रोजगार के आंकड़ों की बाजीगरी
अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2014 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) द्वारा किए गए चुनाव वादों का ज़िक्र किया और दावा किया कि अब वे सभी झूठे साबित हो गए हैं। राहुल गांधी ने कहा कि सरकार ने वादा किया था कि हर साल दो करोड़ नौकरियां पैदा की जाएंगी, लेकिन अभी तक केवल 4 लाख नौकरियां पैदा की जा सकीं हैं।
पहले भी कई बार मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी जैसे नेताओं ने सरकार द्वारा दी गई नौकरी सृजन के आंकड़ों को चुनौती दी है।राहुल ने एक बार फिर इस मुद्दे को उठाया । उन्होंने चीन के साथ भारत में रोजगार के अवसरों की तुलना में कहा कि "चीन हर 24 घंटों में 50,000 लोगों को रोजगार देता है जबकि भारत में इसी अवधि में केवल 400 युवाओं को नौकरियां मिलती हैं। यह उनके (सरकार के) खोखले वादे का सच है।"
चीन की आधिकारिक वेबसाइट से पता चलता है कि 2017 में नियोजित व्यक्तियों की संख्या 2016 की तुलना में काफी बढ़ी है। इसी अवधि में भारत की 7.1 प्रतिशत की तुलना में चीन में बेरोजगारी की दर 3.9 प्रतिशत है। चीन के मानव संसाधन और सामाजिक सुरक्षा मंत्रालय (एमएचआरएसएस) ने इस साल की शुरुआत में घोषणा की थी कि देश ने 2017 में 13.51 मिलियन नौकरियों के अवसर पैदा किये हैं, 2016 से यह 3,70,000 की वृद्धि हुई है।
चीन के रोज़गार के आंकड़ों से पता चलता है कि 2017 में सरकार अपने लक्ष्य से 37,013 नौकरियों के अवसर अधिक कर चुकी हैं। एमएचआरएसएस के प्रवक्ता लू एहोंग ने इस साल की शुरुआत में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान संख्याओं का खुलासा किया था, जिसमें कहा गया था कि 2017 के अंत में, शहरी क्षेत्रों में देश की पंजीकृत बेरोजगारी दर 3.9 प्रतिशत गिर गई - 2002 के बाद से यह निम्नतम स्तर है।
भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की 2017 की वार्षिक रिपोर्ट में विभिन्न औद्योगिक समूहों, फैक्ट्री रोजगार डेटा, औसत दैनिक रोजगार और दुकानों और वाणिज्यिक दैनिक रोजगार के अद्यतन आंकड़े तो दूर 2014 से रोजगार के अवसर निर्माण का कोई डेटा उपलब्ध नहीं है।
सरकार ने 2016 में त्रैमासिक सर्वेक्षण शुरू किया। श्रम मंत्रालय का त्रैमासिक रोजगार सर्वेक्षण (क्यूईएस), जो आठ क्षेत्रों में सृजित नौकरियों आंकड़े देता है उसके अनुसार देश के संगठित कार्यबल के 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग विनिर्माण, निर्माण, व्यापार, परिवहन , शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, रेस्तरां और आईटी / बीपीओ में लगे हैं।
12 मार्च, 2018 को सरकार द्वारा दिए गए ब्योरे में कहा गया है कि 2016-17 की दूसरी तिमाही में रोजगार के अवसर 77,000 बढ़कर , चौथी तिमाही में 1.22 लाख, पांचवें तिमाही में 1.85 लाख रुपये हो गये। यानी इस अवधि के दौरान, हर दिन लगभग 1,139 बनाए गए थे।
इसी रिपोर्ट के अनुसार, छठी तिमाही में 64,000 रोजगार बढ़ गये। सातवीं तिमाही की रिपोर्ट से पता चला कि पिछले तिमाही में 1.36 लाख श्रमिकों का कुल मजबूत सकारात्मक परिवर्तन था, जो 1 जुलाई, 2017 को अखिल भारतीय स्तर पर आठ क्षेत्रों में था।
हालांकि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) सदस्यता और कर्मचारी राज्य बीमा निगम और पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण के आंकड़ों के आधार पर सरकार के पे रोल की गिनती सरकार के पहले अनुमान के तुरंत बाद स्पष्ट हो गया। इसके मुताबिक 35 लाख से ज्यादा नौकरियों को सितंबर 2017 और मार्च 2018 के बीच छह महीने में औपचारिक अर्थव्यवस्था में जोड़ा गया। इसका मतलब यह होगा कि इस अवधि में औपचारिक क्षेत्र में सरकार द्वारा 1 9, 444 नौकरियों के अवसर सृजित किये गए थे।
सरकार ने सभी विभागों को फिर से आंकड़ों का आकलन करने के लिए कहा है जिसके बाद सरकार भारत में रोजगार अवसर के एक समेकित आंकड़ों के साथ आरोपों का जवाब देगी।
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