घरों में पदक के रूप में सजा रखा है। इस पूरी घटना में वैश्विक स्तर पर फैल रहे मुस्लिम विरोध के प्रतिशोध की झलक दिखायी पड़ रही है। पाकिस्तानी आतंकियों की यह मानसिकता निश्चित रूप से एक ऐसी बहस को जन्म देने वाली है जो धर्म, नस्ल, जाति और भाषा के जन्मजात संस्कारों के चलते अनायास उपजने वाले खतरों को रेखांकित करने के लिए बाध्य करती है। इस त्रासदी की बौद्धिक पड़ताल इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यहां मुसलमानों को राजनीतिक बहस और चुनाव का मुद्दा भी बनाया जा रहा है। वैश्वीकरण को हम इस रूप में गुणात्मक मानते हैं कि इसकी बिना पर दुनिया की विलक्षण संस्कृतियों के उत्कर्ष और महत्व को समझने में आसानी हुई। संस्कृतियों का विनिमय हुआ। प्रजातांत्रिक मूल्यों और बाजारवाद की ओट में वास्तव में ईसाई कट्टरपंथी (फंडामेंटलिज्म) ने दुनिया के अनेक देशों के सांस्कृतिक वैविध्य को अपनी चपेट में ले लिया। यह स्थिति खतरों से खाली नहीं है। एक तरफ लोगों में अपनी मूल अथवा पुरातन संस्कृति बचाने की जद्दोजहद है तो दूसरी तरफ पश्चिमी संस्कृति में चले जाने की होड़ है। लिहाजा नूतन और पुरातन के बीच संस्कृतियों में कशमकश है। मिलीजुली संस्कृति का प्रचलन मुस्लिम राष्ट्रों में संभव नहीं है। भारतीयों की तरह सहिष्णु और सर्व समावेशी अवधारणाएं उनके लिए गौण हैं। इस परिप्रेक्ष्य में पाकिस्तानी आतंकियों के इस ताजा करतूत को नरपिशाच की क्रूरता कहकर नकारा जाना खतरनाक होगा।
Sunday, August 21, 2011
ब्रेविक प्रभाव: हमारे जवानों के सिर काटे गये
Posted by pandeyhariram at 11:17 AM
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