जाना रीता बहुगुणा जोशी का भाजपा में
रीता बुगुणा जोशी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की एक महत्वपूर्ण नेता थीं। उन्होंने कांग्रेस छोड़ कर भाजपा का दामन थाम लिया। लेकिन लगता है कि कांग्रेस को इसकी बिल्कुल चिंता नहीं है। हालांकि मीडिया में यह बारम्बार कहा जा रहा है कि कांग्रेस को इससे भारी झटका लगेगा पर कांग्रेस की बड़े नेताओं का दावा है कि रीता बहुगुणा जोशी का जनाधार नहीं था इसलिये उत्तरमेश विधान सभा चुनाव पर उनके निष्क्रमण का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कांग्रेस के नेताओं ने 2012 के उत्तर प्रदेश चुनाव के परिणाम का हवाला देकर कह रहे हैं कि जब रीता बहुगुणा जोशी यू पी कांग्रेस की प्रमुख थीं तो कुछ बना नहीं पायीं तो अब क्या बिगाड़ लेंगी। 2012 के चुनाव परिणाम खुद ही बहुत बातें बता रहे हैं। उस चुनाव में पार्टी की खराब हालत के लिये खुद को जिम्मेदार बताते हुये रीता जी ने प्रदेश कांग्रेस प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया था। यहां तक कि 2014 के चुनाव में वे लखनऊ में राजनाथ सिंह से 2.7 लाख वोट से हार गयीं थीं। 2012 के चुनाव परिणाम के बाद जब यू पी कांग्रेस का नेतृत्व नयी टीम को सौंपा गया जिसमें शीला दीक्षित को मुख्य मंत्री के रूप में पेश किया गया और पार्टी की कमान राज बब्बर को सौंपी गयी उसी समय यह जाहिर हो गया था कि रीता जी पार्टी छोड़ेंगी। उनके भाई विजय बहुगुणा भी उत्तराखंड से भाजपा में शामिल हो चुके हैं। पिछले महीनों से जो बदलाव दिख रहा था उसमें रीता बहुगुणा के पास कोई विकल्प बचा भी नहीं था। उन्हें बिल्कुल दरकिनार कर दिया गया था। यहां तक यू पी कांग्रेस कमिटी में भी उनकी कोई भूमिका नहीं दिखती थी और राजमर्रा के काम काज से उन्हें अलग ही रखा जाता था। इसी तरह की कुछ महीने पहले एक घटना हुई। यू पी कांग्रेस कमिटी के नेता आने वाले विधान सभा चुनाव की रणनीति पर विचार करने के लिये नयी दिल्ली में ए आई सी सी के कार्यालय में एकत्र हुये थे। वहां रीता जी को नहीं बुलाया गया था। जब उन्हें यह बात चली तो वे अचानक वहां जा पहुंचीं। उनका इस तरह आना देख कर वहां उपस्थित मीडिया कर्मी चौंक गये। बाद में पता चला किजबसे यू पी कांग्रेस का काम नयी टीम ने संभाला है तबसे उनके साथ अक्सर ऐसा होता है। इसके कुछ दिन बाद ही सरगोशियां होने लगी कि रीता बहुगुणा भाजपा में जा रहीं हैं पर कांग्रेस इसे निराधार अफवाह कहती रही और बताती रही कि वे अस्वस्थ हैं इस लिये पार्टी कार्यक्रमों आ जा नहीं रहीं हैं। यहां तक कि उनके पति पी सी जोशी ने भी बयान दिया था कि रीता जी के गले में कुछ इन्फेक्शन है इसलिये उनका कहीं आना जाना मुश्किल है। अब वे क्या कहतीं। उनके भाई विजय बहुगुणा ने भी भाजपा में रीता बहुगुणा के आने की खबरों का खंडन किया था। जबकि वे खुद चार माह पहले कांग्रेस से भाजपा में आ गये थे। रीता बहुगुणा अचानक राहुल गांधी की आलोचना करने लगीं और कहने लगीं कि राहुल गांधी को यू पी लोग नापसंद करते हैं। उनका कहना था कि राहुल गांधी पार्टी या संगठन को समझते ही नहीं हैं और ना कार्यकर्ताओं की सुनते हैं। वे नरेंद्र मोदी की बड़ाई करते नहीं थकतीं। उन्होंने राहुल गांधी के अलावा पार्टी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर की आलोचना किया करतीं थीं। भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा कि दुखद यह है कि पार्टी को प्रशांत किशोर को ठेके पर दिया गया है। रीता बहुगुणा के आरोपों के जवाब में कांग्रेस ने उन्हें दगाबाज कहा और साथ ही कहा कि पार्टी बदलना उनके परिवार की आदत है। यह तो पहले ही साफ हो चुका है ीकि यू पी का चुनाव कांग्रेस के हाथ से निकल गया है पर रीता बहुणा का जाना कांग्रेस नेतृत्व पर उंगली उठाता है। यही नहीं पार्टी के कार्यकर्त्ता भी यह महसूस करने लगे हैं कि शीर्ष पर राहुल गांधी के रहते हुये संगठन को फिर से ताकतवर बनाना बड़ा कठिन काम है।
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