हरिराम पाण्डेय
हर साल की तरह आज एक बार फिर हम गणतंत्र दिवस बड़े धूमधाम से मना रहें हैं जो हमारे लिए गर्व की बात हैं। आज कहीं हमारी युवा पीढ़ी को स्वतंत्रा और लोकतंत्र की महान गाथा सुनाई जाएगी और कहा जाएगा कि देश का भविष्य यानि लोकतंत्र आपके हाथ में है।
आजादी के इतने सालों बाद हम मजबूती से खड़े हैं लेकिन इस देश में जहां भष्ट्राचार, विश्वासघात, बेईमानी और न जाने और कितने नासूर फैले हुए हैं, इसके बावजूद हमारे देश में लोकतंत्र जिंदा है। जबकि हमारे साथ बना पाकिस्तान और बाद में तैयार हुआ बंग्लादेश लोकतंत्र को बचाने के लिए संघर्षरत है। आखिर हमारी सरजमी में ऐसा क्या है कि इतने निराशा के माहौल में हमारा लोकतंत्र बचा हुआ है ? दरअसल हम भारतवासियों के अंदर का जज्बा और जिद ही जिसके कारण लोकतंत्र में हम सांस ले रहे हैं। जिद्द दुनिया बदलने की, जिद्द समाज को बदलने की और जिद लगातार अपने आप में सुधार करने की। आईए ऐसी ही कुछ खास बातों पर हम सोचें और विचार करें:
गंगा-जमुनी तहजीब
हमारा देश हजारों सालों से सभी धर्म, रंग और संप्रदाय के लोगों को साथ में ले कर चला है। हम आपस में चाहें कितना भी लड़ लें लेकिन जब संकट आन पड़ता है कि तो हम आपसी विवादों को भूलकर एक साथ खड़े हो जाते हैं। यह है हमारी पहचान।
राजनीति आजादी : आइडिया ऑफ डेमाक्रेसी
भारतीय संविधान मूल विचार ही लोगों से निकला है। इसमें कहा गया है कि भारतीय लोकतंत्र लोगों के लिए, लोगों के द्धारा चलाया जाएगा। इस आइडिया का ही देन है कि भारत में राजनीति आजादी मिली हुई है। एक ही घर के अलग-अलग सदस्य अलग-अलग पार्टी को मत देते हैं। जिसके कारण लोकतंत्र का फूल चारों ओर अपनी खूश्बू बिखेर रहा है। हिंदुस्तान का लोकतंत्र ढाई हजार साल से भी पुराना होने के कारण यहां लोकतांत्रिक मूल्य कहीं न कहीं मौजूद हैं। जब शेष दुनिया लोकतंत्र के बारे में जानती तक नहीं थी तो लिच्छवी और मगध जैसे राज्यों में हर फैसले लोकतांत्रिक ढंग से किए जाते थे।
आशावादी सोच
भष्ट्राचार, नैतिक पत्तन और सभ्यताओं के पतन के बावजूद हम आज भी आशावादी हैं। लोगों में भ्रष्टाचार बड़ा है, नैतिक मूल्यों में भी कमी आई है लेकिन इसके बावजूद कुछ अच्छे नेता, अधिकारी और अन्य क्षेत्र के लोगों की वजह से हमें आशा बची हुई है। उम्म्ीद की एक किरण से भारत रुपी आंगन को सवारनें की आश्शवादी सोच हमारे विकास की गाथा लिखने के लिए हर बार एक लौ बन जाती है।
आध्यात्मिक औ अभौतिकवाद
भारतीय आध्यात्म पूरी दुनिया में सबसे प्राचीन आध्यात्म है। जिसका फायदा लोकतंत्र को मिल रहा है। यहां के लोगों में आज भी आध्यात्म और अभौतिकवाद शामिल है। जिसके कारण लाख मुश्किलों में भी हम सतुंष्ठ रहते हैं।
हम लोग
भारत की आबादी 1.10 अरब से अधिक हो चुकी है। कई बार कहा जाता है कि किसी भी देश के लिए बढ़ती आबादी खतरनाक संकेत है। लेकिन भारत के लिए यह ताकत है। एक ऐसी आबादी जो एक साथ खड़ी होती है तो उसकी धमक और ताकत का आभास संसार को हो जाता है।
अनेकता में एकता
इस बात से शायद ही कोई इंकार करे कि हमारी सबसे बड़ी ताकत भारत के वे लोग हैं जो हैं तो अलग-अलग। लेकिन इसके बावजूद अनेकता में एकता का राग उनके दिलों में बसता हैं। होली, ईद, बैशाखी और जगमग दिपावली जैसे त्यौहार हमारे देश में अनेकता में एकता की मिसाल स्थापित करते है। दुख और मुसीबत के समय पूरा देश एक साथ खड़ा हो जाता है। चाहे वह कश्मीर मसला हो या देश के किसी भी कोने में होने वाले बम ब्लास्ट हो या कोसी की बाढ़ से आई तबाही ही क्यों ना हो। भूकंप गुजरात में आता है लेकिन मदद सूदूर प्रदेशों से आती है। यह है हमारी ताकत।
धर्मनिरपेक्षता
हिंदुस्तान की सबसे बड़ी खासियत इसकी धर्मनिरपेक्षता है। अमेरिका के राष्ट्रपति अब कहते हैं कि उनका देश ईसाईयों का, मुस्लमानों का और हिंदूओं को भी देश है। जबकि हमारे यहां कभी यह कहने की आवश्यकता भी नहीं पड़ी। यहां सभी धर्मो के लोगों को अपने धर्म के अनुसार रहने और पूजा-पाठ की इजाजत भारतीय संविधान देता है।
समाजिक न्याय
आजादी के तुरंत बाद सरकारों ने जो सबसे पहला काम किया, वह यह था कि समाज में जो लोग पिछड़ गए हैं, उन्हें मुख्यधारा में लाया जाए। इसके लिए कई पंचवर्षीय योजनाओं में बंदोबस्त किया गया। जिसका अपेक्षित परिणाम तो नहीं मिल पाया लेकिन इसके बावजूद स्थिति काफी बदली है। भारत बनाम इंडिया की खाई को पाटने की लगातार कोशिश का ही नतीजा है कि लोग आज भी संविधान और लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं।
जय हे ! दिल में देशराग की भावना
देश की अधिकांश आबादी दो जून की रोटी के लिए हर रोज संघर्ष करती है। लाखों लोगों के सिर पर छत नहीं है। बेरोजगारी का जाल बुरी तरह फैला हुआ है। लेकिन इन सबके बावजूद हमारे अंदर देशराग की जो भावना है, वही हमारे लोकतंत्र को मजबूत करती है। इसीलिए कहा जाता है सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा। जय हे..जय हे..
Wednesday, April 27, 2011
गणतंत्र दिवस
Posted by pandeyhariram at 3:20 AM
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment