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Monday, September 16, 2019

नौकरी की नहीं काबिल लोगों की कमी है

नौकरी की  नहीं काबिल लोगों की कमी है

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार  राज्य मंत्री श्री संतोष गंगवार ने  कहा कि हमारे देश में नौकरियों की कमी नहीं है ,कमी है उत्तर भारत में योग्य उम्मीदवारों की। उन्होंने कहा कि उत्तर भारत से जो लोग रोजगार के लिए आते हैं उनके बारे में अक्सर शिकायत रहती है कि वे उस पद के लिए योग्य नहीं है जिसके लिए उन्हें बुलाया गया है । उन्होंने कहा कि ,मैं वही मंत्रालय देख रहा हूं और रोज प्राप्त आंकड़ों के आधार पर ऐसा कह रहा हूं। उनका यह बयान एक ऐसे वक्त में आया है जब अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही है और रोजगार का अभाव होता जा रहा है। अर्थशास्त्री एवं राजनीतिज्ञ इसके लिए केंद्र सरकार की ओर उंगली उठा रहे हैं। सांख्यिकी  और  कार्यक्रम  क्रियान्वयन  मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार अर्थव्यवस्था में यह मंदी उत्पादन और कृषि क्षेत्रों में कम उत्पादन के कारण हो रही है। गंगवार का यह बयान नेशनल सैंपल सर्वे के बयान से ठीक विपरीत है। नेशनल सैंपल सर्वे के बयान में कहा गया था कि  देश में बेरोजगारी की दर विगत 45 वर्षों में सबसे निचले स्तर पर है । 2019 के चुनाव के पूर्व यह रिपोर्ट लीक हो गई थी, तब सरकार ने इसे खारिज कर दिया था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दूसरी कैबिनेट के शपथ लेने के दूसरे दिन ही सरकार ने जो आंकड़े जारी किए उसमें बताया गया था कि बीते 4 दशकों में बेरोजगारी की दर सबसे खराब है। देश में रोजगार का संकट बढ़ा है। आर्थिक विकास की दर 5% पर आने से वाहन क्षेत्र ,कपड़ा क्षेत्र, चाय उद्योग इत्यादि क्षेत्रों में लगातार छटनी की खबर मिल रही है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री गंगवार की बात काफी प्रतिक्रियाओं को आमंत्रित कर रही है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया पर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि" 5 साल से ज्यादा आपकी सरकार है। नौकरियां पैदा हुई नहीं और जो नौकरियां थी वह आर्थिक मंदी के चलते खत्म हो गईं। " प्रियंका गांधी ने ट्वीट में यह भी लिखा कि "आप उत्तर भारतीयों का अपमान करके बच निकलना चाहते हैं लेकिन यह नहीं चलेगा।"
        संतोष गंगवार ने शनिवार को यह बयान दिया था और रविवार दोपहर आते-आते उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि जो बयान उन्होंने दिया था उसका संदर्भ दूसरा था। उन्होंने माना कि कौशल में कमी है और सरकार ने कौशल विकास इसीलिए शुरू किया है ताकि बच्चों को अनुरूप ट्रेनिंग दी जा सके। कुछ दिन पहले एक रिपोर्ट में बताया गया था कि हमारे देश में नौकरियां किस तरह लगातार घट रही हैं। अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट में भी यह बताया गया है कि 2016 के बाद लगातार नौकरियां कम हुई हैं। संतोष गंगवार के बयान के बाद सोशल मीडिया पर यह सवाल उठाए जा रहे हैं कि "कौशल विकास तो 2014 में आरंभ हुआ तो फिर उसका क्या हुआ, स्किल इंडिया क्या फेल कर गया?"
       दो हफ्तों में शायद यह तीसरा मौका है जब इसी केंद्रीय मंत्री ने अपने बयान से विवाद पैदा कर दिया और खुद उसमें घिर गए। गुरुवार को केंद्रीय रेल और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने 5 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था के बारे में कहा कि जो  आप टीवी पर देखते हैं  उस हिसाब किताब में मत पड़िए। "ऐसे गणित से आइंस्टीन को गुरुत्वाकर्षण की खोज में मदद नहीं मिली थी।" इसके पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऑटो सेक्टर में मंदी का कारण नौजवानों की सोच में बदलाव को बताया। वित्त मंत्री ने कहा कि नौजवान वाहन खरीदने के बदले उबर- ओला का प्रयोग कर रहे हैं। संतोष गंगवार का यह बयान नौकरी खोजने वाले नौजवानों के जख्म पर नमक रगड़ने की तरह है। जिस मंत्रालय का काम ही नौजवानों को नौकरी दिलाना है उस मंत्रालय का ऐसा बयान देश के बेरोजगार युवकों पर क्या असर दिखाएगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन इस तरह के बयान निराशा ज्यादा उत्पन्न करते हैं और सरकार को खासकर एक कल्याणकारी सरकार को इससे बचना चाहिए।

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