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Monday, June 13, 2016

पकिस्तान में नहीं अमीरात में  में छपते जाली भारतीय नोट

ढाका में पाक दूतावास की मदद से आते हैं नोट , कोलकता सबसे बड़ा केन्द्र
भारत के  बाजार में चलने वाले 40 हज़ार करोड़   के फर्जी नोटों मे से लगभग 7.5 प्रतिशत भारतीय रिजर्व बैंककी ग़लती से चल रहा है और बाकीपाकिस्तान की मदद से आ रहा है/भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल में स्वीकारकिया है की उसकी ग़लती से 3हज़ार करोड़ के नोट बिना सिल्वर लाइनिंग के प्रिंट होगये।
और बाजार में चले गए  हैं/

रिजर्व बैंक के अनुसार देश में हर 1 लाख  नोटों पर 4 नोट नकली हैं लेकिन बैंक के अत्यंत जानकार सूत्रों के मुताबिक लगभग 7 नोट नकली हैं/
पाकिस्तान में नही संयुक्त अरब अमीरात के एक शहर    में प्रिंट होते हैं नोट

इन दिनों फर्जी  भारतीय नोट पाकिस्तानमें ना प्रिंट होकर  संयुक्त अरब अमीरात के एक बड़े शहर  में होते हैं/ अलबत्ता, इसके प्रिंटर पाकिस्तानीहैं/ 2011 तक भारतीय नोट लाहौर के पाकिस्तान मिंट नाम के सरकारी प्रेस में प्रिंट होते थे/

 

 दर असल फर्जी नोट्स का सारा कारोबार हमारी सरकारों की अक्षमता के
 कारण चल रहा है/पाकिस्तान तो केवल मौके का  लाभ उठा रहा है।  अमीरात के एक बड़े  अधिकारीने सन्मार्ग को बताया की "सारा गड़बड़भारत सरकार ने खुद किया हुआ है/ " इस पेशे में काम करने वाला मामूली आदमी भी जनता है की नोट्स की प्रिंटिंग और उसके प्रिंटिंग के काम  में आने वाले सारे सामान पर योरोप  के चार पाँच देशो का एकाधिकार है/ भारतीय संसदीय समिति की कमिटी आन पब्लिक अंडरटेकिंग्स केअनुसार 2010 में एक लाख करोड़ के 500और 1000 के नोट योरोप में छपने  केलिए आउट  सोर्स किए गये थे/ इनमें से  200  करोड़  के 500 रुपये तथा 160करोड़ के 1000 के  नोट अमरीका के बैंकनोट प्रेस को , 63.5 करोड़ 1000 के नोट इंग्लैंड डी ला रूई को , 136.5 करोड़ नोट गीसेक एंड ड़ेवरिएंट कनशोरशीआम जरमानी को प्रिंटिंग के लिए आउटसोर्स किए गये थे/  नोट के काग़ज़ स्याही वग़ैरह के उत्पादन में इन्ही कंपनियों का वर्चस्व है/यही कंपनियाँ पाकिस्तान को भी कागज ,इंक , वग़ैरह भी मुहैया कराती है/ 2011  में जब अचानक भारत में जाली नोटो की तस्करी बढ़ गयी तो सरकार चौंकी और उसने इस संकट को खत्म करने का फैसला किया/ केन्द्रीय फोरेन्सिक  लैब के रेकार्ड्स से पता चलता है कि जो काग़ज और स्याही पाकिस्तानी नोट के छपने में इस्तेमाल होता है एकदम वही काग़ज और स्याही भारतीय नोटों के लिए भी प्रयोग लाये जाते हैं/  ये काग़ज और स्याही दोनों देशों को जर्मन, आस्ट्रियन और स्कैन्डिनेविया कम्पनियाँ देती थीं/ भारत ने तत्काल उनसे इन सामानों को लेना बंद कर दिया/ सूत्रों के मुताबिक जब भारतीय नोट विदेशो में छपने के लिए भेजे गए थे उसी समय पाकिस्तानी ऐजनसीज ने कुछ भारतियों अफसरों फोड़ लिया था और उनकी मदद से 500 और 1000 के नोटों के टेमप्लेट हाथ लगा लिए और उनकी मदद से हू ब हू जाली भारतीय नोट छपने लगे/ भारत सरकार ने जब आपूर्तिकर्ता कंपनियों पर दबाव बनाया तो पाकिस्तान की खुफ़िया एजेंसी आई एस आई  ने संयुक्त अरब अमीरात के एक बड़े शहर  में प्रेस लगा लिया/ इस प्रेस का प्रभारी आई एस आई का एक अफसर है/यह पहले काठमांडू के पाकिस्तानी दूतावास में  पोस्टेड था।

जाली नोट का अर्थशास्त्र :
एक हजार या पाँच सौ के एक नोट को छपने में 350 रुपये खरच होते हैं और यह चालीस प्रतिशत पर बाजार में बिकता है/ यानी 1000 का नोट 400 रुपये में बेचे जाते हैं/

ये नोट खाड़ी के एक बड़े देश से  पाकिस्तानी दूतावास के पते पर ढाका लाये जाते हैं और वहाँ से उन्हें कोलकाता लाया जाता है/ साल भर पहले  तक ये नोट श्रीलंका और काठमांडू भी लाये जाते थे/ लेकिन श्री लंका से जाली नोट की तस्करी करने वाला करीम मोहम्मद पिछले साल कोस्ट गार्ड की गोलियों का शिकार हो गया और काठमांडू का बाल कृष्ण खड़का भूकंप में मारा गया/ 
करीम मोहम्मद लाहौर के शालीमार गेट के पास  श्रृंगार प्रसाधनों  का शोरूम चलाता था और बाल कृष्ण अबूधाबी में और दाऊद इब्राहिम के सहायक इकबाल काना उर्फ हादिज भाई उर्फ मोहम्मद शफी  का लिंक मैन था।
अतएव ये दोनों सेन्टर्स फिलहाल एक्टिव नहीं हैं/ ढाका में एन एस आई के एक अफसर ने सन्मार्ग को बताया की इन दिनों कोलकाता जाली नोट का सबसे बाड़ा सेंटर है/ सुलेमान मजूमदार और इमरान मौल्ला बंगलादेश में इस कार्य के सरगना हैं। सुलेमान मजूमदार सुमन मजूमदार के नाम से अवैध तरीके से भारत अाता जाता है। इसकी सूचना भारत सरकार को दी जा  चुकी है, पर अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
कोलकता में सीमा सुरक्षा बल मुख्यालय द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2015 से मई 2016 के बीच 3 करोड 24 लाख़ 21 हजार 5 सौ के जाली नोट पकड़े गये/ इसमें 23 भारतीय  और एक बंगलादेशी पकडे गये/ यह केवल दक्षिण बंगाल सीमा की बात है/ इन नोटों को लाने का तरीका भी बड़ा अनोखा है/ सूत्रों के मुताबिक सीमा पर रात में एक निश्चित जगह पर  उसपार से इस पार नोट  फ़ेंक दिए जाते हैं और वहां पहले से तैयार भारतीय कैरियर उसे आनन फानन में उठा कर छुपा देता है और फिर वहाँ से आने वाले तयशुदा  ट्रकों पर कोलकता आ जाता है/ जैसे ही “ माल ” पहुंचता है ट्रक का ड्राइवर एक निश्चित नंबर पर लैंडलाइन से फोन करता है/  उस फोन के कई पैरलल कनेक्शन होते हैं और जिसका फोन है वह नहीं सुनता दूसरे लोग सुनते हैं और उस ट्रक से नोट ले आते हैं/ इसके अलावा कई बार छोटी मोटी रकम कुछ लोग लेकर आते हैं/ उसमें दो एक जान बूझ कर पकडवा दिए जाते हैं ताकि सरकार ज्यादा सचेत ना हो/

   

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