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Friday, December 3, 2010

नौजवान कुछ नया करके दिखाएंगे



युवा शक्ति के उदय और विकास की दृष्टि से सन् 2011 बहुत महत्वपूर्ण वर्ष होगा। युवा नाम है नयी ऊर्जा और उत्साह का, उम्मीदों और सपनों का। नया पौधा ही बड़ा होकर विशाल वृक्ष बनता है, नयी पौध ही वर्तमान का भविष्य होती है। हर दौर की युवा पीढ़ी अपनी पिछली पीढिय़ों से दो कदम आगे होती है।
भारत के युवा भी भारत का नया भविष्य रच रहे हैं और नयी संभावनाओं की दुनिया में अपनी जमीन तलाश रहे हैं। भारत जैसे विकसित और वैश्विक फलक पर ताकतवर हो रहे देश के युवाओं की पिछले कुछ वर्षों में जैसी प्रतिभा उभरकर सामने आयी है, वह वर्ष 2011 में हमारी उम्मीदों को और भी मजबूत करती हैं। इस वर्ष उद्यमशीलता और रचनात्मकता दोनों ही क्षेत्रों में युवाओं का दखल मजबूत होगा।
इक्कीसवीं सदी में पैदा हुई पीढ़ी में पुराने लोगों के मुकाबले खतरा उठाने का साहस ज्यादा है। पहले अमूमन मध्यवर्गीय परिवारों में नौकरी का ही आसरा होता था। यही उम्मीद की जाती थी कि बेटा पढ़-लिखकर कहीं अच्छी नौकरी में लग जाए।
नौकरियां भी ज्यादातर सरकारी ही अच्छी और सुरक्षित समझी जाती थीं। लेकिन आज यह स्थिति काफी हद तक बदली है और लगातार बदल रही है। आज सरकारी नौकरी की बाट जोहने के बजाय युवा ऐसे काम करना चाहते हैं, जहां वे तेजी से सफलता की ऊंचाइयां छू सकें। आज वे सिर्फ नौकरी पर ही नहीं निर्भर रहना चाहते। उनमें खतरे उठाने का साहस बढ़ा है। वे जानते हैं कि नौकरी तो कोई न कोई मिल ही जाएगी, इसलिए थोड़े समय नौकरी करने के बाद वे अपना कोई काम शुरू करना चाहते हैं। आज महानगरों और छोटे शहरों में भी युवाओं में यह प्रवृत्ति बहुत तेजी के साथ बढ़ रही है। वे पुराने मानदंडों और बनी-बनायी लीक के हिसाब से काम नहीं करना चाहते। उनमें परंपराओं को तोडऩे और अपनी राह खुद बनाने की हिम्मत है।

बेशक इस रास्ते में खतरा तो होता है, हार जाने का, असफलता का। लेकिन असफलता का खतरा उठाए बगैर ऊंची सफलता का स्वाद भी नहीं मिलता। आज के युवा ये खतरा उठा रहे हैं और इसीलिए वे पुरानी पीढ़ी से ज्यादा सफल भी हैं। फिल्म इंडस्ट्री में युवा बेहतरीन और लीक से हटकर काम कर रहे हैं।
वे ऐसे विषयों पर फिल्में बनाने का खतरा उठा रहे हैं जो पहले बिल्कुल अछूते विषय माने जाते थे। साहित्य, संगीत, सिनेमा, विज्ञान, टेक्नोलॉजी और बिजनेस में अपने अभिनव प्रयोगों और कल्पनाशीलता से सफलता की ऊंचाइयां तय कर रहे हैं। यह आज के युवाओं की खासियत है। ज्यादा नहीं, आज से 15 साल पहले भी यह कल्पना करना मुश्किल था।
नयी पीढ़ी के मूल्यों और सोच में भी परिवर्तन आया है। पहले माता-पिता जिससे शादी कर देते, लोग उसी से उम्र भर के लिए बंध जाते थे। आज ऐसा नहीं है। आज बहुत बड़ी संख्या में लोग अपना जीवन साथी स्वयं चुन रहे हैं। वे जानते हैं कि यह जिंदगी का बहुत अहम फैसला है। पूरा जीवन यूं ही किसी अनजान व्यक्ति के साथ जुड़कर नहीं बिताया जा सकता है।
आज के युवा लकीर के फकीर नहीं हैं। वे किसी बात को सिर्फ इसलिए नहीं मान लेते कि बड़े ऐसा कहते हैं। बेशक वे अपने बुजुर्गो का सम्मान करते हैं, लेकिन बात को मानने से पहले वे अपने विवेक की कसौटी पर परखते हैं। जीवन के महत्वपूर्ण फैसले वे खुद लेना चाहते हैं। वर्ष 2011 युवाओं की उपलब्धियों के सफर का एक और पड़ाव होगा।

वे एक कदम और आगे जाकर नयी रचनात्मकता के साथ सामने आएंगे। फिल्म, कला और विज्ञान से लेकर उद्योगों तक में नयी चुनौतियां उनके सामने होंगी और वे पहले से भी ज्यादा हिम्मत व कल्पनाशीलता के साथ उसका मुकाबला करेंगे। किसी भी देश का इतिहास युवा पीढ़ी ही रचती है। भारत के युवा भारत का इतिहास रच रहे हैं।

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