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Tuesday, March 8, 2011

सत्ता की बिसात : एक तरफ फाइल, दूसरी तरफ सांसद



हरिराम पाण्डेय
तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) में तकरार हो गयी और दोनों का 6 वर्ष पुराना गठबंधन टूट गया। हुआ यह था कि कांग्रेस ने अचानक अपना रुख बदला और वह विधानसभा चुनाव में अधिक सीटों की मांग करने लगी। इस अचानक बदलाव के कारण शनिवार की रात द्रमुक ने पार्टी से अपना रिश्ता तोड़ लेने का निर्णय किया। इसके फलस्वरूप अब द्रमुक केंद्र सरकार से अपने सभी मंत्रियों को हटा लेगा। केंद्र में द्रमुक के 6 मंत्री हैं, जिनमें 2 कैबिनेट मंत्री हैं और चार राज्यमंत्री हैं। द्रमुक का कहना है कि कांग्रेस उसे संप्रग से बाहर धकेलना चाहती है जबकि द्रमुक ने मनमोहन सिंह सरकार को मुद्दों पर आधारित समर्थन देने का वायदा किया है। लेकिन रात में ही जैसा द्रमुक के नेता टी आर बालू ने कहा कि द्रमुक अपने फैसले पर दुबारा विचार भी कर सकता है। उनके कहने का निहितार्थ था कि मुद्दों पर आधारित समर्थन रोका भी जा सकता है। जबकि कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है बात चल रही है। लेकिन कांग्रेस का रवैया देख कर यह समझा जा सकता है कि कांग्रेस ने इस मामले को खत्म करने का भार भी द्रमुक पर ही डाल दिया है। उसका मानना है कि द्रमुक ने बैठक बुला कर गठबंधन से अलग होना तय किया और वही इसका निपटारा करे। द्रमुक का यह फैसला ऐसे वक्त पर आया है जब 13 अप्रैल के चुनाव के लिये नामांकन पत्र दाखिल करने में महज एक पखवाड़ा रह गया है। अभी जो स्थिति है और द्रमुक के साइक को देख कर ऐसा नहीं लगता है कि मामला खत्म हो जायेगा, क्योंकि कांग्रेस का रवैया ऐसा है मानों वह द्रमुक को बोझ समझती है और द्रमुक कांग्रेस को बोझ समझती है। अब ऐसी स्थिति में कहीं गठबंधन कायम रह सकता है। द्रमुक के इस समर्थन वापसी के बाद केंद्र सरकार एक बार फिर आकड़ों के गणित में उलझी हुई है। द्रमुक के नेता टीआर बालू ने यह कह कर बातचीत का विकल्प खुला रखा है कि अगर कांग्रेस बातचीत करना चाहती है और 60 सीटों पर समझौते के लिए तैयार है तो पार्टी केंद्र से मंत्रियों की वापसी के मुद्दे पर पुनर्विचार कर सकती है। ऐसी खबरें हैं कि कांग्रेस अपने कुछ वरिष्ठ नेताओं को द्रमुक नेतृत्व से एक बार फिर बातचीत करने के लिए कहेगी। दूसरी तरफ राजनीतिक हलकों में कई तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस द्रमुक को छोड़ कर जयललिता से भी केंद्र सरकार के लिए समर्थन ले सकती है। उल्लेखनीय है कि जब द्रमुक नेता और केंद्र में दूरसंचार मंत्री ए राजा पर कार्रवाई की बात आयी थी तो जयललिता ने एक टीवी चैनल से साक्षात्कार में कहा था कि अगर द्र्रमुक यूपीए से समर्थन वापस लेगी तो अन्नाद्रमुक केंद्र को पूरा समर्थन दे सकती है। दूसरी तरफ यह भी अनुमान लगाया जा रहा है ए राजा पर कार्रवाई के बाद से ही दोनों दलों के रिश्तों में खटास आ गयी थी और वह केंद्र सरकार पर उस फाइल को कमजोर करने पर दबाव दे रहा था पर सरकार झुकने को तैयार नहीं थी इसलिये यह कदम उठाकर उसने दबाव की रणनीति बनायी है। यही कारण है कि उसने समर्थन देने की बात को बाजार में छोड़ दिया है। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कहा है कि द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) के समर्थन वापसी के बाद भी केन्द्र की संप्रग सरकार को कोई खतरा नहीं है।
द्रमुक की समर्थन वापसी के बाद केन्द्र सरकार के वजूद को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में यादव ने आज यहां संवाददाताओं से कहा ''केन्द्र सरकार को कोई खतरा नहीं है और यह अब भी अल्पमत में नहीं है.ÓÓ उन्होंने कहा कि सपा का संप्रग सरकार को दिया गया समर्थन आगे भी जारी रहेगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या केन्द्र सरकार में शामिल होने का निमंत्रण पाने पर सपा उसे स्वीकार करेगी, यादव ने इस सवाल को काल्पनिक बताते हुए कोई उत्तर देने से मना कर दिया।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि हाल-फिलहाल सपा के सरकार में शामिल होने के बारे में कोई बातचीत नहीं हुई है।
गौरतलब है कि लोकसभा में सपा के 22 सदस्य हैं और 18 सांसदों वाले द्रमुक के समर्थन वापस लेने के बाद सपा के केन्द्र सरकार में शामिल होने की अटकलें तेज हो गयी हैं।
यादव ने यह भी कहा कि रही द्रमुक के समर्थन वापसी की बात, तो दोनों दलों के नेताओं के बीच बातचीत अब भी चल रही है और मतभेद दूर भी हो सकते हैं।
सपा मुखिया ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि संप्रग सरकार को उनकी पार्टी बाहर से समर्थन दे रही है और वह जारी रहेगा।
यादव ने सवालों के जवाब में कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से उनकी मुलाकात होती रहती है और अभी तीन दिन पहले भी उनसे बातचीत हुई थी, मगर वह देश के सामने उपस्थित अन्य समस्याओं और सदन की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाने के बारे में थी।

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