शीत युद्ध की धमक
अमरीका ब्रिटेन और फ्रांस ने सीरिया को सबक सिखाने के लिए उसके रासायनिक हथियारों के भंडार पर हमला कर दिया है। साथ ही दुनिया के बाकी हिस्से को यह दिखा दिया है कि किसी भी हमले में रासायनिक हथियार काउपयोग स्वीकार्य नहीं है। कुछ ही हफ्ते पहले इंग्लैंड ने रूस पर कूटनीतिक हमला कर दिया था। उसका कहना था फिर उसने सेर्जेई औरउसकी बेटी यूलिया को जहर देकर मार दिया है और वह जहर रासायनिक हथियारों के माध्यम से दियागया है। अमरीका और उसके सहयोगियों ने सीरिया केरासायनिक हथियार बनाने और भंडारण के तीन स्थानों पर हमला किया। उनका निशाना दमिश्क के एक वैज्ञानिक शोध केंद्र, होम्स के दक्षिण रासायनिक हथियार के दो भंडार थे । लगभग 1 साल पहले अमरीका ने सीरिया के हवाई अड्डेपर भीषण हमला किया था उस समय भी इरादा उसे रासायनिक हथियार के इस्तेमाल का दंड देना था। उस तुलना में वर्तमान हमला उतनाखतरनाक नहीं था। वस्तुतः यह हमला प्रतीकात्मक था और इरादा दुनिया को दिखाना था कि रासायनिक हथियार बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
सीरिया में 7 वर्ष से चल रहे युद्ध में यह ताजा हमला एक तरह से दुनिया की ताकतों को खासकर पश्चिमी ताकतों के लिए एक चुनौती था । कुछ ही दिन पहले अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि ,” अमरीका सीरिया से बाहर निकल जाना चाहता है। अभी जो दिख रहा है उससे लगता है कि ऐसा नहीं होने वाला, कम से कम निकट भविष्य में तो अमरीका निकलने वाला नहीं है।“ हाल के दिनों में सीरिया में सारिन, क्लोरीन, मस्टर्ड गैस सहित अन्य रासायनिक हथियारों का उपयोग हो रहा है। यह कार्रवाई 2013 के अगस्त से आरंभ हुई। लेकिन बड़ा फौजी जवाब 2017 के अप्रैल महीने में उस समय मिला जब एक रासायनिक हथियार के हमले से दर्जनभर से ऊपर लोग मारे गए थे। इस हमले के माध्यम से डोनाल्ड ट्रंप ने फौजी जवाब दिया था। लेकिन, इस हमले का बहुत मामूली व्यवहारिक असर हुआ। इस हमले के 24 घंटे बाद से ही सीरिया ने हवाई अड्डों के इस्तेमाल शुरू कर दिया। यही हाल के हमलों का भी है। हाल के फौजी हमले से बहुत कुछ आने - जाने वाला नहीं है।
सीरिया के ताजा हालात बहुत विस्तार से एक नया प्रश्न खड़ा कर रहे हैं और साथ ही एक नई चिंता की ओर इशारा भी कर रहे हैं। पिछले शनिवार को विद्रोहियों के कब्जे वाले शहर डोउमा पर हमला हुआ। यह दमिश्क के पूरब है। इस हमले से एक सवाल उठता है कि “ क्यों रासायनिक हथियार बुरे हैं और पारंपरिक हथियार स्वीकार्य?” चिंता यह है कि क्या सीरिया का युद्ध वस्तुतः नए शीत युद्ध की शुरुआत की ओर संकेत तो नहीं कर रहा है। कहीं यह भविष्य के शीत युद्ध की धमक तो नहीं है। पिछले हफ्ते जो हमला हुआ था उसमें 40 लोग मारे गए थे , इनमें बच्चे भी थे। यह सब के सब क्लोरीन नाम की जहरीली गैस से मारे गए थे। 2013 से अब तक रासायनिक हथियारों के हमले से बहुत लोग मारे जा चुके हैं ।
सीरिया में जांच करने वाले एक स्वतंत्र जांच आयोग ने इस बात की पुष्टि की है सीरिया में 34 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। बहुत से लोग रासायनिक हथियारों से मारे गए हैं। सीरिया में 2011 से युद्ध शुरू हुआ था और एक अनुमान के अनुसार वहां अब तक तीन लाख लोग मारे जा चुके हैं। रासायनिक हथियार आतंक का शस्त्र हो सकता है युद्ध का हथियार नहीं। लेकिन सीरिया में इस हथियार का लगातार उपयोग हो रहा है। सीरिया की सरकार ने रासायनिक हथियार समझौता सीडब्ल्यूसी परहस्ताक्षर किया किया है कि रासायनिक हथियारों का उपयोग नहीं करेगा पर लगातार कर रहा है । बड़ी संख्या में लोगों को मार रहा है। क्या पश्चिमी देशों की खुफियागिरी विश्वसनीय है? पिछले 5 वर्षों में यह दुविधा थी कि रासायनिक हथियारों का उपयोग सीरिया की सरकार कर रही है या वहां के विद्रोही। सीरिया की सरकार हमेशा से
रासायनिक हथियारों के उपयोग से इंकार करती रही है और यह करती रही है युद्ध में ऐसे हथियारों का उपयोग बिल्कुल घृणित है। वह पश्चिमी ताकतों के पाखंड वह हमेशा दिखाती रही है। युद्ध का मोर्चा बिल्कुल स्पष्ट हो गया है रूस और इरान दोनों सीरिया के साथ हैं तथा पश्चिमी शक्तियां और इसराइल सीरिया के खिलाफ हैं। अगर तकनीकी रूप में तो सबका एक समान दुश्मन है आईएसआईएस लेकिन किसी के पास इसे खत्म करने का कोई समान एजेंडा नहीं है। 7 साल की जंग के बाद यह स्पष्ट हो रहा है कि सीरिया की जनता को मदद करने की भावना किसी में नहीं है। इस युद्ध में लगी विभिन्न शक्तियां असल में अपने अपने हितों को साधने में लगी है। फ्रांस इंग्लैंड और अमरीका द्वारा हाल में किया गया हमला रूस को एक संकेत था। सीमित हमले से यह संकेत दिया गया था कि वे बात को बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं। रूस से सीधा संघर्ष नहीं चाहते लेकिन रूस और ईरान को उसकी औकात बताना चाहते हैं और यह कहना चाहते हैं कि वे अपनी सीमा में रहे। यह रूस और पश्चिमी देशों के बीच बढ़ती दूरी का स्पष्ट उदाहरण है। क्या यह शीत युद्ध के शुरुआत का संकेत नहीं है?
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