आतंक के खात्मे के लिये पाक के आगे क्यों झुकें?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ब्रिक्स सम्मेलन में कहा कि , 'आज आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा है। भारत का पड़ोसी देश उसे पालने-पोसने में लगा है। ये केवल आतंकियों को अपनी जमीन पर शरण ही नहीं देता बल्कि उस विचारधारा को बढ़ावा देता है। हमें इसके खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में जितने टेरर मॉड्यूल्स हैं, वे उस देश से जुड़े हुए हैं। आतंकवाद को राजनीतिक फायदा हासिल करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। हम इस मानसिकता का विरोध करते हैं। मोदी ने कहा, आतंकवाद से पूरा पश्चिम एशिया, यूरोप और साउथ एशिया प्रभावित है। ब्रिक्स दिशा देने में अहम रोल निभा सकता है। ये सदस्य देशों को टारगेट पूरा करने में मददगार साबित होगा।' लेकिन शायद यह संभव नहीं है।
भारत के सैनिकों ने पाकिस्तान के नियंत्रण वाले कश्मीर में घुस कर आतंकी शिविरों को नेस्तनाबूद कर दिया। इन आतंकी शिविरों को पाकिस्तान का प्रोत्साहन था। लेकिन भारत को गहरे आघात बर्बाद कर देने के पाकिस्तानी मंसूबों में कमी नहीं दिख रही है। कश्मीर में लगातार आतंकी हमले, भारतीय तट रक्षकों द्वारा गुजरात के तट पर पकड़ी गयी पाकिस्तानी नौकाएं, दिवाली के आसपास कुछ वी आई पी टार्गेट्स पर हमले की तैयारी में जुटा केरल में आई एस का मॉड्यूल यह सब पाकिस्तान द्वारा अपनी ही धरती पर रचे गये षड्यंत्र के जरिये लो इंटेन्सीटी कनफ्लिक्ट के संकेत हैं। केरल के कन्नूर क्षेत्र में आई एस के ट्रेनिंग कैम्प पर एन आई ए ने छापा मार कर दिवाली के दौरान हमले के उनके मंसूबे को नाकाम कर दिया। एन आई ए की जांच से पता चला कि यह शिविर आई एस अनवारुल खलीफा गुट द्वारा चलाया जा रहा था। इस छापे में 12 नौजवान गिरफ्तार किये गये थे। इनका मंसूबा थ कि जिस तरह पेरिस में विस्फोटकों से भी ट्रक भीड़ में घुसा कर कई लोगों को रौंद दिया गया था और बाद में विस्फोट से भी बहुत लोग मारे गये थे उसी तरह का हमला भारत में भी किया जाय। यह गुट केरल और तमिलनाडु के मुस्लिम समुदाय में हिंदुओं और भारत के प्रति घृणा और विद्वेष का प्रचार करने के उद्देश्य से पर्चे भी बांटता था। यहां यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि स्थानीय पुलिस क्या कर रही थी। या तो उसे इस शिविर के बारे में जानकारी नहीं थी या वह जान बूझ कर अंजान बनी रहना चाहती थी। दूसरी बात यह कि इस तरह के ट्रेनिंग कैम्प वहां विगत दस सालों से चल रहा था। 2008 में पुलिस ने मीडिया को बताया था कि उसने ऐसे कैम्प क सुराग पा लिया था पर सरकार ने इसके परिणामों पर सोचने से इंकार कर दिया और वह आंख मूंदी रही। पुलिस ने कुछ लोगों को पकड़ने की कोशिश की थी पर कुछ नहीं हो सका। अभी जो हाल में पकड़े गये हैं उनके साथ हथियार और गोला बारूद भी पकड़े गये हैं। विस्फोटकों की मात्रा और हथियारों की संख्या देख कर सहज ही अंदाजा सकता है कि वे क्या करने वाले थे। एन आई ए की सतर्कता से यह मामला पकड़ा गया और बहुत बड़ी विपत्ति टल गयी। दो महीने पहले कुछ स्थानीय गैर मुस्लिम परिवारों के रूदन से सरकार की नींद खुली। उन परिवारों ने शिकायत की थी कि वे उनकी लड़कियों का अपहरण कर शादी के माध्यम से दार्मांतरण कर सीरिया भेजने की फिराक में हैं। केरल के लगभग 21 युवक और युवतियां इसके लिये सीरिया जा चुके हैं। हममें से बहुतों आई एस द्वारा अपने दुश्मनों के सिर काटे जाने की विडियो देखी होगी। अस विडियो में आई एस की महिला लड़ाका भी खड़ी दिखती है। इससे जाना जा सकता है कि आई एस किस तरह मनुष्य को दानव बनाती है। इन्हें इस्लाम के पूर्व की मूर्तियां और अन्य स्थपत्य को नष्ट कर देने का भी निर्देश दिया गया है। याद करें, तालिबान का जमाना। उनहोंने अफगानिस्तान में कई बौद्ध स्मारकों को ध्वस्त कर दिया था। इनकी मनोवृत्ति देख कर समझा जा सकता है कि मध्य एशिया से भारत आये हमलावरों ने क्यों काशी, मथुरा , सोमनाथ इत्यादि स्थानों के मंदिरों को ध्वस्त किया था। इन दिनों पाकिस्तान एक जिहादी राष्ट्र के रूप में उभर रहा है। इसलिये अब समय आ गया है कि दुनिया इस पर सोचे कि उसकी बारम्बार अपील के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। पाकिस्तान इन दिनों मध्य युग की तरह धर्म संस्थान एवं सेना के संयुक्त नियंत्रण में है और वहां की जनता के एक बहुत बड़े हिस्से के दिमाग में यह बैठा दी गयी है कि दुनिया भर में उनके फैलने में ही निस्तार है। यह दुनिया की शांति की अपील को सुनने वाला नहीं है। आज स्थिति ठीक नाजियों ने 1930 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री चेम्बरलेन की अपील को ठुकरा दिया था। जिसका नतीजा हुआ कि पूरी दुनिया युद्ध की आग में जल उठी। आज पाकिस्तान के बारे में दुनिया से अपील करने से शायद ही कुछ हासिल होगा।
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