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Monday, October 3, 2016

चीन के बल पर ऐंठा है पाकिस्तान

चीन के बल पर ऐंठा है पाकिस्तान

चीन फौजी साजो सामान की दुनिया तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। उस इस पद पर पहुंचाने में पाकिस्तान का सबसे बड़ा हाथ है। दुनिया को यह जानकर हैरत होगी कि चीन अपने कुल  हथियार उत्पादन का 35 प्रतिशत यानी एक तिहाई से कुछ ज्यादा हथियार पाकिस्तान को निर्यात करता है। यही नहीं चीन की फौज उसे ट्रेनिंग और हथियारों के उपयोग का हुनर भी बताती है। क्योंकि वह नहीं चाहता कि 1965 के भारत पाक युद्ध में अमरीकी युद्धक विमानों और टैंकों की जो किरकिरी हुई थी वह उसके सामानों की ना हो। पांच साल पहले तक अमरीका और चीन दोनों पाकिस्तान को लगभग बराबर हथियार देते थे। अमरीका उसे कुल जरूरतों का 39 प्रतिशत हथियार देता था जबकि चीन 38 प्रतिशत। आज हालत बदल गये हैं। अमरीका से वह मात्र 19 प्रतिशत हथियार लेता है। विश्लेषकों का मानना है कि उन्हीं हथियारों के बल पर वह ऐंठा हुआ है और भारत को सबक सिखाने तैयारी में जुटा है। स्टॉकहोम पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है पाकिस्तान को हथियार देने के कारण ही चीतन दुनिया में तीसरे बड़े निर्यातकों में शुमार हो रहा है। यही नहीं , भारत पाकिस्तान के बाच मौजूदा तनाव तथा परमाणु युद्ध के खतरों के बावजूद चीन उसे हथियारों की बेराकटोक आपूर्ति कर रहा है। पाकिस्तान का संबंदा अमरीका से बिगड़ रहा है क्योंकि वर्तमान तनाव के मद्देनजर अमरीका ने उसे सैनिक साजो सामान की आपूर्ति रोक दी है अथवा कम कर दी है। अगस्त 2016 की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अमरीका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सामरिक मदद में से 73 प्रतिशत कटौती कर दी है। यही नहीं कम कीमत पर एफ 16 विमानों को  बेचने का सौदा भी रद्द कर दिया है। पिछले महीने ही पाकिस्तान और चीन में 33 हजार करोड़ रुपये मूल्य की पनडुब्बियों का सौदा हुआ। यह इन दोनों के बीच अब तक का सबसे बड़ा सामरिक सौदा है। इन पनडुबियों से परमाणु मिसाइलें दागी जा सकती सैं ओर एक तरह से भारत के पनडुब्बी मिसाइल प्रक्षेपण क्षमता का यह जवाब है। इसके अलावा चीन की मदद से पाकिस्तान ने ने हाल ही में 300 जे एफ 17 फाइटर विमान बनाया है। जेन्स डिफेंस पत्रिका के अनुसार ये विमान पाकिस्तानी वायु सेना की रीढ़ हैं। यही नहीं नाइजीरिया ने इन विमानों के आयात का पाकिस्तान से समझौता भी किया है। पत्रिका के अनुसार इस समझौते के साथ ही पाकिस्तान भी हथियार निर्यातक देश बन कर अकड़ गया है। यही नहीं लगभग 7500 लाख डालर मूल्य के जुल्फीकार श्रेणी के चार फ्रिगेट पाकिस्तान ने हासिल किये हैं जिनमें तीन तो चीन के बने हैं और एक चीन की मदद से कराची में बना है। इन फ्रिगेट की वहन क्षमता 25 हजार हटन है। इनके अलावा इसने चार फास्ट अटैक क्राफ्ट भी प्राप्त किये हैं। 560 टन क्षमता वाले अजमत श्रेणी के ये जलयान तेजी नौ सेना प्रतिष्ठानों पर हमला कर सकते हैं। इन चार में से एक चीन से आया है और बाकी तीन चीन की मदद से पाकिस्तान में ही बने हैं। पाकिस्तान ने 600 भहारी टैंक भी बनाया है। पाकिस्तानी आर्मर कोर की रीढ़ है ये टैंक और इनका नाम रखा है अल खालिद। ये चीन के 90-II  टैंकों की नकल हैं। 6000 लाख डालर की कीमत से पाक ने 9 मिडियम रेंज मिसाइलें भी हासिल की हैं। जो सवा से जमीन पर मार कर सकती है तथा इसकी इंटरसेप्ट रेंज 40 किलोमीटर है। 2011 से 15 के बीच चीन ने 8.4 अरब डालर के हथियारों का निर्यात किया है और फ्रांस तथा जर्मनी जैसे निर्यातकों को पछाड़ दिया है। तब भी अभी अमरीका और रूस से पीछे है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीन के सास्त्र निर्यात का हिस्सा 2006- 10 के 3.6 पतिशत से बढ़कर 2011- 15 में 5.9 प्रतिशत हो गया है। यह वृद्धि उल्लेखनीय है। इस अवधि में चीन ने एक महाशक्ति के रूप में न केवल अमरीका को चुनौती देनी शू कर दी है बल्कि वह पाकिस्तान की पीठ ठोंक कर भारत को असंतुलित करने का तरीका खोज लिया है ताकि भारत पर ना केवल मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़े बल्कि वह विकास की दौड़ में भी पर्याप्त तेजी ना पकड़ सके। इसके साथ् ही सनकी पाकिस्तान भारत के साथ कब युद्ध आरंभ कर दे इसका कोई ठिकाना नहीं। इसके कारण भारत में भी हर स्तर पर एक तनाव भरी बेचैनी है। चीन का यही तो उद्देश्य है।

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