हरिराम पाण्डेय
जापान की राष्टï्रीय विपदा से दुनिया के सभी संवेदनशील लोगों का मन भर आया है और हमारी पूरी सहानुभूति जापानियों के साथ है। वैसे तो दुनिया ने कई त्रासदियां देखीं और झेलीं हैं लेकिन जापान की पीड़ा कुछ ज्यादा ही है। पहले तो वह सुनामी का शिकार हुआ और उसके बाद आया भूकम्प। अभी इससे वह उबरा भी नहीं था कि फुकुशिमा में परमाणु बिजली घर में विस्फोट हो गये। खबरों के मुताबिक वहां से लगभग 1लाख 70 हजार लोगों को हटाया गया है। परमाणु बिजली घरों पर निगरानी रखने वाले राष्टï्र संघ के संगठन ने कहा कि परमाणु रियेक्टर का बिजली घर बिल्कुल बर्बाद हो गया। जापानी अधिकारियों का कहना है कि रियेक्टर बिल्कुल सुरक्षित है क्योंकि वह फौलाद के बक्से में है। यानी परमाणु विकिरण का खतरा उतना ज्यादा नहीं जितना भय था। सरकार ने आतंक को कम करने के लिये इस त्रासदी को कम कर के बताने नीति अपनाई है। सरकार का कहना है कि फुकुशिमा के प्लांट नम्बर 1 के आस पास विकिरण का स्तर फिलहाल घट गया है। परमाणु मेल्टडाउन शब्द दुनिया में दो परमाणु दुर्घटनाओं के पश्चात बना। पहली दुर्घटना अमरीका के एक द्वीप में 1979 में घटी थी और दूसरी यूक्रेन के चरनेबिल में 1986 में घटी थी। इसमें अति ताप उत्सर्जित हुआ था जिससे रियेक्टर का कवच पिघल गया था। रियेक्टर के बाहरी आवरण के पिघलने की ये पहली घटना थी। अब सवाल उठता है कि क्या फुकुसिमा में भी वैसी ही घटना घटना घटी है। ऐसा लगता है कि घटना के पहले ही रियेक्टर बंद कर दिये गये थे इसलिये विकिरण का खतरा कम जरूर हो गया परंतु आसपास के क्षेत्रों में सीजियम के आइसोटोप का पाया जाना इस बात का संकेत देता है कि रियेक्टर का कोर वायुमंडल के सम्पर्क में है। हालांकि जापान को परमाणु कार्यक्रमों का लम्बा अनुभव है। लेकिन परमाणु मसले पर जापानी अधिकारियों के अतीत के बयान बहुत सटीक नहीं पाये गये हैं अतएव इस बार के उनके बयानों की विश्वसनीयता पर सबको पूरा भरोसा नहीं है। फ्रांस और जापान की परमाणु ऊर्जा पर भारी निर्भरता है इस लिये वे किसी आपदा को ध्यान में रख कर परमाणु बिजली घरों का निर्माण और डिजाइन तैयार करते हैं। परमाणु खतरे के बारे में सवाल पूछने वालों के लिये जापानी अधिकारियों के पास रटारटाया जवाब रहता है कि उनके बिजली घर प्राकृतिक आपदा को ध्यान में रख कर बनाये गये हैं। लेकिन इस विस्फोट के बाद उनका विश्वास हिल जायेगा और जापान में परमाणु बिजली घरों का विरोध बी बढ़ जायेगा। जापाान ही नही चीन और पाकिस्तान में बी उसका विरोध बढ़ेगा। हमें भी अपने परमाणु बिजली घरों की सुरक्षा के प्रति न केवल अब सचेत होना पड़ेगा बल्कि मनुष्य द्वारा किये जाने वालेे तोड़ फोड़ या प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से बचाव के के उपायों की समीक्षा करनी होगी। वैसे हमें अपने परमाणु सुरक्षा को कम करके नहीं आंकना चाहिये साथ ही हमें अपनी खामियों को भी नजर अंदाज नहीं करना चाहिये। फुकुशिमा में जो हुआ वह तों प्राकृतिक आपदा थी पर यदि कोई आत्मघाती आतंकी हमारे परमाणु संयंत्र में जा घुसे तो क्या हाग्ेगा। देश के आतंकवाद विशेषज्ञों और यहां तक इस पत्र ने भी कई बार यह मसला उठाया है। लेकिन हमें भी वही रटारटाया जवाब मिलता है कि हमारे परमाणु विशेषज्ञों ने इस पर विचार कर समुचित उपाय कर लिया है। बेशक उनकी बात पर अविश्वास का कोई कारण नहीं है पर यह जरूर है कि हमें अपनी सुरक्षा की समीक्षा कर लेनी चाहिये। फुकुसिमा की घटना पूरे विश्व के लिये चिंता का कारण है पर हमारी सुरक्षा में खामी पूरी दुनिया के लिये आत्मघाती हो सकती है।
Sunday, March 13, 2011
जापान के जलजले से सबक
Posted by pandeyhariram at 11:00 PM
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