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Monday, June 6, 2016

मथुरा काण्ड का मनोविज्ञान

मथुरा के जवाहरबाग का खूनी संघर्ष  शनिवार के अखबारों की सुर्खियों में है। इसमें पुलिस के दो बड़े अफसर सहित चौबीस लोग मारे गये हैं । जिसमें 11लोग उपद्रवियों द्वारा लगायी गयी अाग से 16 मरे हैं।  हथियारों का एक बड़ा जखीरा  बरामद हुआ है जिसमे 47 बंदूकें , 6 रायफलें तथा 178 हथगोलों समेत कई हथियार हैं । अदालत के आदेश पर पुलिस उस 260 एकड़ के भूखण्ड को खाली कराने गयी थी। यहां पहले  बाबा जय गुरुदेव का अाश्रम हुआ करता था , दो तीन साल पहले राम वृक्ष यादव नाम के आदमी ने कब्जा कर लिया। उसने वैदिक वैचारिक क्रांतिकारी सत्याग्रह संस्था शुरू की। खुद को वहां का सम्राट घोषित कर दिया और अपने कानून से वहां का शासन करने लगा। उसके साथ वहां पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार तथा बंगाल के लोग रहते थे। खुद को नेताजी सुभाष चंद्र बोस का अनुयायी बताता है और हास्यास्पद मांगे पेश करता था। 
इस सम्पूर्ण घटना के तीन पक्ष हैं एक सियासी दूसरा प्रशासनिक और तीसरा  समाज वैज्ञानिक। सियासी पक्ष को अगर देखें तो यह है कि अगले विधान सभा चुनाव में यह निश्चित तौर पर मुद्दा  बनेगा और अखिलेश सरकार के लिए मुसीबत खड़ी करेगा।विगत तीन वर्षों में उत्तर प्रदेश में  यह तीसरी बड़ी घटना है जिसकी गूंज देश अौर विदेश में सुनाई पड़ रही है । पिछली दो घटनाअों को तो मुलायम सिंह जी ने कांग्रेस और भाजपा की साजिश बता कर निकल गये थे, देखना है इस बार क्या कहते हैं । यह मसला इसलिये भी थोड़ा पेचीदा है कि यह संगठन खुद को नेताजी सुभाष चंद्र बोस और जय गुरुदेव अनुयायी बताता है और इसके ज्यादातर समर्थक गरीब तथा पिछड़ा वर्ग के लोग हैं । 
जहां तक इसके प्रशासनिक पक्ष की बात है तो निहायत निराशा जनक है। एक प्रशिक्षित पुलिस कैसे इतनी बड़ी गलती कर सकती है यह समझ से परे है। अांदोलनकारियों ने पुलिस से लड़ने के लिए बनकर तक बना लिए थे , हथियार जमा कर लिये थे , लोगों को ट्रेनिंग देते रहे और पुलिस का पूरा मुखबिर तंत्र फेल हो गया। इस स्थान पर बड़ी संख्या में औरते,बच्चे भी थे।इन्हें खाना मिलता था। पूरी एक सप्लाई लाइन थी उसे बंद कर लोगों को बाहर निकलने के लिए मजबूर करने की बजाय सीधी कार्रवाई कौन सी अक्लमंदी थी ,समझ में नहीं अाई।
जहां तक इसका समाजवैज्ञानिक पक्ष है वह न केवल त्रासद है बल्कि देश के भविष्य के लिए शंकाजनक भी है। गौर करें ,कुछ लोगों का एक समूह अादर्शों की अाड़ लेकर कहीं कब्जा  कर लेता और उस कब्जे को जायज बताने के लिय पुलिस से लड़ जाता है।उधर शुरु में सत्ता भी कुछ ऐसा करती है कि लगता है उसका समर्थन है।यह धारणा देश की जनता गहराई तक पैठ चुकी है। यह धारणा अाने वाले दिनों मे आंतरिक संघर्ष का कारण ना बन जाए इसी का डर है।

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