हरिराम पाण्डेय
कहते हैं कि जब परमात्मा ने मनुष्य का दिमाग बनाया तो साथ ही उसे भूलने की ताकत भी दे दी। बहुत ज्यादा याद रखने से इंसान का जीना दूभर हो जाता। लेकिन भारतीयों को, खासकर भारतीय नेताओं को, यह खूबी ऊपर वाले ने दिल खोल कर अता की है। वरना क्या बात थी कि ये लोग हर बार भूल जाते हैं कि भ्रष्टïाचार पकड़ में आयेगा और अगर पकड़ में आया तो सजा भी मिलेगी, लेकिन बचपन से ही हम इस बात को भूलना सीख जाते हैं। अगर ना भूलें तो एक ऐसे देश में- जो भ्रष्टïाचार के मामले में दुनिया के भ्रष्टïतम देशों में 178 स्थान हासिल किये हुए है और जिसके प्रतिद्वंद्वी हैं अल्बानिया, जमैका और लाइबेरिया- जीना और काम करना दूभर हो जायेगा। आम जन को तो यकीन ही नहीं होता कि ताकतवर लोग भ्रष्टïाचार के आरोप में पकड़े जा सकते हैं और जेल भी भेजे जा सकते हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारी के दौरान विभिन्न कम्पनियों को ज्यादा भुगतान करने के कारण देश के खजाने में भारी क्षति पहुंचाने के आरोप में पकड़े गये सुरेश कलमाडी को जेल भेजा जाना खुशी की बात है , बेशक यह सागर में बूंद की भांति है। कलमाड़ी की गिरफ्तारी में देरी का कारण यह भी हो सकता है कि उसे सबूतों के सारे टुकड़ों को जोडऩे में इतना वक्त लग गया लेकिन इसके अलावा भी एक सत्य है कि सी बी आई ताकतवर लोगों के खिलाफ कदम बढ़ाने में हिचकता है। यह दोष सीबीआई का नहीं है बल्कि यह हमारे सिस्टम में अंतर्निहित दोष है। कुछ लोग तो यह मानते हैं कि खुद कांग्रेस पार्टी ने यह गिरफ्तारी करवायी है क्योंकि वह चाहती थी कि जनता देखे कि कांग्रेस अपने घर की सफाई करने की इच्छुक है। चाहे जो भी दबाव हो या दलील हो लेकिन इससे एक संदेश तो जाता ही है कि सरकार भ्रष्टïाचार बर्दाश्त नहीं करेगी चाहे उससे कोई भी जुड़ा हो। यह संदेश देशवासियों में आशा का सृजन करता है , एक उम्मीद जगाता है। लेकिन इसके साथ ही राजनेताओं और बड़े सियासी दलों को इसका ध्यान रखना होगा कि वे भी बड़ी मछलियों को पकडऩे में मदद देने में कोताही नहीं बरतें। 2 जी घोटाले में ए राजा की गिरफ्तारी में चल रही रस्साकशी का उदाहरण सबके सामने है। इस मामले में यह तो स्पष्टï है कि राजा की गिरफ्तारी में देरी में सियासत की भूमिका प्रमुख है। इसी देरी के कारण राजा को पूछताछ के लिये रोका जाना अप्रभावी हो गया। अतएव इस मामले में तेजी से कदम बढ़ाया जाना चाहिये क्योंकि देश को यह जानना जरूरी है कि घोटाले करने वाले नेता और अफसर सचमुच इससे जुड़े हैं या उन्हें फंसाया जा रहा है। दोनों सूरतों में दोषी को पकड़ा जाना जरूरी है। वैसे देरी की अपनी खूबी होती है। समय के साथ लोग अपराध को भूलने लगते हैं। वक्त की दीमक स्थितियों के तीखेपन को चाट जाती है और भ्रष्टïाचार और न्याय जैसे मसलों पर धूल जमने लगती है। नतीजा यह होता है कि अति भ्रष्टï आदमी भी अपनी जमा पूंजी समेट धीरे से गायब हो जाता है। बरसों तक सरकार ने भ्रष्टïाचार पर ध्यान नहीं दिया अब यदि इस पर ध्यान दिया जा रहा है तो जरूरी है कि सारी कार्रवाई पारदर्शी हो ताकि लोगों का सरकार की नीयत पर विश्वास हो सके। क्योंकि कहते हैं न कि कार्रवाई से जरूरी है कार्रवाई होती दिखना।
Friday, April 29, 2011
कार्रवाई से जरूरी है कार्रवाई होती दिखना
Posted by pandeyhariram at 3:46 AM
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