चीन के उम्मीदों पर एक और प्रहार
भारत सरकार ने 5जी की टेस्टिंग के लिए हुवाई कंपनी के प्रवेश पर रोक लगाकर जो उसकी उम्मीदों पर प्रहार किया था अभी उसका दर्द बाकी था कि भारत ने टिक टॉक समेत 59 एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया भारत के बारे में जो जानकारियां तथा भारत के संप्रभुता के विरुद्ध काम करने का जो सपना था चीन का वह चकनाचूर हो गया। सरकार ने निजता की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 के अंतर्गत इसे लागू करते हुए मंत्रालय ने यह कदम उठाया।इस तरह से प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अब भारत के करोड़ों स्माटफोन यूजर्स को यह सारे एप्स नहीं मिल पाएंगे क्योंकि एंड्रॉयड और आईओएस प्लेटफार्म से एप्स को हटा दिया जाएगा। जिनके मोबाइल में ऐप्स इंस्टॉल्ड हैं तब तक मौजूद रहेंगे जब तक वह उन्हें मैनुअली नहीं हटाते हैं। हालांकि, एप स्टोर से हट जाने के बाद उनके लिए अब अपडेट नहीं आएंगे। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एप्स को हटाए जाने के साथ ही कहा है कि विभिन्न स्रोतों से यह सूचना मिल रही थी कि मोबाइल एप्स का दुरुपयोग हो रहा है। चूंकि , इनका सर्वर देश से बाहर है इसलिए इसका दुरुपयोग बड़ा आसान हो जाएगा और इससे अंततोगत्वा हमारी संप्रभुता को और एकजुटता को खतरा पैदा होगा। पाबंदी की सूचना के बाद इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को निर्देश जाएंगे कि वे इन एप्स को ब्लॉक कर दें। बहुत जल्दी इसे उपयोग करने वालों के पास सूचना आएगी कि इसका उपयोग सरकार आदेश के फलस्वरूप बंद कर दिया गया है। इसमें दिलचस्प बात यह है कि कुछ एप्स भारत में बेहद लोकप्रिय हैं खासकर टिक टॉक। आंकड़े बताते हैं कि भारत में इसके 10 करोड़ यूजर हैं। इसके अलावा भी कई बेहद लोकप्रिय एप्स हैं और बहुत संभव है कि लोग इसका विकल्प खोजने लगेंगे।
भारत की सदाशयता देखी थी अभी हाल में जनवरी 2020 में क्वालकम ने मोबाइल के लिए तीन नए चिपसेट स्नैप ड्रैगन 720जी, 662 और 460 बनाया था। इसमें नेविक ने भी सहयोग दिया था। नेविक एक क्षेत्रीय जिओ पोजिशनिंग सिस्टम है जो भारतीय भूमि के बारे में 1500 किलोमीटर के दायरे मैं मौजूद किसी भी वस्तु के बारे में सही सही जानकारी देगा। नेविक से 7 सेटेलाइट जुड़े हुए हैं और इनमें से3 हिंद महासागर में जियोस्टेशनरी आर्बिट में हैं और बाकी 4 जिओसाइनोक्रोनस आर्बिट में हैं। इसके माध्यम से चीन भारतीय सीमा की बिल्कुल सटीक जानकारी एकत्र कर लेता है।
कई चीनी प्लेटफॉर्म्स भारतीय निर्माता हैं। इसके बंद होने से उन लोगों की आमदनी बंद हो जाएगी जिनका यह एकमात्र स्रोत है। यही नहीं बड़ी संख्या में कार्यालय बंद हो जाएंगे और कुछ हजार नौकरियां चली जाएंगी। इन जाती हुई नौकरियों के साथ ही चीन के पक्ष में विचार बनाने के कुछ प्रोजेक्ट बंद हो जाएंगे। यह चीन के लिए बहुत बड़ा आघात होगा। क्योंकि, आधुनिक युद्ध के दौरान दुश्मन देश में एक बड़ा समूह वैचारिक समर्थन करता है तो उसके लिए सरलता होती है। सिकंदर ने जब भारत पर हमला किया तो निहत्थे चाणक्य ने उसके खिलाफ देश में वातावरण खड़ा कर दिया और नतीजा हुआ कि विश्वविजय का सपना देखने वाले सिकंदर को सिर झुकाए झेलम के तट से ही लौट जाना पड़ा। इस पाबंदी से लाभ तब होगा जब यह स्थाई हो। पिछले साल भी मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर इसे कुछ दिन के लिए बंद करना पड़ा था बाद में यह फिर से शुरू हो गया। लेकिन, इस बार सरकारी आदेश की भाषा और प्रतिबंध के समय को देखते हुए ऐसा लगता है कि यह स्थाई होगा। क्योंकि यह बड़े चीनी कारोबार के लिए एक चेतावनी के रूप में जारी किया गया है।
इस पाबंदी के लिए सरकार को कभी दोषी नहीं कहा जा सकता क्योंकि कई हफ्तों की बातचीत के बाद 26 जून को सिग्नल मिल गया कि बात बनने वाली और वार्ता अंधे मोड़ पर आकर खत्म हो गई है। पहली बार सार्वजनिक रूप से विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन ने लद्दाख में जो किया है उसके परिणाम दूर तक जाएंगे। अगर ऐसा है तो देश के हित में सोचना जरूरी है और सरकार ने जो किया वह बिल्कुल जायज है। क्योंकि आगे बातचीत से स्थिति और बिगड़ेगी। चीन नहीं चाहता शांति कायम हो।
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