पाकिस्तानी हुकूमत तैयार रहे
भारत में देवी पक्ष की शुरुआत होने वाली थी और उधर संयुक्त राष्ट्र में मोदी जी तथा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भाषण देने वाले थे। मोदी जी ने स्पष्ट कहा कि "हमारे देश ने युद्ध नहीं बुद्ध दिया है।" यानी शांति का संदेश दिया। शांति के इसी संदेश के आलोक में दुर्गतिनाशिनी महिषासुर संहारिणी मां दुर्गा के पद चाप साफ सुनाई पड़ रहे थे। इसके बाद इमरान खान ने जब बोलना शुरू किया तो वे एटम बम का ख्वाब दिखाने लगे। यह अकेले उन्हीं की बात नहीं है। कुछ दिन पहले पाकिस्तान के रेल मंत्री साहब ने पाव आधा पाव एटम बम की धमकी दी थी। एक जमाने में एंग्री यंग मैन अमिताभ बच्चन एक डायलॉग मशहूर हुआ था कि" हमारे पास मां है, तुम्हारे पास क्या है ? " अब वह जमाना लद गया अब चल तो रहा है "मेरे पास आधा पाव का एटम बम है तुम्हारे पास क्या है?" वह नहीं समझ सके कि जिस देश का हर कंकर शंकर है जो अगर नीलकंठ है तो तांडव करता भी है इमरान खान कुछ ऐसा बोल रहे थे। उन्हें शायद मालूम हो कि ना हो कि छोटे से देश पाकिस्तान में फिलहाल 10,000 लोग डेंगू से जूझ रहे हैं। यह सरकारी आंकड़ा है और आसानी से समझा जा सकता है डेंगू से आक्रांत लोगों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है। अब वहां की सरकार कह रही है कि डेंगू से हालात अगर बिगड़े हैं तो इसमें उसकी क्या गलती है? अब आप ही बताएं कि किसकी गलती हो सकती है? इमरान खान ने ही लोगों को बताया कि जब काम ठीक से ना हो रहा हो तो समझ जाइए कि इसके लिए भ्रष्ट नेता दोषी हैं। वही तो चुनाव से पहले नवाज शरीफ और शाहबाज शरीफ को डेंगू ब्रदर्स करते थे लेकिन उन्हें 2017 में जब पख्तूनख्वा में डेंगू फैला तो इमरान साहब के पास इसका बहुत उम्दा इलाज था "बरसात खत्म डेंगू खत्म।" आजकल इमरान खान "मिशन कश्मीर" पर लगे हैं और डेंगू शब्द का उच्चारण करने वाले को भारत का समर्थक मानते हैं। क्योंकि एक तरफ वे राष्ट्र संघ में भाषण देने जा रहे हैं और कुछ जाहिल लोग डेंगू -डेंगू चिल्ला रहे हैं तो यह साजिश नहीं है तो और क्या है। वहां की मीडिया देश के भीतर जो कुछ भी हो रहा है उसके बारे में पॉजिटिव रिपोर्ट करती है- "आल इज वेल" की तर्ज में। इसलिए पिछले वर्ष 10.49 प्रतिशत हो गई मुद्रास्फीति और 10 लाख बेरोजगार हो गए । फिर भी "आल इज वेल।" हमेशा ऐसा नहीं था । जब इमरान खान विपक्ष में थे तो सब गड़बड़ था। अब अचानक सब कुछ रास्ते पर आ गया और कुछ ऐसा लगने लगा है की वजीर ए आजम साहब फिलहाल पाकिस्तान से ज्यादा हिंदुस्तान की फिक्र करते हैं।
इमरान खान केवल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नहीं कश्मीर के दूत भी हैं। वे कश्मीर को लेकर सऊदी अरब ,ईरान और अमेरिका के बीच के झगड़े के सुलह कराने वाले भी हैं। उनके समर्थक कहते हैं की इमरान खान राष्ट्र संघ में कश्मीर का मसला इस तरह उठा रहे हैं या जिस तरह अब इमरान खान एक ऐसे नेता के रूप में खड़े हैं जो नया पाकिस्तान बनाने के बाद विश्व नेता बनने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं । इन दिनों एटम बम छुपाने की चीज नहीं रह गई। एक नया फैशन चला है आपके पास हथियार है तो उसका प्रदर्शन करें या फिर बन पड़े तो दुश्मन को धमकी दें। इमरान खान परमाणु शक्ति संपन्न देश का शासक होने का दम भरने के बाद उनके रेल मंत्री पाव भर का एटम बम दिखाते चल रहे हैं। एक जमाने में परमाणु सिद्धांत बड़ा गंभीर विषय था पर आज की सियासत में खासकर पाकिस्तानी सियासत में एटम बम का जिक्र तो ऐसे किया जा रहा है जैसे अब बच्चों के खेलने के पटाखे हो। इस साल फरवरी में पुलवामा हमले के बाद भारत में पाकिस्तान को टमाटरों के निर्यात पर पाबंदी लगा दी। वहां के टीवी पत्रकार ने जवाबी हमले का आगाज किया और नारा दिया टमाटर का जवाब एटम बम से देंगे।
दरअसल, पाकिस्तानी नेता पगला गए हैं । मोदी के कश्मीर बम के बाद अब पाकिस्तानी नेताओं को बड़ा अजीब लगने लगा है। सच कहें तो क्रिकेट में अगर पाकिस्तान भारत के हाथों पिट जाता है तो वहां जो प्रतिक्रिया होती है वह कश्मीर मसले से भी ज्यादा गंभीर होती है । इसका एक मुफीद कारण है कि कश्मीर की हुकूमत पेट्रोल से नहीं कश्मीर कॉज से चलती है। पाकिस्तानी शासन के अभिजात्य वर्ग में हर किसी को यह भ्रम है कि " कश्मीर बनेगा पाकिस्तान" और नेता इसी का फायदा उठाते हैं। पाकिस्तानियों को हर साल कश्मीर को आजाद कराने के लिए 5 फरवरी को छुट्टी मिलती है। इसमें कई तरह की झांकियां निकाली जाती हैं । कश्मीर दिवस का यह मकसद अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है लेकिन भारत की इस नई पहल से यह बात स्पष्ट होने लगी है कि नियंत्रण रेखा एक स्थाई सीमा रेखा बनने जा रही है। पाकिस्तानी हुकूमत वह दिन देखने के लिए तैयार रहे।
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