सपा का घमासान एक नया संकेत
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कल बता दिया कि वे धृतराष्ट्र नहीं हैं। ना अंधे हैं और ना पुत्रमोह से ग्रस्त हैं। लेकिन यह ट्रेजेडी है कि उन्होंने अपने पुत्र और अपनी पार्टी के खिलाफ अमर सिंह तथा भाई शिवपाल सिंह द्वारा की जा रही साजिशों के प्रति आंखें जरूर बंद किये रहे। सोमवार को लखनऊ में उन्होंने पार्टी के विधायकों की एक बैठक में अपने पुत्र और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह का जमकर खिंचाई की। यही नहीं एक तरह से उन्होंने अपने पुत्र को भी सभा में बुरी तरह से डांटा और बात में सलाह दी कि अपने चाचा शिवपाल सिंह के गले लग जाओ। लेकिन गले मिलने से जन्मी उष्मा ज्यादा देर नहीं कायम रह सकी और चंद मिनटों के दरम्यान ही अखिलेश सिंह ने कहा कि उनके समर्थकों ने बताया है कि अमर सिंह एंड कम्पनी ने एक अखबार में एक खबर छपवाई है जिसमें उन्हें शाहजहां और मुझे औरंगजेब कहा गया है। इससे अखिलेश और शिवपाल सिंह में थोड़ी धक्कामुक्की और कहा सुनी हो गयी। शिवपाल सिंह ने उन्हें झूठा कहा और माइक छीनने की कोशिश की। परिवार की कलह अपनी सारी विद्रूपताओं के साथ चौराहे पर आ गयी। शिवपाल सिंह ने आरोप लगाये कि अखिलेश ने भाजपा की मदद से पार्टी को तोड़ने का प्रयास किया है। कहासुनी के दौरान दोनों ने अपनी मांगों को बी रखा। अखिलेश ने कहा कि वे टिकट बटवारे में खुदमुख्तारी चहहते हैं तो शिवपाल सिंह ने कहा कि वे पार्टी चलाने में आजादी चाहते हैं। दोनों में कोई मेटमाट नहीं हो सका। बाद में दोनो अकेले में मुलायम सिंह से मिले। थोड़ी देर के बाद जब वे दोनो घर से बाहर निकले तो अखाबरों का कहना है कि दोनो के चेरे पर मुस्कुराहट थी। मुलायम सिंह ने अमर सिंह, शिवपाल, गायत्री प्रसाद प्रजापति और मुख्तार अंसारी के प्रति अपना रुख एकदम स्पष्ट कर दिया। उन्होंने साफ कह दिया कि शिवपाल अपनी कुर्सी मुझे देकर जमीन पर बैठ सकते हैं। वे पार्टी के ग्रासरूट नेता हैं। अमर सिंह के बारे में मुलायम सिंह ने कहा कि अगर वे उन्हें नहीं बचाये होते तो मैं सात साल के लिये ‘भीतर’ हो जाता। जिस जेल की बात वे कर रहे हैं वह संभवत: उनके मुख्यमंत्रित्व काल में अघोषित धन का मामला था। मुलायम सिंह ने अखिलेश सिंह यादव को यह अच्छी तरह समझा दिया कि मुख्यमंत्री बने रहना तो बने रहो पर पार्टी मामलों में टांग मत अड़ाओ। मुलायम सिंह ने अपने भाषण में कुछ नहीं छोड़ा। उन्होंने अमर सिंह के बारे में यहां तक कह दिया कि वे हमारे भाई हैं और मैं उन्हें नहीं छोड़ सकता। मुलायम सिंह ने पार्टी के नाताओं को भी एक तरह से सबक दिया। उन्होंने साफ कहा कि मंत्री पद मिल जाने के बाद लोगों का दिमाग खराब हो गया है और नेताओं ने चापलूसी का धंदा बना लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि मैंने ौजवानों को सबसे ज्यादा सममान दिया है और कोई यह ना जाने कि नौजवान मेरे साथ नहीं हैं। पर अखिलेश अपनी जिद्द पर कायम थे। वे लगातार अमर सिंह के खिलाफ बोलते रहे। सभास्थल से बाहर निकलने के बाद वे अपने नौजवान समर्थकों और दर्जन भर मंत्रियों के साथ फिर बैठे। लेकिन मुलायम सिंह ने उनकी औकात बता दी। उन्होंने यह बता दिया कि अखिलेश सिंह राजनीतिक तौर पर एकाकी है और देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री का पद भी जा सकता है। पार्टी ने अखिलेश सिंह यादव के सभी विकासमूलक कार्यो को खारिज कर दिया और पार्टी के नेताओं तथा जनता के सामने अखिलेश की किरकिरी कर दी। ऐसे में अब अखिलेश सिंह यादव के पास बहुत विकल्प नहीं बचते हैं सिवा इसके कि वे अपना मान बचाने के लिये इस्तीफा दे दें या फिर रबर स्टाम्प की मानिंद पद पर बने रहें। कुल मिला कर यह कहा जा सकता है कि इस बैठक में कोई सुलह नहीं हुई है और ना उम्मीद है कि सुलह होगी। डर इस बात का है कि कहीं मुख्यमंत्री राज्यपाल से मिलकर विधानसभा भंग किये जाने का प्रस्ताव ना कर दें। या यह भी हो सकता है कि मुलायम सिंह अपने पुत्र अखिलेश सिंह को अपनी कुर्सी देकर राष्ट्रीय अध्यक्ष ना बना दें। दोनो स्थितियों में पार्टी का टूटना तय है। चुनाव के पूर्व यह घटना य पी में एक नये राजनीतिक समीकरण का संकेत दे रही है।
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