यह क्या कह रहे हैं मोदी जी?
मोदी जी अभी हाल में आजमगढ़ गए थे। वहां उन्होंने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे परियोजना का उद्घाटन किया। हालांकि इसका आंशिक उद्घाटन पहले 2016 में अखिलेश यादव ने कर दिया था । लेकिन मोदी जी की एक खूबी है कि वे अपने को दिखाने और बड़ी-बड़ी बातें करने का मौका कभी नहीं चूकते। वहां जनता को संबोधित करते हुए उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला किया और कहा कि राहुल गांधी ने कहा है कि " कांग्रेस एक मुस्लिम पार्टी है।" प्रधानमंत्री मंत्री जी ने तीन तलाक का मामला भी उठाया और कहा कि वे लाखों मुस्लिम महिलाओं को बचाने की कोशिश में हैं और कांग्रेस इस राह में रोड़े अटका रही है।
सच तो यह है कि राहुल गांधी ने कभी ऐसा कहा ही नहीं। उन्होंने 12 जुलाई को मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात की थी और यह खबर एक उर्दू अख़बार में प्रकाशित हुई। जिसका शीर्षक था "हां कांग्रेस एक मुस्लिम पार्टी है ।" बाद में कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्विटर पर इस खबर का खंडन किया। यही नहीं, इसके बाद इरफान हबीब और फराह नकवी जैसे विद्वानों ने भी इसका खंडन किया । वे इस बैठक में मौजूद थे। उन्होंने साफ कहा कि इस तरह की कोई बात राहुल गांधी ने नहीं कही थी। लेकिन इससे मोदी जी को कोई फर्क नहीं पड़ा और वे इसे लेकर प्रचारित करते रहे। इसके पहले उन्होंने गुजरात चुनाव के दौरान इस तरह से निराधार आरोप लगाए थे। उन्होंने यहां तक कहा कि पाकिस्तान के उच्चायुक्त, पाकिस्तान के विदेश मंत्री और कांग्रेस के नेता मिलकर भाजपा को गुजरात चुनाव में पराजित करने की साजिश कर रहे हैं। एक "आरटीआई " के जवाब में जब प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि "मोदी जी को इस तरह के आरोप लगाने का कोई आधार नहीं था" तो बड़ा अजीब लगा कि देश का प्रधानमंत्री इस तरह के गढ़े हुए आरोप लगा रहा है।
आजमगढ़ में मोदी जी का भाषण केवल सामान्य चुनाव भाषण नहीं था बल्कि यह उनके भीतर व्याप्त डर की भी अभिव्यक्ति थी। सवाल उठता है कि मोदी जी इस तरह से क्यों भयभीत हैं? लोकतंत्र में तो चुनाव जीते जाते हैं ,चुनाव हारे जाते हैं। आमतौर पर ऐसा डर अधिनायकवादी नेताओं में ही देखा गया है।
2014 में भाजपा का चुनाव प्रचार एक ताजगी भरा प्रचार था। पार्टी विकास के एजेंडे के साथ जनता के सामने आई थी। उसने अच्छे दिन, भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र ,महिला सुरक्षा, पेट्रोल की कम कीमत जैसे विकास मूलक वायदे किए थे। देश की जनता में उनकी बातों से उम्मीद जगी। उस समय हिंदू राष्ट्र, हिंदुत्व इत्यादि की बात नहीं थी। देश की जनता ने सोचा कि यह नेता सही मसलों को लेकर आगे बढ़ेगा । धर्म का इसमें कोई बखेड़ा नहीं होगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
सितंबर 2015 में गौ रक्षा के नाम पर दादरी में पहली मौत की घटना घटी और इसके बाद घटनाएं घटती गईं। एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार 2018 तक 200 लोग ऐसी घटनाओं में मारे गए। इनमें से केवल एक मामला अदालत में गया। झारखंड के फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई इनमें भाजपा का भी एक नेता था । बाद में झारखंड हाईकोर्ट में 11 लोगों में से 8 को जमानत दे दी और उसे भाजपा के एक केंद्रीय मंत्री ने सम्मानित किया। इससे स्पष्ट संदेश जाता है कि एक अल्पसंख्यक को मारने से सम्मान मिलता है।
आंकड़े और ख़बरें बताती हैं कि मोदी सरकार कई मामलों में खासकर अर्थव्यवस्था, रोजगार ,महिला सुरक्षा, सामाजिक सौहार्द और सुरक्षा वातावरण जैसे वास्तविक मसलों के मामलों में सफल नहीं हो सकी है। सरकार के वादे पूरे नहीं हो सके। 15 -15 लाख रुपए जमा कराए जाने का मसला तो आज भी मजाक का आधार है। सरकार ने काला धन मिटाने की बात की थी और उसके लिए नोटबंदी जैसे घातक कदम भी उठाए गए थे। लेकिन ,जून 2018 की स्विस बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक बैंक में भारतीयों के जमा रुपए में 50% की वृद्धि हुई है। अब कहा जा रहा है कि स्विस बैंक में जमा सभी रुपए काला धन नहीं हैं। एडीआर की अप्रैल 2018 रिपोर्ट के मुताबिक इन 4 वर्षों में भाजपा देश की सबसे अमीर पार्टी बन गई है। अभी हाल में प्रधानमंत्री जी ने भाजपा के पार्टी मुख्यालय का उद्घाटन किया। इसके बारे में कहा जाता है यह दुनिया में राजनीतिक पार्टियों के मुख्यालयों की इमारतों में सबसे बड़ी है। अब मोदी जी विकास के सारे मसलों को त्याग कर हिंदू और मुसलमान की सियासत को अपना रहे हैं। अब देखना है कि 2019 में जनता का क्या रुख रहेगा ?
Thursday, July 19, 2018
यह क्या कह रहे हैं मोदी जी?
Posted by pandeyhariram at 5:56 PM
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