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Tuesday, September 1, 2015

मोदी के गुजरात में आरक्षण की आग



26 अगस्त 2015

आजकल जब भी वाट्सएप पर नजर जाती है, हार्दिक पटेल का संदेश ही छाया रहता है। कुछ ही दिनों में 22 साल के हार्दिक ने गुजरात के पटेल समुदाय में अपनी अलग पहचान बनाई है। पिछले चार साल से हार्दिक पटेल अपने समुदाय के लिए काम कर रहे हैं। हार्दिक पटेल की गिरफ्तारी के बाद भड़की हिंसक घटनाओं के बीच गुजरात के कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। इस बीच सरकार ने हिंसक समर्थकों को काबू करने के लिए हार्दिक पटेल को रिहा कर दिया है,हालांकि हार्दिक ने आंदोलन जारी रखते हुए गुजरात बंद बुलाया है। वहीं दूसरी ओर अहमदाबाद में हुई हिंसक घटनाओं के बाद नौ थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया है और शहर में 13 साल बाद सेना को बुलाया गया है। सरकार ने अफवाह फैलने से रोकने के लिए इंटरनेट सेवा भी बाधित कर दी। आरक्षण को लेकर जारी आंदोलन मंगलवार रात को हिंसक हो गया। पुलिस द्वारा अपने नेता हार्दिक पटेल को हिरासत में लिए जाने से गुस्साए समर्थकों ने अहमदाबाद, जूनागढ़, सूरत, वलसाड, राजकोट और मेहसाणा समेत कई शहरों में वाहनों में तोड़फोड़ और आगजनी की। आरक्षण समर्थकों ने राज्य के गृह राज्यमंत्री रजनीकांत पटेल के आवास पर पथराव किया और आगजनी की। अहमदाबाद, सूरत और मेहसाणा में उग्र हिंसक वारदातों के चलते कर्फ्यू लगा दिया गया। उग्र समर्थकों ने पुलिस वाहनों को कई जगह फूंक दिया। हार्दिक पटेल के आंदोलन को बिहार के सीएम नीतीश कुमार का सपोर्ट मिला है। माना जा रहा है कि नीतीश ने मोदी के विरोध के चलते इस आंदोलन के समर्थन में अपना बयान दिया है। इस समय बिहार में विधानसभा चुनाव की गहमागहमी तेज हो गई है और इस चुनाव को नीतीश बनाम मोदी के तौर पर देखा जा रहा है। गुजरात की कुल आबादी 6 करोड़ 27 लाख है। इसमें पटेल-पाटीदार लोगों की तादाद 20 प्रतिशत है। ये लोग खुद को ओबीसी कैटेगरी में शामिल कराना चाहते हैं, ताकि कॉलेजों और नौकरियों में काेटा मिल सके। आेबीसी में 146 कम्युनिटी पहले से लिस्टेड है। पटेल-पाटीदार समुदाय खुद को 146वीं कम्युनिटी के रूप में ओबीसी की लिस्ट में शामिल कराना चाहती है। राज्य के 120 भाजपा विधायकों में से 40 इसी कम्युनिटी से आते हैं। गुजरात में पटेल समुदाय को बीजेपी का मेन वोट बैंक माना जाता है। अनुभव बताते हैं कि राजनीतिक दल वोट बैंक के दबाव में तुरंत आत्मसमर्पण कर देते हैं। ताकतवर और संपन्न जातियों को आरक्षण देना आरक्षण के सिद्धांत का मजाक उड़ाना है लेकिन राजनीतिक दल इस पर स्पष्ट रुख अपनाने से बचते हैं। कई बार तो ऐसी जातियों को खुश करने के लिए सरकारें आरक्षण दे भी देती हैं। गुजरात सरकार हार्दिक की मांग को लेकर कितनी गंभीर है, यह अभी तक पता नहीं चला पाया है, लेकिन हार्दिक के खिलाफ कई संगठनों ने अपनी आवाज उठानी शुरू कर दी हैं। गुजरात का ओबीसी समुदाय अपनी एक महा-रथयात्रा 1 सितम्बर को शुरू करने जा रहा है। रणवीर देसाई की अगुवाई में 'आरक्षण सुरक्षा संगठन रथयात्रा' पूरे गुजरात में निकलेगी। रणवीर देसाई ने बताया की यह रथयात्रा गुजरात की 248 तहसीलों, 162 नगर पालिकाओं, 8 महा नगरपालिकाओं में पहुंचेगी। यह यात्रा 26 जनवरी 2016 तक चलेगी। रणवीर देसाई का कहना है कि अगर सरकार पटेल समुदाय के लिए कुछ करना चाहती है तो करे, लेकिन ओबीसी के लिए जो 27 प्रतिशत आरक्षण है, उसमें इस समुदाय को शामिल न न करे। अगर सरकार 27 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण देती है तो इस पर विचार किया जा सकता है। रणवीर देसाई ने यह भी सवाल उठाया है कि जब सरदार पटेल खुद आरक्षण के विरोध में थे तो यह लोग अब आरक्षण क्यों मांग रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि आर्थिक मापदंड को लेकर सरकार कुछ करना चाहती है तो सभी जातियों के लिए करे। इस आंदोलन से ओबीसी जातियों और पटेलों में तनाव पैदा होगा। ओबीसी जातियां क्यों चाहेंगी कि उनके आरक्षण में पटेल समुदाय की भी हिस्सेदारी हो। अगर 12 प्रतिशत पटेल ओबीसी में आ जाएंगे तो मुक़ाबला और बढ़ जाएगा। इस लड़ाई में कौन जीतेगा और कौन हारेगा, यह तो मालूम नहीं, लेकिन ऐसी लड़ाई गुजरात की राजनीति में भूचाल जरूर लाएगी। इस तरह पटेल आरक्षण की मांग ने गुजरात भाजपा के लिए नया सिरदर्द पैदा कर दिया है। यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि ताकतवर जातियां भी आरक्षण को मुक्ति का रास्ता मानती हैं।

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