पाकिस्तानी दरियादिली का छल
कुलभूषण जाधव मामले में पाकिसतान ने जो कुछ भी किया वह सुनने में ही किसी नाटक का अंश लगता था। पाकिसतान में कथित रूप से जासूसी करने तथा आतंकवाद को बड़ावा देने के आरोप गिरफ्तार भारतीय कुलभूषण जाधव को इस्लामाबाद की सैनिक अदालत ने मौत की सजा सुनायी है। वह अपनी जिंदगी की घड़ियां गिनत रहा है। ... और इस दुखद गाथा में पाकिस्तानिे जाधव की पतनी और मां को मोहममद अली जिन्ना के जनमदिन पर इंसानियत के नाते उससे मिलने की अनुमति दी। पाकिस्तान का यह एक छल था। वह दुनिया को यह दिखाना चाहता था कि भारत आतंकवाद की साजिश करने वालों में से एक है और उसने अपने जेल में बंद आतंकवाद के एक मास्टरमाइंड से उसके परिजनों को मिलने की इजाजत देने की दरियादिली दिखायी है। इस मुलाकात की सही स्थिति और पाकिस्तान ने इस आादमी के साथ कैसा सलूक कियफा है इस पर कई सवाल उठते हैं। अंतरराष्ट्रीय अदालत भी इस पर सवाल उठाने की तैयारी में हैं। इस हफ्ते के शुऱु में विदेश मंत्रालय ने जादाव और मां - पत्नी से मुलाकात के सम्बंध में बयान जारी किया कि " इस मुलाकात के पहले दोंनों सरकारों में इसके तौर तरीकों को तय करने के लिये कूटनीतिक माध्यम से बातें होती रहीं। दानों पक्षों में सारी शर्तों पर समझौता हो गया और भारत ने समझौते की हर शर्त को बहुत ही संजीदगी से पालन किया। " सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया कि " पाकिस्तान ने यह मुलाकात ऐसे करवाई जिसच्में समझौते का अक्षरश: उल्लंघन हुआ।" सरकार का कहना है कि तय था कि जादाव की मां और पतनी को मीडिया तंग नहीं करेगी लेकिन इसके विपरीत मडिया ने उनहें तंग किया। असुविधाजनक सवाल पूछे। यही नहीं यह भी तय था कि सुरक्षा के नाम पर सांसकृतिक चिनहों को नजर अंदाज कियफा जायेगा लेकिन पाकिस्तानी अफसरों ने उनकी चूड़ियो, बिन्दी और मंगल सूत्र उतरवा लिये। जाधव की् मां को बेटे से अपनी भाषा में बात करने पर पाब्ंदी लगा दी गयी। उनकी भाषा मराठी है और जब भी वह कुछ मराठी शब्द बोलती थीं तो उन्हें टोक दिया जाता था। यही नहीं यह भी तय था कि वार्ता के समय परिवार के साथ भारतीय उपउच्चयुक्त रहेंगे लेकिन उनहें बी अलग कर दिया गया और उनहें उनके साथ ैठने की इजाजत मिली तो अलग बेठाया गया। पता नहीं क्यों जाधव की पत्नी के जूते मुलाकात के समय उतरवा लिये गये थे और बार बार कहने पर भी जूतों को लौटाया नहीं गया। सरकार को मिली जानकारी के अनुसार जाधव बहुत डरे हुये लग रहे थे और कुछ ऐसी बातें बोल रहे थे मानो उनहें वह सब्पा कहने के लिये कहा गया हो और साथ में गंबी चेतावनी दी गयी हो। यही नहीं वे काफी कमजोर भी लग रहे थे। बयान में साफ तौर पर कहा गया है कि " जिस तरह से मुलाकात करवायी गयी और उसके बाद जो कुछ भी हुआ वह साफ बताता है कि पाकिस्तान का इरादा श्री जाधव के बारे में गलत और बेबुनियाद आरोपों को दुनिया में प्रचारित करना है।"
पाकिस्तान दूसरी राह अपना रहा हे। यह मुलाकात जो हुई उससे जो समझा जा रहा है वह इस्लामाबाद के इरादे से एकदम अलग है। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने अपने बयान में कहा कि " इस मुलाकात का अंतरराष्ट्रीय नयायालय या सियासत से कुछ लेना देना नहीं है। यह सब इंसानियत के नजरिये से इस्लाम के सिद्धांत के मुताबिक किया गया।" बयान में कहा गया कि " इस्लाम शांति का धर्म है, दया का धर्म है... इसे कूटनीतिक वार्ता से कुछ लेना देना नहीं है।" अब पाकिस्तान कब क्या कहता है या वहां का कौन नेता क्या कहता है यह समझ पाना बड़ा मुश्किल है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवकता के बयान के एक दिन पहले पाकिस्तान के विदेशमंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत ने जाधव मामले में कूटनीतिक वार्ता की इजाजत दी है। दूसरे ही दिन वे उससे मुकर गये और लगे कहने कि कूटनीतिक वार्ता का मामला अंतरराष्ट्रीय अदालत तय करेगी। अंतरराष्ट्रीय अदालत ने गत मई में अंतरिम आदेश दिया था कि जाधव को फांसी न दी जाय। तबे यह मामला विचाराधीन है कि उसके साथ क्या किया जाय। जैसी कि खबर है कि यह मामला अंतरराष्ट्रीय अदालत में जनवरी में उठने वाला है। इस बीच पाकिस्तान अपने पक्ष में वातावरण बनाना चाहता है , खास कर प्रेस को अपने पक्ष में रखना चहहता है। क्योंकि दंनिया भर में पाकिस्तान के इरादे और ईमान पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है। चर्चा यह है कि इसी कारण से जाधव की फांसी रोक दी गयी थी। यही कारण है कि वह इंसानियत की दरियादिली दिखा रहा है पर लोगों को यह छल प्रतीत हो रहा है।
यह रोशनी है हकीकत में छल लोगों
जैसा है जल में झलकता महल लोगों
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