अमरीका नहीं चाहता कि विकीलीक्स पर लीक हुए दस्तावेज उसके सरकारी कर्मचारी देखें। ह्वाइट हाउस ने सभी सरकारी विभागों को आदेश दिया है कि विकीलीक्स वेबसाइट को ब्लॉक कर दिया जाए ताकि कोई सरकारी कर्मचारी इस पर लीक हुए दस्तावेज नहीं देख सके।
अमरीका का मानना है कि दुनियाभर में तहलका मचाने वाले दस्तावेज अभी भी क्लासीफाइड की श्रेणी में हैं।
ह्वाइट हाउस के ऑफिस ऑफ मैनेजमेंट एंड बजट ने सभी सरकारी विभागों को संदेश जारी करते हुए कहा है कि विकीलीक्स द्वारा जारी अमरीकी सरकार के दस्तावेजों ने हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को काफी नुकसान पहुंचाया है।.. इसमें कहा गया है कि प्रत्येक संघीय कर्मचारी का दायित्व है कि वह अमरीका के गोपनीय दस्तावेजों की सुरक्षा करे। किसी भी प्रकार से आये अनधिकृत संदेश चाहे प्रिंट में हों, ब्लॉग पर हों या वेबसाइट पर उनकी श्रेणी नहीं बदलती।
इन खुलासों के साथ अमरीकी डिजिटल साम्राज्यवाद का किला ढह गया है और दुनिया के तमाम देशों के साथ चलने वाली उसकी डिप्लोमेसी में बसा छल भी सामने आ गया है। अमरीका जानता है कि इसका मतलब सिर्फ कुछ जानकारियों का लीक होना नहीं है। इसके कई दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। इससे राजनय की उसकी विश्वसनीयता में कमी आ सकती है। इससे वह विचलित है।
उसे समझ नहीं आ रहा है कि अपने संबंधों की विश्वसनीयता कायम रखने के लिए वह क्या करे। अमरीकी सांसद विकीलीक्स पर पाबंदी लगाने की मांग कर रहे हैं, ताकि उनकी सरकार और ज्यादा नुकसान से बच जाए। पर क्या अब ये सूचनाएं रुक सकेंगी? उन्हें अमरीका अपने यहां रोकने के प्रबंध कर लेगा, तो वे चीन से चल पड़ेंगी या उन्हें जर्मनी अथवा बंगलादेश के किसी साइबर कैफे से जारी कर दिया जाएगा। उन्हें इंटरनेट पर ब्लॉक किया जाएगा तो वे अखबारों में छप कर सामने आएंगी।
टेक्नोलॉजी और डेमोक्रेसी की यही तो असली ताकत है। अपने फायदे के लिए आप उसका इस्तेमाल एक हद तक ही कर सकते हैं। अभी तक साइंस- टेक्नोलॉजी के कई क्षेत्रों में अमरीका का एकाधिकार रहा है। एटम और स्पेस रिसर्च से लेकर तीन दशक पहले वजूद में आये इंटरनेट तक पर उसका नियंत्रण रहा है। पर अब धीरे-धीरे इनमें उसकी बादशाहत खत्म हो रही है। दूसरी ताकतें उसके दबदबे को चुनौती देने लगी हैं।
टेक्नोलॉजी आज अमरीका के लिए भी उसी तरह मुसीबत बन सकती है, जिस तरह कल तक वह दूसरे देशों को दबाने के लिए खुद अमरीका के हाथों का औजार थी। अमरीकी दूतावासों की ओर से जारी संदेशों के खुल जाने से ग्वांतोनामा के जेल से लेकर इराकी युद्ध तक का असली चेहरा सामने आ गया है। पाकिस्तान की परमाणु सामग्री और चीन में हैकिंग की चिंता से लेकर ब्रिटिश राजनेताओं की आलोचना करने वाले उसके दस्तावेजों ने कूटनीतिक सहयोगी के रूप में अमरीका पर भरोसे को तार-तार कर डाला है।
अब हामिद करजई उस अमरीका कितना भरोसा करेंगे, जिसके अधिकारी उन्हें बेहद कमजोर और षड्यंत्रकारी मानते हैं। सऊदी शाह और बहरीन के राजा अब ईरान से अपने लिए नया खतरा महसूस कर सकते हैं, क्योंकि उस पर उनकी बेबाक टिप्पणियों को अमरीकी अधिकारी दर्ज करके रखते रहे। इसके अलावा, किसी देश की सरकार के लिए डेमोक्रसी का मतलब भी सिर्फ चुनाव करा लेना नहीं है। इन गोपनीय संदेशों को विकीलीक्स तक पहुंचाने और उसे उछालने में अमरीकी नागरिक ही सबसे आगे रहे हैं। जब नागरिक सच जानने और अपनी राय व्यक्त करने की आजादी पा लेते हैं, तो सरकारों को अपना रवैया बदलना होता है और उसे भी मर्यादाओं का पालन करना होता है। यह उनके लिए एक सबक जैसा है। चाहे भविष्य में कूटनीतिक सम्बंधों का जो हो पर इस लीक से अमरीका के महाबली होने का दंभ समाप्त हो गया और दुनिया की नजरों में वह अपनी ऊंची जगह गंवा चुका है।
Saturday, December 11, 2010
हाथ- पांव फूल रहे हैं महाबली के
Posted by pandeyhariram at 2:29 AM
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